वह कौन था? (रहस्य कथा) Who was he?
वह कौन था (रहस्य कथा) प्रहलाद परिहार बात उन दिनों की है जब मेरी उम्र कोई 13-14 बरस की रही होगी। मैं अपने मामा के घर मेहमान गया था। फरवरी को महीना रहा होगा। चारो तरफ प्रकृति अपना सौंदर्य बिखेर रही थी। कुछ दिन मामा के घर बिताने के बाद मैने कहा कि अब मैं अपने गांव जाऊंगा। मामा ने कहा भी कि भैया अकेले मत जाओ, एक दो दिन और रुक जाओ हम तुम्हे तुम्हारे गांव छोड़ने चलेंगे। पर मैं नहीं माना औेर अकेला ही अपने गांव के लिए निकल पड़ा। रास्ता सुनसान था। चारो तरफ कोई इंसान नज़र नहीं आता था। दोपहर का समय था। जंगल ज्यादा घना तो न था पर डरावना जरूर लग रहा था। बीच बीच में आती पक्षियों की आवाज़ ही सन्नाटे को भंग करती थी। मैं चुपचाप चला जा रहा था। मेरे कंधे पर एक थैले में कुछ खाने का सामान और मेरे पहनने के कपड़े के अलावा कुछ नही था। गले में एक चांदी की चैन थी जो मुझे मेरी मौसी ने पिछले ही दिनों दी थी। ...