Posts

Showing posts with the label रोमांस

4. काव्यगाथा पाक्षिक पत्रिका 15/06/23 Kavygatha Online Magazine

Image
3. काव्यगाथा पाक्षिक पत्रिका Kavygatha Fortnight Magazine 15/06/23 काव्यगाथा ऑनलाइन पाक्षिक पत्रिका क्या है?                 यह हर पंद्रह दिन में यानी हर माह की 15 एवं 30 तारीख को प्रकाशित होने वाली ऑनलाइन पाक्षिक पत्रिका है। जिसकी सामग्री लिखित, फोटो, एवं वीडियो, के रूप में पब्लिश की जाती है। इसे दुनियां में कहीं भी  google  या  blogger  या  chrome  पर खोला जा सकता है, भेजा जा सकता है और पढ़ा जा सकता है। यह स्थाई रूप से ब्लॉग पर मौजूद रहती है आप जब चाहें इसे देख पढ़ सकते हैं और दूसरों को भी पढ़वा सकते हैं।  यदि आप इस ऑनलाइन पत्रिका के सदस्य बनते हैं तो आपका वीडियो फ्री में हमारे इसी नाम के यू ट्यूब चैनल पर भी पब्लिश किया जा सकेगा।  पत्रिका से जुड़ने के लिए संपर्क करें -  09977577255 ( सम्पादकीय  : प्रहलाद परिहार )                     दोस्तों,   kavygatha काव्यगाथा    का यह चौथा अंक आपके सा...

सांझ को पंछी घर आता है ! (Meri Nai kavitayen!)

Image
मेरी नई कविताएं : प्रहलाद परिहार 10.  सांझ को पंछी घर आता है! (04/05/23) बड़ा नादान था, दिन भर उड़ता फिरा, कभी इस बाम पर, कभी उस बाम पर। उसे क्या पता था, एक दिन थक जाएगा, आज तरस आता है मुझे उसके हाल पर। घर बसाया जिसके साथ, अधूरा सा रहा, खूब उड़ा, जीवन भर, ऊंचे आसमान पर। जो सुबह के साथी थे, दोपहर को विदा हुए, अब यादें ही यादें हैं, इस मकाम पर। अब जो शेष और साथ हैं उनको, वह देना चाहता है, प्यार आसमान भर। "हर" सांझ को पंछी घर आता है, उसे मालूम है, कल निकलना है अंजाम पर। 9. खूबसूरत खंजर!  वो क्या जाने इश्क किसे कहते हैं, कैसे दो दिल एक दिल में रहते हैं। मैंने जाना है, प्यार के लिए जहान छोटा है, इक बूंद, एक सागर से कहीं कुछ होता है। ये फूल, ये कविताएं, ये नज्में, ये गजलें, ये सब इनायत है उसी प्यार की पगले। उसको मिलने से पहले, ये मंजर कभी न था, शायरी का ये खूबसूरत खंजर कभी न था। 8. आँख लगते ही! ( कविता : प्रहलाद परिहार) छम् से बरस जाती है तेरी याद, और दे जाती है एक नई कविता की सौगात! एक झरना सा बहता है तेरी यादों का, और बहती हैं कविताएं उन्हीं यादों में। बार बार सोता हूं बार बार उठ...