शिव मंगल सिंह "सुमन"! : 10 Best Poems of Shivmangal Singh "Suman"
1. चलना हमारा काम है! शिव मंगल सिंह "सुमन" गति प्रबल पैरों में भरी, फिर क्यों रहूं दर दर खड़ा, जब आज मेरे सामने है रास्ता इतना पड़ा। जब तक न मंजिल पा सकूं , तब तक ना मुझे विराम है, चलना हमारा काम है। कुछ कह लिया, कुछ सुन लिया, कुछ बोझ अपना बंट गया, अच्छा हुआ, तुम मिल गईं, कुछ रास्ता ही कट गया। क्या राह में परिचय कहूं, राही हमारा नाम है, चलना हमारा काम है। जीवन अपूर्ण लिए हुए, पाता कभी खोता कभी, आशा निराशा से घिरा, हंसता कभी रोता कभी। गति - मती ना हो अवरुद्ध, इसका ध्यान आठों याम है, चलना हमारा काम है। इस विशद विश्व - प्रहार में, किसको नहीं बहना पड़ा, सुख - दुःख हमारी ही तरह, किसको नहीं सहना पड़ा। फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरुं, मुझ पर विधाता वाम है, चलना हमारा काम है। मैं पूर्णता की खोज में, दर दर भटकता ही रहा, प्रत्येक पग पर कुछ ना कुछ रोड़ा अटकता ही रहा। निराशा क्यों मुझे? जीवन इसी का नाम है, चलना हमारा काम है। साथ में चलते रहे, कुछ बीच ही से फिर गए, गति ना जीवन की रूकी, जो गिर गए सो गिर गए। रहे हरदम, उसी की सफलता अभिराम है, चलना हमारा काम है। इसका ऑडियो/वीडियो सुनने एवं ...