4. काव्यगाथा पाक्षिक पत्रिका 15/06/23 Kavygatha Online Magazine
3. काव्यगाथा पाक्षिक पत्रिका Kavygatha Fortnight Magazine 15/06/23
काव्यगाथा ऑनलाइन पाक्षिक पत्रिका क्या है?
यह हर पंद्रह दिन में यानी हर माह की 15 एवं 30 तारीख को प्रकाशित होने वाली ऑनलाइन पाक्षिक पत्रिका है। जिसकी सामग्री लिखित, फोटो, एवं वीडियो, के रूप में पब्लिश की जाती है। इसे दुनियां में कहीं भी google या blogger या chrome पर खोला जा सकता है, भेजा जा सकता है और पढ़ा जा सकता है। यह स्थाई रूप से ब्लॉग पर मौजूद रहती है आप जब चाहें इसे देख पढ़ सकते हैं और दूसरों को भी पढ़वा सकते हैं। यदि आप इस ऑनलाइन पत्रिका के सदस्य बनते हैं तो आपका वीडियो फ्री में हमारे इसी नाम के यू ट्यूब चैनल पर भी पब्लिश किया जा सकेगा। पत्रिका से जुड़ने के लिए संपर्क करें - 09977577255
(सम्पादकीय : प्रहलाद परिहार )
दोस्तों, kavygatha काव्यगाथा का यह चौथा अंक आपके सामने प्रस्तुत है। मित्रों काव्यगाथा के माध्यम से हम एक ऐसा रचना संसार बनाना चाहते हैं जिसमे सबके लिए जगह हो, कोई भेदभाव नहीं हो। एक ऐसे रचनाकारों का समूह जो अपने देश, धर्म और समाज को प्रेम करता हो और उसके उत्थान के लिए सच्चे दिल से कुछ करना चाहता हो। दुनियां में सभी को कुछ न कुछ तकलीफ है। हमारी कोशिश है कि हम जब तक जियें अपने आस पास अपनी रचनाओं और अन्य गतिविधियों के माध्यम से खुशियों का संचार करें। उम्मीद है आपको हमारी यह कोशिश पसंद आएगी। शुभकामनाओ के साथ ! आपका शुभचिंतक और मित्र : प्रहलाद परिहार !
"Kavygatha" Magazine Pattern
1. Editorial संपादकीय
2. Index अनुक्रमणिका
3. Poems, stories, articles कविता, कहानी, लेख
4. Let's Learn English आओ इंग्लिश सीखें
a. Grammar
b. Speaking
c. Vocabularies
d. Test Yourself
e. Answer of Last TY
5. Your Letters (comments) आपके पत्र
पिछली पत्रिका पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें :
अनुक्रमणिका
1. दिनेश खांडेकर : एक परिचय
2. आशा ''अंकनी'' : जीवन !
3. डॉ निरुपमा सोनी : Material Can't Make Us Happy!
4. विजय कुमार पटैया : ग़ज़ल !
5. मेहर अंगेज़ अली : मेहर की कलम से !
6. अनुराधा देशमुख : फैशन !
7. झलक परिहार : The World and I !
8. दीपा मालवीय : ज़िंदगी !
9. विद्या निर्गुड़कर : मेरा देश !
10. अरुणा पाटनकर : ग़ज़ल !
11. दिव्या अड़लक : गर्मियों की यादें !
12. अखिलेश परिहार : अब गांव से !
13. प्रहलाद परिहार : फोन के इंतजार में !
14. लक्ष्मण खंडाग्रे : कितना फर्क है !
15 . Let's Learn English : आओ अंग्रेजी सीखें !
1. कलाकार/लेखक परिचय
: श्री दिनेश खांडेकर, बैतूल
इनका पूरा नाम दिनेश मधुकरराव खांडेकर है इनके माता पिता का नाम क्रमशः श्री मधुकर कृष्णराव खांडेकर एवं श्रीमती नलिनी मधुकरराव खांडेकर है। इनकी जीवन संगिनी का नाम श्रीमती माया दिनेश खांडेकर है। श्री दिनेश खांडेकर जी का जन्म 19 जून 1984 को पुलगांव जिला वर्धा महाराष्ट्र में हुआ था। इनकी स्कूल और कॉलेज की शिक्षा पुलगांव एवं वर्धा में हुई। वे बताते हैं, "बचपन में मैं क्रिकेट खेलने के लिए ग्राउंड पर जाया करता था। मुझे अभी भी याद है कि जब मेरे संगीत की प्रैक्टिस का टाइम होता था और मैं खेलते ही रह जाता था तो मेरे पिताजी लकड़ी लेकर ग्राउंड के किनारे पर आकर खड़े हो जाया करते थे। और जब मैं उन्हें देखता तो सीधा दौड़ के घर में आकर हाथ मुंह धो कर अपनी प्रैक्टिस करने लग जाता था। उस वक्त मुझे बड़ा बुरा लगता था लेकिन आज उस वक्त किया गया अभ्यास ही मेरे जीवन को खुशहाल एवं सफल बनाने में मददगार साबित हो रहा है। इसके लिए मैं उन्हें हमेशा याद करता हूँ। मैंने लगभग 20 साल की उम्र से लिखना शुरू किया। मैं गजल, भक्ति गीत और देश भक्ति गीत आदि विषयों पर लिखता हूं। "
अब तक उन्हें जो उपलब्धियां या पुरुस्कार/ कार्यक्रम आदि मिले वे निम्न प्रकार हैं : गंधर्व यूनिवर्सिटी से ए श्रेणी से तबला विशारद एवं गायन विशारद, बी ए म्यूजिक, महाराष्ट्र स्टेट से ओपन यूथ फेस्टिवल में शास्त्रीय तबला वादन के लिए प्रथम विजेता एवं राष्ट्रीय युवा महोत्सव में दूसरे विजेता का सम्मान। उन्होंने गंधर्व यूनिवर्सिटी मुंबई से तबला विशारद तथा गायन विशारद की उपाधि प्राप्त की है। वे ऑल इंडिया रेडियो के बी ग्रेड आर्टिस्ट भी हैं। इसके अतिरिक्त अनेक तबला वादन तथा गायन प्रतियोगिताओं में प्रथम पुरस्कार एवं श्रोताओं से खूब सराहना। अनेक संस्थाओं द्वारा संगीत क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए सम्मान। अनेक शहरों में अनेक राज्यों में संगीत के कार्यक्रमों की सफलतम प्रस्तुतियां। जिसमें तबला वादन, गजल गायन आदि शामिल है। कई शासकीय कार्यक्रमों में विशेष प्रस्तुतियों के लिए आमंत्रण। अब तक के सफर में सहयोग के लिए वे अपने माता पिता, गुरु श्री तबला नवाज़ उस्ताद शेरखान साहब जिनके वे गंडा बद्ध शिष्य हैं उन्हें धन्यवाद देते हैं। उसके बाद अपने मामा एवं शादी के पश्चात अपनी धर्मपत्नी माया को वे विशेष धन्यवाद देते हैं जिन्होंने उन्हें हर कदम पर, हर मोड़ पर प्रोत्साहन दिया, साथ दिया और आज भी साथ दे रहे हैं। अभी वर्तमान में वे बैतूल के आर डी पब्लिक स्कूल में संगीत शिक्षक एवं एक्टिविटी कोऑर्डिनेटर के रूप में कार्यरत हैं तथा यहीं रॉयल रेसिडेंसी, हमलापुर चौक, बैतूल में निवास करते हैं।
2. आशा "अंकनी" , बैतूल
कविता : जीवन !
क्रोध हो, प्रेम हो,उत्साह हो या नाराजगी,
हर्ष हो, दर्द हो, कपट हो, या हो, सादगी
ये भाव नही ,भावनाओं का क्षणिक मौका है,
इनकी लहरों के उद्वेग को, किसने रोका है।
बह जाते है सभी ,इन भावनाओ के बहाव मे,
ये भावनाओं का बहाव नही,बस मन का धोखा है।
बडे बडे महारथी भी ,नतमस्तक है इसके आगे,
ये जीवन की सत्यता नही,बस कल्पना का झोंका है।
खुद को महसूस करने की, फुरसत कहां किसी को,
महसूस किया इसे उसने ,जिसे खुद पर भरोसा है।
किसी से क्या शिकायत करें,क्या समझाएं ,
लोगो ने वो ही समझा है ,जो उन्हे परोसा है।
भावनाओं का कोई रूप नही,कोई आकार नही,
समझ पाया वही, जिसने साकार करने का सोचा है।
यथार्थ से परे ,जी रहे है सब इस जहां में,
इस भावनाओं की दुनिया मे जीवन ही अनोखा है।
3. डॉक्टर निरुपमा सोनी, बैतूल
Poem : Material Can't Make Us Happy !
Materials can't make us happy...
Collecting money or things will never give us peace ..
In childhood we were happy with the bicycle...
But when we grow up ,
we grow our cravings ...
We want bike, then car and more and more.
Our cravings never ends till death ....
Which is the evil truth of life...
We can live a happy satisfactory life within a single room ,
if we understand what is actually important to live happily...
It's all about satisfaction,
or else unsatisfied heart can't be happy even in a palace....
4. विजय कुमार पटैया , बरहापुर, भैसदेही
गज़ल !
हँसते रहो मुस्कुराते रहो,
गाते रहो गुनगुनाते रहो।
कल क्या होगा किसे है पता,
गम में भी खिलखिलाते रहो।
अंधेरा कायम न होगा सदा,
नया रोज सूरज उगाते रहो,
सूखे न भू का कोना कोई,
नयी रोज नदियाँ बहाते रहो।
दो दिन का पतझड़ चला जाएगा,
नये फूल हरदम खिलाते रहो।
वतन की हर पल करो सुरक्षा,
शत्रु को रण में हराते रहो।
भलाई नहीं है बुराई में,
सबसे अच्छाई चुराते रहो।
5. मेहर की कलम से : अपना हिंदुस्तान!
(मेहर अंगेज अली, बीजापुर, छत्तीसगढ़ )
संक्षिप्त परिचय : इनका जन्म बैतूल के एक साधारण परिवार में ३ फरवरी १९८७ को हुआ था। इनके पिता का नाम श्री ज़ाकिर हुसैन और माता का नाम श्रीमती जकिया खातून है। इनकी स्कूल और कॉलेज की शिक्षा यहीं बैतूल में ही पूरी हुई। इन्होने कॉलेज के दिनों से ही लिखना आरम्भ कर दिया था। विवाह के बाद वे जगदलपुर छत्तीसगढ़ में बस गयीं। वर्तमान में वे भैरमगढ़ के स्कूल में कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर कार्यरत हैं और बीजापुर छत्तीसगढ़ में निवास करती हैं। वे मूलरूप से एक गायिका हैं जिन्होंने गायन में भी डिग्री प्राप्त की है।
गीत : अपना हिंदुस्तान !
सबसे अच्छा, सबसे प्यारा अपना हिंदुस्तान,
मानवता की पूजा थाली दाता का वरदान !
वीर भगत, झांसी की रानी, टीपू उसके अपने लोग,
अपना जीवन दान किए हैं लेकिन सारे जग से जोग!
मर्यादा पर मरना है तो मरने का फिर कैसा शोक,
इसके न रहे वीर शिवाजी नारी है बलवान !
मानवता की पूजा थाली दाता का वरदान
बापू के आदर्श निराले सपनों की सच्चाई है,
उजियारे जीवन की झांकी चाचा ने दिखलाई है !
उलझी नैय्या देश की इंदिरा ने पार लगाई है ,
ज्ञान का दीपक जलता जाए मिट जाए अज्ञान !
मानवता की पूजा थाली दाता का वरदान
Comment : Bahut accha h sir. Itne comments Aa rahe h. Ye ek bahut Acchi shuruat h sir. Iske zariye kaii chhupe hue hunar Bahar aaenge. Or thank you so much sir ki aapne mujhe bhi iske kabil Samjha or mujhe moka diya😊🙏🙏🙏 Mehar Ali.
6 . अनुराधा देशमुख , बैतूल
कविता : फैशन
आजकल की शादीशुदा
लड़कियों को..
पता नहीं सिंदूर सजाना
क्यों नहीं सुहाता
मंगलसूत्र हटाकर
आर्टिफिशियल ज्वेलरी सेट से
गले को सजाती है
काजल मस्कारा
तो खूब लगाती है
पर बिंदी लगाना भूल जाती है
ना हाथों में चूड़ी ना कंगन
कलाइयां सूनी नजर आती है
आधुनिकता की ये कैसी दौड़ है
हम किसी से कम नहीं
दिखाने की यह कैसी होड़ है..
अब कुछ लोग कहेंगे
जमाना बदल गया है
सुहाग की निशानी हटाने का
ये कैसा फैशन चला है?
7. Jhalak Parihar, Betul
Poem : The World and I !
In a world of lies,
I look for real ones.
In a world of full of people,
I feel like an leftout or outsider.
In a world of facts,
I believe in fantasy.
In a world of moon,
l look for stars.
In a world of me,
I look for mine.
8. दीपा मालवीय, बैतूल
कविता : जिदंगी
जिदंगी एक पहेली है
सुख- दुख उसकी सहेली है।।
जिदंगी कभी धूप तो कभी छांव है
हर क्षण एक नया इम्तहान है।।
जिदंगी कुछ पाने का अरमान है
तो किसी के दूर होने का गम हैं।।
जिदंगी कही मीठी मुस्कान है
तो कहीं एक नई पहचान है।।
जिदंगी मे रंग कई हजार है
अपनों के संग जिदंगी गुलजार है।।
जिदंगी को बयां करें ऐसा कोई नहीं अल्फाज है
जिदंगी जीने का हर किसी का एक अलग अंदाज है ।।
9 . विद्या निर्गुडकर, बैतूल
कविता : मेरा देश!
भारत. विश्वगुरू कहलाता था जगत मे कभी ,
अब फिर विश्वगुरु कहलायेगा ।
१.अमरीका ने मान लिया पीपल,
बरगद और तुलसी को ।
युगों से पूजे जा रहे हैं भारत में ये वृक्ष हरदम ।।
२.फ्रांस ने माना शंख ध्वनि को लाभदायक,
कहा फेफड़ों को सुदृढ बनाने मे है सहायक ।
यूं ही नहीं पूजा मे की जाती है शंखध्वनि ।
रणभूमि मे भी चेताया जाता था
सेना को बजा कर यह शंख ध्वनि ।।
3. मुस्लिम देशों ने भी माना है कि
हवन करने से वायरस दूर हो जाते हैं।
प्रदूषण रहित रहे वातावरण इसी लिये
तो युगों यूगों से, पुण्य कार्यों मे हवन ।किये जाते हैं ।
4. सम्पूर्ण विश्व आज मान रहा है,
योग और सूर्य नमस्कार को सर्वोत्तम।
इसी लिये विश्वास मन का बढ गया है
ऐसे ही पूरा विश्व मानेगा लोहा मेरे देश का ।
मेरा देश विश्वगुरु था और आज फिर विश्वगुरु कहलाएगा ।
Comment: Sari kavitaen aur rachnaen bahut acchi hai aur ise online per laane ke liye aap sabhi ka बहुत-बहुत dhanyvad🙏🙏🌹 सेवंती माकोडे
10 . अरुणा पाटनकर, बैतूल
अध्यक्ष : साहित्य सृजन कुञ्ज
ग़ज़ल
आए हैं,जहां में तो कुछ कर के चलें,
नजरें झुका के नहीं नजरें उठा कर चलें।
तमन्ना ये नहीं कि कोई सर झुकाए अदब से,
तमन्ना ये रहे कि कोई हम पर उंगली उठा ना सके।
अपनी नजरों के शोले किसी को मजबूर ना करें,
अपनी नज़रों में प्यार बसा, बस प्यार बांटते चलें।
हुकूमत नहीं चलाई ,डराकर जी हुजूरी से,
चाह है कि अमन सुकूं की, आबो हवा फैला सकें।
गुलाम बनाकर किसी को ,शहंशाह बन बैठोगे तो क्या?
दिल जीतने की अदा से दिलों पर राज करते चलें।
हसरत थी कि नाम कमाएं पर ये नाम कमाएं कैसे?
मतलब परस्त न बन, हमदर्द बन राहों में निशान बनाते चलें।
11 . दिव्या अड़लक, भोपाल
संक्षिप्त परिचय : इनका जन्म बैतूल शहर में १ मार्च १९७७ को हुआ था। इनके पिता का नाम श्री सुरेंद्र कुमार देशमुख और माता श्रीमती आशा देशमुख हैं। श्री गुणवंत राव अड़लक जी इनके जीवन साथी हैं। इनकी स्कूल और कॉलेज की शिक्षा बैतूल में ही पूरी हुई। अपने बचपन को याद करते हुए वे कहती हैं , '' मेरा बचपन बड़ा ही सहज, सरल, और निश्छल था। छोटी छोटी ख्वाहिशें थीं और खुशियां बेहिसाब थीं। सभी अपने थे कोई पराया नहीं। हरी भरी धरती थी। भोर में पक्षियों का कलरव था। भोला सा मन था और सुन्दर सी धरती। यही था बचपन। '' उन्होंने स्कूल के समय से ही लिखना आरम्भ कर दिया था। वे अधिकतर मानवीय भावनात्मक पहलुओं पर लिखना पसंद करती हैं। वे एक फार्मासिस्ट हैं और वर्तमान में अयोध्या बायपास रोड, भोपाल में निवास करती हैं।
कविता : गर्मियों की यादें!
गर्मियों की शुरुआत हुई, दावतों का लगा सिलसिला,
यादें खींचकर ले आईं उन पुरानी पंगतों में !
आलू भटे की तेज सब्जी, कढ़ी, दाल, भाजी,
घर का बना मेथंबा फिर से अपनी बारी का इंतजार !
मान मनुहार से देना एक दूसरे का साथ ,
आम की अमराई में पतला सा टेंट !
गर्मी से तरबतर होते सारे लोग,
सरलता से गमछा निकालकर पोछा पसीना !
साड़ी के पल्लू से झाड़ा था पंखा,
बिजली का जाना और चौपाल का सजाना !
यूँ ही चलते चलते कोई नानी, कोई चाची का
साधिकार हाथ थम के हाल चाल जानना !
तुम रामु के बच्चे हो ना ? उनका ध्यान रखना,
उनकी मेहनतों का ब्यौरा याद रखना !
समझाई और आशीर्वाद देना,
स्नेह से हाथ कर फिर विदा करना !
सरल था, कितना सहज था ,
याद बहुत आता है वह गुजरा ज़माना !
12 . अखिलेश परिहार "अबोध", बेतुल बाजार
कविता : "अब गांव से"
संबंधों की सौंधी खुशबू
प्रीत गई अब गांव से ,
शहरों ने जो दस्तक दी
रीत गई अब गांव से ।
मान और मर्यादा बदली
बदल गए अब संबोधन ,
अपनेपन की बदली दिशा
विपरीत गई अब गांव से ।
कचहरी में विवाद चले,
चले तीर कागज के वहां,
चौपालों में निपटारे की
नीत गई अब गांव से ।
बंधे न तोरण उत्सव पर
और ना बंदनवार सजे,
महंगी सभ्यता शहरों की
जीत गई अब गांव से ।
13 . प्रहलाद परिहार, बैतूल
कविता : फोन के इंतजार में !
उस फोन का कुछ करो यार,
लम्बा हो गया ये इंतजार !
इंतजार में थक गए नैन हमारे ,
जैसे कोई गिने रातों में तारे !
जब वो प्यारा फोन आएगा ,
तब मेरा ये दिल गुनगुनाएगा !
या तो करो आर्डर पे आर्डर ,
या कर दो उस आर्डर को डिसऑर्डर !
14. लक्ष्मण खंडागरे, नागपुर
कविता : कितना फर्क हैं....
कितना फर्क है तुझमें और मुझमें...
तुम्हारे लिए सिर्फ एक बात,
मेरे लिए जिंदगी का फलसफा..
सोचता हूं तो पाता हूं ...
तूम चंचल हरदम, मैं संजीदा हरदफा...
हमने तो सौदा किया न था कोई..
फिर भी तुमने देखा हर बार नफा...
हर पत्थर को तराशा नहीं जा सकता..
हर एक से ना रखो उम्मीदे-वफा...
जिस बात पर चोट खाई है हमने
उस बात पर हुए तुम हमसे खफा...
15. Let's Learn English आओ अंग्रेजी सीखें ! A. Grammar 2. The Degrees अवस्थाएं !
(A) Positive Degree सामान्य अवस्था
Form : Subject + helping verb + as(not so) + PD + as + Object.
ex. He is not so tall as I.
वह उतना ऊँचा नहीं है जितना कि मैं।
Indore is not so hot as Gwalior.
इंदौर उतना गर्म नहीं है जितना कि ग्वालियर।
No other student of my class is so intelligent as she.
मेरी कक्षा का कोई भी विद्यार्थी उतना बुद्धिमान नहीं है जितना कि वह।
No other lady in the world was so beautiful as Venus.
दुनिया में कोई भी महिला उतनी सुन्दर नहीं थी जितनी कि वीनस।
You are as foolish as your friend.
तुम उतने ही मुर्ख हो जितना कि तुम्हारा मित्र।
This knife is as sharp as that.
यह चाकू उतना ही तेज है जितना कि वह।
(B) Comparative Degree तुलनात्मक अवस्था
Form : Subject + helping Verb + CD + than + Object.
ex. I am taller than him.
मैं उससे ज्यादा ऊँचा हूँ।
Gwalior is hotter than Indore.
ग्वालियर इंदौर से ज्यादा गर्म है।
She is more intelligent than all other students of my class.
वह मेरी कक्षा के अन्य सभी विद्यार्थियों से ज्यादा बुद्धिमान है।
Venus was more beautiful than all other ladies in the world.
वीनस दुनियां की अन्य सभी महिलाओं से ज्यादा सुन्दर थी।
You are not more foolish than your friend.
तुम अपने मित्र ज्यादा मूर्ख नहीं हो।
This knife is not sharper than that.
यह चाक़ू उस चाकू से ज्यादा तेज नहीं है।
(C) Superlative Degree सर्वोच्च अवस्था
Form : Subject + helping verb + the + SD + Object.
ex. She is the most intelligent of all other student of my class.
वह मेरी कक्षा के अन्य सभी विद्यार्थियों में सबसे ज्यादा बुद्धिमान है।
Venus was the most beautiful of all other ladies in the world.
वीनस दुनियां की अन्य सभी महिलाओं में सबसे ज्यादा सुन्दर थी।
He was the greatest of all other poets.
वह अन्य सभी कवियों में सबसे ज्यादा महान था।
This is the tallest building of Indore.
यह इंदौर की सबसे ऊँची ईमारत है।
That was the best book of my library.
वह मेरे पुस्तकालय की सबसे अच्छी किताब थी।
B. Vocabulary : शब्दकोष !
Form : Subject + helping verb + as(not so) + PD + as + Object.
ex. He is not so tall as I.
वह उतना ऊँचा नहीं है जितना कि मैं।
Indore is not so hot as Gwalior.
इंदौर उतना गर्म नहीं है जितना कि ग्वालियर।
No other student of my class is so intelligent as she.
मेरी कक्षा का कोई भी विद्यार्थी उतना बुद्धिमान नहीं है जितना कि वह।
No other lady in the world was so beautiful as Venus.
दुनिया में कोई भी महिला उतनी सुन्दर नहीं थी जितनी कि वीनस।
You are as foolish as your friend.
तुम उतने ही मुर्ख हो जितना कि तुम्हारा मित्र।
This knife is as sharp as that.
यह चाकू उतना ही तेज है जितना कि वह।
(B) Comparative Degree तुलनात्मक अवस्था
Form : Subject + helping Verb + CD + than + Object.
ex. I am taller than him.
मैं उससे ज्यादा ऊँचा हूँ।
Gwalior is hotter than Indore.
ग्वालियर इंदौर से ज्यादा गर्म है।
She is more intelligent than all other students of my class.
वह मेरी कक्षा के अन्य सभी विद्यार्थियों से ज्यादा बुद्धिमान है।
Venus was more beautiful than all other ladies in the world.
वीनस दुनियां की अन्य सभी महिलाओं से ज्यादा सुन्दर थी।
You are not more foolish than your friend.
तुम अपने मित्र ज्यादा मूर्ख नहीं हो।
This knife is not sharper than that.
यह चाक़ू उस चाकू से ज्यादा तेज नहीं है।
(C) Superlative Degree सर्वोच्च अवस्था
Form : Subject + helping verb + the + SD + Object.
ex. She is the most intelligent of all other student of my class.
वह मेरी कक्षा के अन्य सभी विद्यार्थियों में सबसे ज्यादा बुद्धिमान है।
Venus was the most beautiful of all other ladies in the world.
वीनस दुनियां की अन्य सभी महिलाओं में सबसे ज्यादा सुन्दर थी।
He was the greatest of all other poets.
वह अन्य सभी कवियों में सबसे ज्यादा महान था।
This is the tallest building of Indore.
यह इंदौर की सबसे ऊँची ईमारत है।
That was the best book of my library.
वह मेरे पुस्तकालय की सबसे अच्छी किताब थी।
Opposite Words : विरुद्धार्थी शब्द !
Above ऊपर / Below नीचे
Ancient पौराणिक / Modern आधुनिक
Accept स्वीकार करना / Reject अस्वीकार करना
Attract आकर्षित करना / Repel प्रतिकर्षित करना
Attack आक्रमण करना / Defend रक्षा करना
Arrival आगमन / Departure प्रस्थान
Allow अनुमति देना / Forbid मना करना
Barren बंजर / Fertile उपजाऊ
Bravery बहादुरी / Timidity कायरता
Borrow उधर लेना / Lend उधर देना
Boon वरदान / Bane अभिशाप
Barbarous असभ्य / Civil सभ्य
Blunt धारहीन / Sharp धारदार
Bright चमकीला / Dark अँधेरा
Ascend चढ़ना / Descend उतरना
Collect जमा करना / Scatter बिखेरना
Cheerful खुश / Cheerless दुखी
Conceal छिपाना / Reveal उजागर करना
Care ध्यान देना / Neglect उपेक्षा करना
Creditor उधर देने वाला / Debtor कर्ज़दार
Cause कारन / Effect प्रभाव
Deep गहरा / Shallow उथला
Domestic घरेलु / Wild जंगली
Broad चौड़ा / Narrow सकरा
Bold साहसी / Timid डरपोक
Comic हास्य / Tragic दुःखद
Correct सहीं / Incorrect गलत
Cash नगद / Credit उधार
Confess स्वीकार करना / Deny इंकार करना
Enthrone सिंहासनारूढ़ होना / Dethrone सिंहासन से उतरना
Ebb घटना / Rise बढ़ना
Examiner परीक्षक / Examinee परीक्षार्थी
Finite निश्चित / Infinite अनिश्चित
Frequent अक्सर / Occasional कभी कभी
Freedom स्वतंत्रता / Slavery ग़ुलामी
Faith विश्वास / Doubt संदेह
Entrance प्रवेश / Exit निर्गम
Economy बचत / Extravagance फिजूलखर्ची
Generous उदार / Mean अनुदार
Genuine सच्चा / False झूठा
a. What is the day today?
आज कौन सा दिन है ?
b. Today is Tuesday.
आज मंगलवार है।
a. What was yesterday?
कल क्या था ?
b. Yesterday was Monday.
कल सोमवार था।
a. What will be tomorrow?
कल क्या होगा ?
b. Tomorrow will be Wednesday.
कल बुधवार होगा।
a. What was the day before yesterday?
कल के पहले कौन सा दिन था ?
b. It was Sunday. रविवार था।
a. What will be the day after tomorrow?
कल के बाद कौन सा दिन होगा ?
b. It will be Thursday. गुरुवार होगा।
a. What comes after Thursday?
गुरुवार के बाद क्या आता है ?
b. Friday comes after Thursday.
गुरुवार के बाद शुक्रवार आता है।
a. What comes before Sunday?
रविवार के पहले क्या आता है ?
b. Saturday comes before Sunday.
रविवार के पहले शनिवार आता है।
a. How many days are in a week?
एक सप्ताह में कितने दिन होते हैं ?
b. There are seven days in a week.
सात दिन होते है।
a. How many days are in a year?
एक साल में कितने दिन होते हैं ?
b. There are three hundred sixty five days in a year.
एक साल में तीन सौ पैसठ दिन होते है।
a. What are the names of months?
महीनों के नाम क्या हैं ?
b. The names of months are January, February, March, April, May, June, July, August, September, October, November, and December. महीनो के नाम हैं - जनुअरी, फेब्रुअरी, मार्च, एप्रिल, मे, जून, जुलाय, ऑगस्ट, सेप्टेम्बर, ऑक्टोबर, नोवेम्बर, एंड डिसेम्बर।
a. How many weeks are in a month.
एक महीने में कितने सप्ताह होते हैं ?
b. There are four weeks in a month.
एक महीने में चार सप्ताह होते हैं।
a. How many weeks are in a year?
एक साल में कितने सप्ताह होते हैं ?
b. There are fifty two weeks in a year.
एक साल में बावन सप्ताह होते हैं।
a. What are the names of seasons?
ऋतुओं के नाम क्या हैं ?
b. The names of seasons are summer, rain, winter, spring, and autumn.
ऋतुओं के नाम हैं - ग्रीष्म, वर्षा, शीत, बसंत, और शरद/पतझड़।
a. Which season do you like most?
आपको कौन सा मौसम सबसे ज्यादा पसंद है ?
b. I like winter season.
मुझे ठण्ड का मौसम पसंद है।
a. Why do you like winter season?
आपको ठण्ड की ऋतू क्यों पसंद है ?
b. Because it is beautiful, clean, and comfortable.
क्योंकि यह सुंदर, साफ़, और आरामदायक होती है।
a. What are the months of rain?
बारिश के महीने कौन से होते हैं ?
b. The months of rain are - July, August, September, and October.
बारिश के महीने होते है - जुलाय, ऑगस्ट, सितम्बर, और ऑक्टोबर।
a. What is the time by your watch?
आपकी घड़ी में कितना बजा है ?
b. 7:00 = It is seven o'clock.
7:15 = It is quarter past seven.
7:30 = It is half past seven.
7:45 = It is quarter to eight.
7:50 = It is ten minutes to eight.
8:05 = It is five minutes past eight.












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