बचपन : एक यादगार कहानी ( Chilhood : A Memory)
बचपन : एक यादगार कहानी! प्रहलाद परिहार मैं बचपन में बहुत शरारती था। पैतृक गाँव की तो ज्यादा याद नहीं है लेकिन मामा के गाँव की बहुत सी बातें हमेशा जेहन में रहती हैं। इतना याद है कि जब मैं बहुत छोटा था कोई चार पांच साल का तो पिताजी मुझे कन्धों पर बैठाकर गाँव के पास पठार पर स्थित हमारे खेत में जागल (रखवाली ) करने के लिए ले जाया करते थे। बड़ी सुन्दर जगह थी वह। पठार के आसपास का नजारा बड़ा खूबसूरत लगता था। दूर नीचे खेत, गाँव के घर, जानवर और ऊपर साफ़ आसमान ! खेत की मेड़ पर किनारे - किनारे ढेर सारे छोटे - बड़े पेड़ थे, शायद महुए के , तेन्दु के या किसी और तरह के ! वहां खेत में तुअर लगी होती थी। खेत के किनारे साफ़ जगह पर एक छोटी सी अस्थाई झोपड़ी...