Posts

Showing posts with the label kavygatha Online Magazine

मैं क्या हूं? : कविता / आशा ! Kavygatha Online Magazine 15/04/23

Image
काव्यगाथा ऑनलाइन मैगज़ीन  15  / 04 / 23  22. मैं क्या हूँ ? कविता : आशा मत पूछ मुझसे ये ज़िंदगी कि मैं क्या हूँ , समय के द्वारा लिखी हुई, उलझी हुई दास्तान हूँ।  तेरे साथ भी अकेली हूँ, तेरे बाद भी अकेली हूँ, तुझे समझ कर भी न बूझ सकी, ऐसी पहेली हूँ।  तमाशाई सी ये ज़िंदगी, जिसकी मैं खुद दर्शक हूँ, अपनी तकलीफों की, खुद ही चिकित्सक हूँ।  दर्द की ख्वाहिश हूँ, खुद की नुमाईश हूँ, बेजार सी है ज़िंदगी, जिसकी मैं फरमाईश हूँ।  अधूरी इमारतों का, जैसे कोई खँडहर हूँ, नाकाम इरादों का, घूमता हुआ बवंडर हूँ।  एक राज हूँ, एक साज हूँ, बदला हुआ अंदाज़ हूँ, जो गीत कभी सुना नहीं, मैं उसकी आवाज़ हूँ।  मत पूछ मुझसे ये ज़िंदगी कि मैं क्या हूँ, समय के द्वारा लिखी हुई, उलझी हुई दास्तान हूँ।   21.  ख्वाहिश !   कविता : पलक साबले, जबलपुर / बैतूल  हर शख्श की ख्वाहिश मुकम्मल हो जाती, तो क्या बात होती , ग़रीब के घर भी दौलत बेशुमार हो जाती, न आँखों में कभी नमी होती, न मुस्कराहट में कोई कमी होती।  घर में नयी किलकारी गुंजी,  माँ की आँखों में नमी थी...