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वह सुभाष थे : कविता ! Essay on Subhash Chandra Bose!

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  वह सुभाष थे ! (कविता : प्रहलाद परिहार ) प्राची में उगते सूरज की तरह, लाल चमकने वाले, वह सुभाष थे। योद्धाओं की नस नस में रक्त की  तरह बहने वाले, वह सुभाष थे। राष्ट्र प्रेम में त्यागा पद, जा पहुंचे जापान जर्मनी । "में सुभाष बोल रहा हूं" कहने वाले, वह सुभाष थे। "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा," कहने वाले। हम सब में रक्त बूंद की तरह रहने वाले, वह सुभाष थे । वे मरे नहीं, जिंदा हैं अब तक, हर राष्ट्र भक्त की आंखों में। नेताजी कहलाने का हक रखने वाले, वह सुभाष थे।। कविता के पीछे की कहानी : मैं पिछले सप्ताह सफर में था।  अपने गंतव्य तक पहुँचने के लिए मुझे रात में दो ट्रैन बदलनी पड़ी।  मेरी पहली ट्रैन सात बजे आने वाली थी जो दो घंटा देरी से आई। मैंने नागपुर के आगे के सफर के लिए रिजर्वेशन करा रखा था।  टाइम टेबल के अनुसार दोनों रेलगाड़ियों  बीच दो घंटे का अंतर था।  परन्तु पहली ट्रैन के लेट होने से मैं संकट में आ गया था। मेरी ट्रैन रात पौने बारह बजे स्टेशन पहुंची।  मेरे पास केवल पंद्रह मिनट शेष थे। मैं जल्दी से स्टेशन के बाहर निकला और एक...

मकर संक्रान्ति 2025 का महत्व? Makar Sankranti/ Lohdi/ Pongal

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मकर संक्रांति 2025  का क्या महत्त्व  है ?                          दोस्तों, मकर संक्रांति भारत और नेपाल  एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तब हम भारतवासी इस त्यौहार को मनाते हैं। इस वर्ष यह त्यौहार 14 जनवरी को आ रहा है। पंचांग के अनुसार इस वर्ष मकर संक्रांति का पर्व मंगलवार, 14 जनवरी को मनाया जाएगा। सूर्यदेव इस दिन धनु से मकर राशि में सुबह 09 बजकर 3 मिनट पर प्रवेश करेंगे। इसे कहीं कहीं उत्तरायण भी कहते हैं क्योंकि मकर संक्रांति के  बाद सूर्य  उत्तर दिशा की ओर अग्रसर  होता है।                           ऐसा कहा जाता है कि यह सूर्य की उपासना का पर्व है। सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने पर खरमास की समाप्ति हो जाती है और हिन्दुओं के सभी मांगलिक कार्य यहां से आरंभ हो जाते हैं। इस शुभ संयोग में इस दिन स्नान, दान और सूर्य की उपासना से अन्य दिनों की अपेक्षा अध...

राष्ट्रीय युवा दिवस/योग दिवस : (Swami Vivekanand ) निबंध

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12th January Birthday Special National Youth Day   स्वामी  विवेकानंद :  सिस्टर   क्रिस्टीन के विचार !                          सिस्टर क्रिस्टीन, जिनका जन्म 17 अगस्त 1866 में तथा मृत्यु 27 मार्च 1930 में हुआ था, एक स्कूल टीचर थीं और स्वामी विवेकानंद की परम मित्र तथा शिष्या थीं।  24 फरवरी 1894 में डेट्रॉइट अमेरिका में पहली बार उन्होंने स्वामी विवेकानंद का व्याख्यान सुना था।  उनसे प्रभावित होकर 1902 में वे भारत आईं और यहाँ एक स्कूल शिक्षिका और समाज सेविका के रूप में उन्होंने काम आरम्भ किया। 1911 में भगिनी निवेदिता की मृत्यु के बाद उन्होंने ''निवेदिता गर्ल्स स्कूल'' का प्रभार संभाला था। कुछ लोग मानते हैं कि स्वामीजी उन्हें अपनी बेटी मानते थे। सन् 1991 में रामकृष्ण मठ, नागपुर द्वारा प्रकाशित ''विवेकानंद साहित्य संचयन''  की प्रस्तावना में स्वामीजी के बारे में  उनके जो विचार उल्लेखित हैं, वही में यहां प्रस्तुत कर रहा हूं  ...            ...

रोता बचपन! (Crying childhood and Money Race)

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पैसे की दौड़ में मरता बचपन !  ( बच्चे को यह सजा क्यों ?)                                                                    प्रहलाद  परिहार                          आज मेरे  एक मित्र जो कि एक शिक्षक भी हैं उन्होंने मुझे एक सच्ची घटना सुनाई।  उन्होंने बताया कि पिछले दिनों उनकी कक्षा में दो ऐसी घटनाएं हुईं  जिसने उन्हें बहुत द्रवित कर दिया।  यहाँ मैं यह बताता चलूँ कि वे शहर के एक बड़े प्रतिष्ठित स्कूल के जाने माने शिक्षक हैं। जहाँ ज्यादातर बड़े घरों के यानि पैसे वालों के बच्चे पढ़ते हैं। उन्होंने बताया कि वे पिछले दिनों एक क्लास में चौथी के बच्चों को कुछ पढ़ने लगा रहे थे। वे सभी बच्चे थोड़े कमजोर थे। बहुत देर तक पढ़ाने के बाद भी कोई संतोषजनक परिणाम नहीं मिल रहा था। तभी  उन्होंने ध्यान दिया कि एक मोटा सा बच्चा खूब मस्ती क...

वह कौन था? (रहस्य कथा) Who was he?

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 वह कौन था (रहस्य कथा)                                         प्रहलाद परिहार  बात उन दिनों की है जब मेरी उम्र कोई 13-14 बरस की रही होगी। मैं अपने मामा के घर मेहमान गया था। फरवरी को महीना रहा होगा। चारो तरफ प्रकृति अपना सौंदर्य बिखेर रही थी। कुछ दिन मामा के घर बिताने के बाद मैने कहा कि अब मैं अपने गांव जाऊंगा। मामा ने कहा भी कि भैया अकेले मत जाओ, एक दो दिन और रुक जाओ हम तुम्हे तुम्हारे गांव छोड़ने चलेंगे। पर मैं नहीं माना औेर अकेला ही अपने गांव के लिए निकल पड़ा।               रास्ता सुनसान था। चारो तरफ कोई इंसान नज़र नहीं आता था। दोपहर का समय था। जंगल ज्यादा घना तो न था पर डरावना जरूर लग रहा था। बीच बीच में आती पक्षियों की आवाज़ ही सन्नाटे को भंग करती थी। मैं चुपचाप चला जा रहा था। मेरे कंधे पर एक थैले में कुछ खाने का सामान और मेरे पहनने के कपड़े के अलावा कुछ नही था। गले में एक चांदी की चैन थी जो मुझे मेरी मौसी ने पिछले ही दिनों दी थी।   ...

बचपन : एक यादगार कहानी ( Chilhood : A Memory)

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बचपन : एक यादगार कहानी!                                         प्रहलाद परिहार                                       मैं बचपन में बहुत शरारती था।  पैतृक गाँव की तो ज्यादा याद नहीं है लेकिन मामा के गाँव की बहुत सी बातें हमेशा जेहन में रहती हैं।  इतना याद है कि जब मैं बहुत छोटा था कोई चार पांच साल का तो पिताजी मुझे कन्धों पर बैठाकर गाँव के पास पठार पर स्थित हमारे खेत में जागल (रखवाली ) करने के लिए ले जाया करते थे।  बड़ी सुन्दर जगह थी वह।  पठार के आसपास का नजारा बड़ा खूबसूरत लगता था।  दूर नीचे खेत, गाँव  के घर, जानवर और ऊपर साफ़ आसमान ! खेत की मेड़ पर किनारे - किनारे ढेर सारे छोटे - बड़े  पेड़ थे, शायद महुए के , तेन्दु के या किसी और तरह के ! वहां खेत में तुअर लगी होती थी।  खेत के किनारे साफ़ जगह पर एक छोटी सी अस्थाई झोपड़ी...

New year resolutions 2025? आपका नए साल का क्या प्लान है?

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इस  नए वर्ष में मैं ये करूंगा...! In this New Year,  I will do...                                           Prahalad Parihar                                  दोस्तों,  नया  साल 2025 आ गया है।  कुछ लोगों के लिए यह महज़ तारिख का बदलाव होगा  जबकि कुछ लोगों के लिए  नए संकल्पों का, योजनाओं को बनाने  का समय होगा।  कुछ लोग अगले कुछ  दिनों तक भरपूर मौज़  मस्ती में डूबे  रहने वाले हैं। यूँ तो हर साल ऐसे ही आता है और जाता है परन्तु कुछ लोगों के जीवन में कोई परिवर्तन नहीं होता है। आज हम यहाँ बात करेंगे कि वास्तव में नए वर्ष पर हमें क्या करना चाहिए?                                 दोस्तों, हमें केवल नए वर्ष पर ही नहीं बल्कि हर खास मौके पर यह ...

No One Is Mine ! (My New Poems)

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My New Poems : Prahalad Parihar a  5. No One Is Mine !  There are so many friends of mine, In the town, in the college, But why it's feeling that no one is mine. I am wandering in the street, Among the brightness of street light, So many eyes welcome me there, But why it's feeling that no one is mine. I am trying to look something, but what? All things are available here, But why it's feeling that no one is mine.  4 . Dreams and Life                                 Prahalad Parihar I think, dreams are the things Which can give us pleasure, But one can't live in dreams, Life is a fact in this universe. It's experiences are generally bitter, Not sweet like our dreams. The pleasure of dreams is momentary, And Life with love is not always bitter. Lastly, the dreams can never be  Our lives permanent beams. 3. You  should Be Bold       तुम्हे साहसी होना चाहिए !   ...

संविधान गीत : प्रहलाद परिहार! / Republic Day! / Samvidhan Geet

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 गणतंत्र दिवस 2025 :  26 जनवरी का इतिहास                     प्रहलाद परिहार  संविधान गीत  हमारा संविधान है हमारा संविधान, देश का विधान है ये देश का विधान।  थे गुमनाम और सदियों से जो वंचित , उन सबके लिए है ये वरदान संचित।  ना पिछड़ा ना अगड़ा ना कोई दलित , हैं अब सब इसकी नज़र में समान।  जब मुल्क हुआ आज़ाद और हम हुए आबाद, बाबा साहेब की निगरानी में पड़ गयी बुनियाद।  धर्म और मज़हब से भी ऊपर है देश , ऐसा आज मेरा है आपको सन्देश।  26 जनवरी का इतिहास : यह हमारा राष्ट्रीय पर्व है।  इसी दिन सन  1950  को भारत सरकार अधिनियम (1935 ) को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया था।  26 नवम्बर 1949  को भारतीय संविधान सभा द्वारा इसे अपनाया गया जिसे हम आज संविधान दिवस के रूप में मनाते हैं।  26 नवंबर 2015 को पहली बार पूरे भारत में संविधान दिवस मनाया गया था। 26 जनवरी 1930 को इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत को पूर्ण स्वराज घोसित किया था।  हमारे संविधान को बनने में 2 साल 11 महीने ...

झलकारी बाई और लक्ष्मी बाई : दो कवितायें Jhalkari Bai aur Lakshmi Bai

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1. झलकारी बाई ! (कविता : प्रहलाद परिहार )                    झलकारी बाई का जन्म 22 नवम्बर 1830  को तथा वीर गति 4 अप्रैल 1857  को प्राप्त हुई थी। वे झाँसी की  रानी लक्ष्मी बाई की नियमित सेना में महिला शाखा '' दुर्गा दल '' की सेनापति थीं तथा वे लक्ष्मी बाई की हमशक्ल भी थीं।  वे शत्रु को गुमराह करने के लिए, लक्ष्मी बाई के भेष में युद्ध करती थीं।  अंतिम समय में उन्होंने रानी झाँसी के लिए ढाल की तरह कार्य किया था जब लक्ष्मी बाई के एक गद्दार सेनापति दूल्हेराव ने किले का द्वार अंग्रेजों के लिए खोल दिया था तो लक्ष्मी बाई को किले से सुरक्षित निकालने के लिए झलकारी बाई ने आगे बढ़कर अंग्रेजो से लड़ाई लड़ी और वीरगति को प्राप्त हुईं।  उन्होंने उस  अंतिम समय रानी लक्ष्मी बाई से क्या कहा होगा।  उनके मन के उदगार और भाव को प्रदर्शित करने का प्रयास मैंने इस कविता के माध्यम से किया है --                 अब तो यह अंतिम रण होगा ,         ...

योग का दैनिक जीवन में महत्व ! 10 Yogas for our Daily Life

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  दैनिक जीवन में योग का महत्त्व                                     प्रहलाद परिहार                         दोस्तों,   योग हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है. दैनिक जीवन में स्वास्थ को लेकर कई बार हम बहुत लापरवाह रहते हैं  और आगे जाकर यह बात हमें बहुत भारी पड़ती है।  इसी बात को ध्यान में रखकर यह ब्लॉग लिखा जा रहा है।  इसमें बताये गए  अभ्यास और योगासनों का यदि हम नियमित अभ्यास करें तो हम एक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।   सूर्योदय से सूर्यास्त तक की दिनचर्या कैसी होनी चाहिए ? १. सुबह उठकर सबसे पहले बिना हाथ - मुँह धोये ताम्बे के लोटे का गुनगुना पानी पीना चाहिए। २. नित्यकर्म से निवृत होकर सुबह आत्मशुद्धि एवं आत्मबल के लिए योग करें। ३. सुबह का भोजन / नाश्ता  सात से नौ बजे के बीच कर लेना चाहिए , दोपहर का भोजन एक से दो बजे के बीच तथा शाम का भोजन पांच से सात बजे के बीच कर लेना चाहिए। ४. सुब...