1. 'काव्यगाथा' ऑनलाइन पाक्षिक पत्रिका Kavygatha Online Magazine 30/04/23



 'Kavygatha' Online Magazine (fortnightly) 30/04/23

''काव्यगाथा'' ऑनलाइन पाक्षिक पत्रिका! One plus One ऑफर 

नोट : यदि आप काव्य गाथा पत्रिका के सदस्य बन जाते हैं तो आपको अपना वीडियो फ्री में हमारे यू ट्यूब चैनल पर पब्लिश करने का मौका मिलेगा!

          दोस्तों, काव्यगाथा ऑनलाइन पत्रिका (पाक्षिक) हर महीने की 15 और 30 तारिख को kavygatha blog पर google पर प्रकाशित होती है। इसमें आपको निम्नलिखित चीजें पढ़ने एवं लिखने को मिल जाएँगी -

1. सदस्यों की स्वरचित कवितायेँ, कहानियां, लेख, संस्मरण, आदि। 

2. अंग्रेजी सीखने की इच्छा रखने वालों के लिए सरल भाषा में हर संस्करण में grammar, translation, vocabulary, speaking सम्बंधित मैटर इसमें छपेगा। 

3. रचनाएँ हिंदी, मराठी, एवं अंग्रेजी में स्वीकार की जावेगी। 

4. यदि आप लेखक, कवि, कलाकार, या कोई प्रोफेशनल हैं तो आप इसके सदस्य बनकर अपनी संस्था के बारे में भी लेख के  माध्यम से समय समय पर छाप सकते हैं। 

5. यदि आप घर बैठे अपनी इंग्लिश इम्प्रूव करना चाहते हैं तो इसके सदस्य बनकर लाभान्वित हो सकते हैं।

6. नोट : कविताएं या रचनाएँ ''पहले भेजो पहले छपवाओ'' के आधार पर प्रकशित की जाती हैं।  

सदस्य्ता हेतु अभी संपर्क करें 

Call now : Parihar Sir 9977577255    

इसके पहले वाली पत्रिका देखने के लिए क्लिक करें: काव्य गाथा पाक्षिक 15/04/23

"Kavygatha" Magazine Pattern

1. Editorial संपादकीय

2. Index अनुक्रमणिका

3. Poems, stories, articles कविता, कहानी, लेख 

4. Let's Learn English आओ इंग्लिश सीखें

     a. Grammar

      b. Speaking

      c. Vocabularies

      d. Test Yourself

      e. Answer of Last TY

5. Your Letters (comments) आपके पत्र 

अनुक्रमणिका

1. कामकाजी महिलाएं! : आशा

2. गुनगुनी धूप! : अरुणा पाटनकर

3. आओ बैठो पास हमारे! : त्रिलोक शर्मा 

4. मैं लहराता तिरंगा हूं! : विजी अशोक 

5. रक्तदान ! : निर्मला गोहिया 

6. संघर्ष! : अखिलेश परिहार 

7. किताबों की बोली! : पुष्पा पटेल 

8. बचपन! : दीपा मालवीय 

9. कामवाली बाईयां! : अनुराधा देशमुख

10. जिंदगी! : सृष्टि देशमुख

11. सपनों की उड़ान! : पलक साबले

12. जिंदगी को यूं! : चेतन सिकरवार 

13. पिता ! : रामानंद बेले 

14. वो कौन है! : सृष्टि तिवारी 

15. बच्चे! : लक्ष्मण खंडाग्रे

16. परम्परा! : विद्या निर्गुडकर 

17. आओ इंग्लिश सीखें! : प्रहलाद परिहार 

1. कामकाजी महिलाएं ! (कविता : आशा, बैतूल)



कामकाजी महिलाओं पर होता, दोहरी ज़िंदगी का भार ,

कुछ अपनों की अपेक्षाएं, कुछ कार्यालयीन कार्य की मार। 

दोनों पक्षों को संतुलित करने में, थक कर हो जाती वो बेजार,

फिर भी सहन करती रहती , दूसरों के तानों का वार। 

हर जगह सफाई देनी पड़ती उसे, कर न सकती कभी इंकार,

उस पर हर पल लोगों की नज़र, बस एक चूक का होता इंतज़ार।

खुद के लिए वक्त न निकाल कर, दूसरों की इच्छाओं को संवार,

परिपूर्ण खुद को करती हुई, जाती वो परिस्थितियों से हार। 

दोष देती खुद को, खुद से ही करती शिकायतें अपार ,

खुद से ही जूझने के लिए, खुद में खुद ही लाती निखार। 

एक गृहणी की उसमे अपेक्षाएं, कार्यालय में पुरुषों के समतुल्य व्यवहार,

फिर भी बखूबी निभाने की कोशिश करती है वो, ये दोहरा संसार। 

हर तरफ अपने को खींच कर, दिखाती है वो दैवीय अवतार ,

पर अंत में सब कुछ लुटाकर भी, वो जाती है खुद से हार। 

पर फिर अंतर्मन में एक सुकून होता, उससे चल रहा परिवार,

उस नाजुक से पौधे को सींच रही है वो, जो कल होंगे छायादार। 

उनकी उस शीतल छाया की आस में, अपना आज उन पर वार,

कामकाजी महिलाएं, अपनी तकलीफें भूलकर, फिर हो जाती हैं,

काम के लिए तैयार।


2. गुनगुनी धूप ! (कविता : अरुणा पाटणकर, बैतूल)



नम आँखें, ग़मगीन दिल और सब कुछ पराया सा लगता है,

तन्हां हैं, तन्हां थे ये अकेलापन और वीराना सा लगता है। 

तभी गुनगुनी धूप सी बाहें, किसी की मुझे आग़ोश में भर लेती हैं,

ग़मों की काली बदली से, फिर आशा की एक किरण निकलती है। 

दोस्त कहते हो, और हमसे ही राज़ ए दिल  छुपाते हो ?

इतने उदास होकर भी क्यों कर ना हमें बताते हो ?

खुशियां बाँटने और सैर सपाटे के लिए दोस्ती नहीं होती है यारों, 

दोस्ती की परख तो मुश्किल समय में ही होती है  यारों। 

आंसुओं की झड़ी जब दामन मेरा भिगो जाए !

तब कोई और नहीं, मेरे दोस्त ही मेरे काम आये। 

हताशा की काली बदली जब कभी भी घेरे मुझे !

ये दोस्त गुनगुनी धूप से फिर यूँ ही सदा चले आये। 

ये दोस्त गुनगुनी धूप से फिर यूँ ही सदा चले आये !


3. आओ बैठो पास हमारे ! (गीत : त्रिलोक शर्मा, हरदा) 



आओ बैठो पास हमारे, अलकें आज संवार दूँ। 

अपनी खुशियों की गठरी से, तुमको कुछ उपहार दूँ। 

जीवन की आपाधापी में,

हम तुम इतने निरत रहे। 

दो पल बैठ न बतियाये कुछ,

इक दूजे से विरत रहे। 

मन के शब्द रूप भावों को, तुम पर आज निसार दूँ। 

आओ बैठो पास हमारे, अलकें आज संवार दूँ। 

माली बनकर बगिया में की,

सपनों की पुरजोर बुआई।

कुसमय एक चली पुरबैया ,

सारी फसल हुई हरजाई। 

सुख दुःख की बहती धारा में, बाहों की पतवार दूँ। 

आओ बैठो पास हमारे, अलकें आज संवार दूँ। 

बड़े प्यार से तिनके चुन चुन,

चिड़िया नीड़ बनाती है। 

अण्डे, चूजे, पंख, आसमां,

एकाकी रह जाती है। 

मैं क्यों निष्ठुर बनूँ, आज बढ़, उनकी राह बुहार दूँ। 

आओ बैठो पास हमारे, अलकें आज संवार दूँ।

4. मैं लहराता तिरंगा हूँ ! (कविता : विजी अशोक, आकाशवाणी, भोपाल)



वो सरहद पर देश का रक्षक,

मैं घर से कर्तव्य निभाती हूँ ,

देश प्रेम रगों में उसके बहता,

मैं कोख में ही पाठ कराती हूँ।

वीरता कोख से विरासत में लिए,

वो सरहद पर शौर्य दिखाता है। 

मैं संस्कार और भावनाएं लिए,

परम्पराओं को निभाती हूँ। 

दुश्मन को मिटाने का सामर्थ्य उसमें,

वो हिंदुस्तानी परिचय देता है। 

अपनी संस्कृति और सभ्यता बचाकर,

मैं भी देश का मान बढाती हूँ। 

वो अस्त्र-शस्त्र और बल से युक्त,

सरहद पर तैनात जवान। 

मैं भी झाँसी वाली रानी हूँ,

गृहस्थी का जिम्मा कन्धों पर लिए,

रोज लड़ाई लड़ती हूँ। 

अंतर नहीं हम दोनों की भक्ति में,

हम दोनों ही देश की शक्ति हैं। 

वो सरहद पर पहरा देता है,

मैं भीतर शांति कायम रखती हूँ। 

वो देश का अशोक स्तम्भ अगर,

तो मैं शान से लहराता तिरंगा हूँ।

5. रक्तदान ! (गीत : निर्मला गोहिया, बैतूल)



रक्तदान हमारा अमर रहेगा, याद करेगा जहाँ ,

रक्तदान ये महादान है, दुनियां में सबसे महान।  

तुम दानी हो इस दुनियां में, ऐसा कोई कहाँ ...  


हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, रक्त तो इन सबसे परे है,

रक्त की  जाति पाती नहीं है, ये तो सबके रग में बहे है। 

 रक्त से जिनको जीवन मिलेगा, देंगे वो दिल से दुआ ... 


रोगी सलामत, हम भी सलामत, और खुदा से हम क्या चाहें,

बून्द, बून्द है अमृत जैसी, क्यों न किसी की जान बचाएं। 

महादानी हो इस दुनियां के, ऐसा दानी कहाँ ... 

6. संघर्ष ! (मुक्तक : अखिलेश परिहार '' अबोध'', बैतूल बाजार) 

मूरत इक  पत्थर  से बोली, 

 मैंने  सहे हैं बहुत प्रहार। 

छलनी होकर छैनी से,

पाया मैंने यह आकार। 

हर आघात से लगता था,

अब  निकला दम, तब निकला दम। 

विचलित हुई न टूटी मैं, 

कष्टों से ना  मानी हार। 

सीखा मैंने संघर्षों में, 

 पलता है जो। 

नतमस्तक होती दुनिया और 

क़दमों में उसके  संसार।

7. किताबों की बोली ! (कविता : पुष्पा पटेल, बैतूल) 

 किताबों की बोली, हम सबकी है हमजोली,

करती तरह-तरह की बातें, सिखाती  दुनिया की कयनातें। 

बीते ज़माने की आजमाने की, कल की एक-एक पल की,

खुशियों की, ग़मों की , दुखियों की, बमों की। 

जीत की, हार की, मार भगाने  प्यार की ,

किताबों में है जीवन का राज, विज्ञान की पूरी है  आवाज़,

किताबों का है बहुत बड़ा संसार, इसलिए आता रोज अख़बार। 

इनको पढ़कर बनते विचार, विचार, 

शब्द, वाक्य से बनते संस्कार।

संस्कार होते कांच के समान,

रखना है इनका पूरा ध्यान।

यही तो बनाते मुझे विद्वान!


 8. बचपन ! (कविता : दीपा मालवीय "दीप", बैतूल)



 बचपन बचपन

हाय रे ये पचपन

मां की गोद, पिता का कंधा,

बड़ा मजेदार था वो जमाना।


डाट पड़े तो मां के आंचल में छिप जाना,

स्कूल न जाने का रोज़ होता नया बहाना।


बड़ा सकून देता था वो बचपन का जमाना,

न चिंता, न कोई फिक्र, न था कुछ कमाना।

था तो बस छोटा सा दिल, 

छोटी सी आशा और मस्ती का खज़ाना,


कभी लड़ाई झगड़ा ,तो कभी था रूठना मनाना ।

फिर अपनो के संग अपनो का प्यार पा जाना ।


दोस्तों के संग आम जामुन के पेड़ पर चढ़ जाना,

और माली काका से छिप कर बाग से अमरूद चुराकर खाना।


बड़ा ही आनंद देता वो बचपन का जमाना

हाय रे आज ये पचपन का जमाना 😂😂


9. कामवाली बाईयां (कविता : अनुराधा देशमुख, बैतूल)



यह काम वाली बाईयां भी

कितना जतन करती है परिवार पालने के लिए

घर के काम निपटा कर सुबह से ही निकल जाती है

घर-घर जाकर हम लोगों की जिंदगी भी संवारती 

चंद पैसों की खातिर इतनी मशक्कत करती हैं..

सच में इनकी बिना जीवन अधूरा है

इनकी बदौलत ही कितने काम पूरे करते हैं हम

एक दिन न आए तो चांद तारे नजर आ जाते हैं

उफ्फ कितने काम पड़े हैं?

कभी अगर नहीं आई तो

हम लोग क्या-क्या बोल जाते हैं उन्हें..

पता नहीं कहां चली गई कितनी छुट्टी मारती है 😌

सोचो जरा....

अपने घर का काम निपटा कर

इतने सारे घरों का झाड़ू पोछा

बर्तन कपड़ा कर थक जाती होगी वह भी😌

मन करता होगा एक दिन बच्चों के साथ बिता ले

मन करता होगा आज घर पर ही आराम कर ले

उसका भी मन करता होगा 

एक दिन संडे के बिना संडे मना ले..

सच में काम वाली बाईयां

इनके बिना जीवन अधूरा है हमारा

दे दिया करो कभी-कभी छुट्टी बिना वजह ही

या रख दिया करो कभी कोई

 ऐसी चीज उसके हाथों में जिसकी उसे जरूरत है

दे दिया करो कभी कभी उसके बच्चों के लिए गिफ्ट

यही तो छोटी-छोटी खुशी वह हमसे चाहते हैं

थोड़ा सा प्यार थोड़ी सी परवाह चाहते हैं.....   

10.  ज़िंदगी ! ( सृष्टि देशमुख, बैतूल )



कुछ ख्वाइशे......

कुछ बीती बातें.....

कुछ अनकहे अल्फाज़......

कुछ बाते.....

कुछ साथ.....

कुछ खुशियां.....

कुछ उदासी.....

कुछ मुलाकातें.....

कुछ बिछड़ते रिश्ते.....

कुछ उलझने.....

कुछ खामोशी.....

कुछ एहसास.....

और क्या.....

बस यही है ज़िंदगी 

चलते रहो...

फिल्मी गानों के बोल पढ़े और देखें : Ppkfilmylyrics

11. सपनों की उड़ान अधूरी सी! (कविता : पलक सबले, बैतूल)



हवा का रूख कुछ बदल सा गया,

वो मुस्कुराता चेहरा,उदास सा हो गया|

ख्वाहिश थी उसकी आसमां को छूने जैसी,

जिंदगी की इस मोड़ पर ये हकीकत बन गई कैसी|

अपने अरमानों को नया मुकाम देना चाहती,

फ़िर क्यो वो घर की चार दीवारों में बंद रह जाती |

कहते हैं घर में लक्ष्मी आई,

फ़िर क्यो वो लक्ष्मी घर की चौखट   लांघ न पाई|

वो अपनी किस्मत अपने हाथो लिखना चाहती ,

पर  क्यो उसकी जिंदगी की कलम उसके हाथो नहीं दी जाती |

हाथो में पुस्तक रखने की उम्र में रसोई के बरतन पकड़ा दिए जाते,

खेलने की उम्र में, घर को संजोकर रखने की जिम्मेदारियो दे दी जाती |

संस्कार, मर्यादा का पाठ उसे परिपूर्ण देते, फिर क्यों 

अपने संस्कारों पर भरोसा करके उसे उड़ान भरने न देते| 

वो भी चाहती खुले गगन में उड़ना,

अपने पंखो से नई उचाईया छुना, वो भी चाहती सुनहरी जिंदगी,

न हो किसी की बंदगी|

12. जिंदगी को यूं! (ग़ज़ल : चेतन सिकरवार)



ज़िन्दगी को यूं निभाना है तुझे।

ज़ख्म सहकर मुस्कुराना है तुझे।


लाज़मी है मुश्किलें आयेंगी पर।

जो भी हो बस चलते जाना है तुझे।


तीरगी खुद पर गुमां करने लगी।

अब चराग़ों को जलाना है तुझे।


वो जो पत्थर फेंकतें हैं बारहा।

उनको आईना बनाना है तुझे।


बुझते रिश्तों के दिये कहकर बुझे।

लाश अपनी खुद जलाना है तुझे।


ना समन्दर,ना नदी मिलनी यहां।

प्यास अश्कों से बुझाना है तुझे।

13. पिता ! (कविता : रामानंद बेले, आमला)



माँ की ममता का जग में नहीं शानी कोई ,

पर पिता बिन हमारी क्या पहचान है ?

माँ की गोदी में तो प्यार पाते हैं सब,

परवरिश से पिता की क्या अनजान हैं। 


मुश्किलों की जो घड़ियाँ हैं आती अगर ,

तब पिता ही तो रहते हैं हरदम खड़े। 

गलतियां बेटे की है वो जाने है मगर ,

अपने बेटे की खातिर जो हरदम लाडे। 

हौसलों ने पिता के न रोने दिया,

इस धरा का पिता भी तो भगवान् है। 


हर जरुरत को पूरा पिता ही करे ,

अपनी खुशियों का करके सदा  दमन। 

डाटते गलतियों पर, करे प्यार भी ,

उनके जज़्बों को क्यों न करें हम नमन। 

सर पे साया है जब तक न चिंता कोई ,

उनसे उम्मीद सारी , और अरमान हैं। 


मन में तूफान हरदम ही जज़्बातों का ,

उनकी रातें भी जागकर ही कट जाती हैं। 

सारे दुखदर्द हंसकर ही सह जाये जो। 

उनकी हिम्मत से मुश्किल भी हट जाती है। 

छाँव बरगद की मिलती है जब तक पिता,

''राजन'' बिन उनके जीवन ये वीरान है।  

14. वो कौन है वो कैसी है ? (कविता : सृष्टि तिवारी, दिल्ली)



वो कौन है वो कैसी है ,

कुछ खास नहीं, वो कुछ कुछ आप जैसी है। 

कभी कोई पहेली है, तो कभी आपकी सबसे अच्छी सहेली है,

अफ़सोस है कि वो, किसी किसी के अफ़सोस की तरह है,

तो किसी किसी के आक्रोश की तरह है। 

किसी का हौसला है तो किसी का जूनून है ,

किसी का फैसला है तो किसी का सुकून है। 

वो अलग नहीं मगर खास है , 

वो आपके दिल की आवाज़ है। 

वक्त से आपकी आस है , 

वो जीवन का असली अंदाज़ है।

वो आदर भी है और आदर्श भी,

आम ही है वो मगर, उससे उम्मीद काफी खास है। 

उसके मन पर दुनियां भर की आशाओं का भार है। 

लोग कहते हैं शक्ति है ,

बृह्मा की सबसे खूबसूरत अभिव्यक्ति है वो। 

त्याग भी है , समर्पण भी ,

उसके अस्तित्व में है आकर्षण भी ,

मगर कभी कभी क्यों वो खुदगर्ज़ नहीं ,

अपने ही लिए आदर्श नहीं ,

अपनी ही ख्वाहिश का उत्कर्ष नहीं। 

वक्त तो है वो इस चक्र का मगर, व्यक्तिगत नहीं !

15. बच्चे .. (कविता : लक्ष्मण खंडाग्रे , नागपुर )



प्यारे बच्चे, नादान बच्चे, शरारती बच्चे,

इस जहाँ में , खुशियों का संसार बच्चे। 

बच्चों के बिना घर सूना, स्कूल सूना,

सारा जहाँ सूना , सूना ...

सारी थकान मिट जाती है, बच्चों की मुस्कान देखकर,

सब विचलित हो जाता है , बच्चों का रोना देखकर। 

बच्चों को कोई रुलाये ना,

बच्चों को सब हंसाते रहना  ... 

बढ़ते हैं जब नन्हें नन्हें कदम हमारी ओर ,

लगता है सारे जहाँ की खुशियां बढ़ रही हैं हमारी ओर। 

बिटिया जो मैं होता पंक्षी, तेरे पास उड़ आता रे ,

जो मैं होता चंदा, आसमां से तुझको हंसाता रे। 

तुझको मैं डांटूं तो बुरा मत मान रे ,

तुझको मैं बनाना चाहता हूँ अपनी शान रे ! 


16. परंपरा ! (लघुकथा : विद्या निर्गुड़कर , बैतूल )



                आज बहुत समय बाद गाँव आने का मौका मिला और वो भी शादी के मौके पर।  ऑटो से उतरते ही आँगन  दरवाजे पर सुन्दर बेलबूटे उकेरी हुई, बीचो-बीच गणेश जी बने हुए, दरवाजे की सुंदरता बढ़ा रहे थे।  सुन्दर रंगोली आँगन की शोभा बढ़ा रही थी।

                    इतने में शोभा छोटी बाल्टी में पानी लेकर आई और बोली जल्दी से पांव धो लो।  हम तीनों ने पांव धोये और अंदर आ गए।  चांदी के गिलासों में पानी साथ में थोड़ा गुड़ दिया गया, मैंने गिलास उठाया वैसे ही शोभा बोली,''अरे थोड़ा गुड़ खा के पानी पियो, धूप से आ रहे हो। '' बेटू को ये सब अजीब लग रहा था। लेकिन उसे कुंए पर नहाना बहुत अच्छा लगा। यह सब उसके लिए अलग लग रहा था। 

                        अब खाने की पंगत ज़मीन पर बैठ कर, टेकने को लोड, आगे चौकी, उसपे केले का पत्ता ! उसी पर खाना परोसा गया। सभी भोजन करने लगे पर बेटू सब देखता रहा और आहिस्ता से अपनी माँ से बोला,''इनके यहाँ प्लेट नहीं है ?'' माँ बोली ,''ऐसा नहीं  बेटा, केले के पत्ते पर खाना खाना शुभ माना जाता है। '' बेटू ने जैसे तैसे दो पूड़ी खाई। पर मन में कई प्रश्न थे, आखिर उसकी माँ ने उसे समझाया - यह बहुत अच्छा होता है , इस पत्ते पर गरम खाना परोसने से इसमें के रसायन हमारे  पेट में जाते हैं जो हमारे लिए फायदेमंद होते हैं।  इसमें सफाई अधिक रहती है।  पत्ते और उस पर बचे हुए भोजन को जानवर खा लेते हैं।  हमारी पुरानी परम्परा यही है जिसे हम भूलते जा रहे हैं। पुरानी परम्पराएं बहुत सोच समझकर बनाई हुई हैं। (समाप्त)       

 


आओ इंग्लिश सीखें ! Let's Learn English! 

  1. How to Write Correct English Spelling!





शब्दों को बनाने के लिए दो चीजों की जरूरत होती है  - स्वर और व्यंजन। 

1. स्वर ( Vowels - a, e, i, o, u)
अ    आ    इ    ई    उ    ऊ    ए   ऐ    ओ    औ        अं        ाः 
 a    aa      i    ee   u   oo    e   ai      o     au      am(n)     ah 

२. व्यंजन (Consonants) 
क     ख      ग    घ         ड    ड़    च       छ      ज    झ 
Ka  kha   ga   gha    da    ra  cha   chha  ja   jha
ह     ल      व          य     र     ब     भ      म      न      ण
ha   la   va(wa)    ya   ra    ba   bha   ma   na    na 
प       फ        स     श     ष     त   थ    ट    ठ     द   ध
pa  fa(pha)   sa  sha  sha  ta  tha  ta  tha  da dha  
ढ      ढ़        श्र      त्र       ज्ञ     ऋ       क्ष 
dha  rha    shra   tra    gya   rishi    ksha 

3. Consonants with Vowels बारहखड़ी 
 क     का    कि    की     कु      कू      के    कै     को    कौ      कं          कः 
ka    kaa   ki    kee   ku    koo   ke   kai   ko   kau   kam(n) kah  

4. बिना स्वर वाले अक्षर को अपूर्ण या हलके उच्चारण वाला मन जाता है।  अर्थात यदि किसी अक्षर को पूर्ण लिखना हो या उसका उच्चारण पूरा करना हो तो उसके साथ 'a' लगा दिया जाता है।
जैसे - कमल Kamal,   कमला Kamla,   कल्पना Kalpana,  आदि 

5. सामान्यतः लम्बे उच्चारण के लिए बड़ी मात्रा तथा छोटे उच्चारण के लिए छोटी मात्रा का प्रयोग किया जाता है परन्तु हिंदी के शब्दों को अंग्रेजी में लिखते समय अधिकतर छोटी मात्रा का ही प्रयोग किया जाता है। 
जैसे - aa = a | oo = u | ee = i |
मा Maa,  मानसरोवर Mansarovar,
घी Ghee,  घीसूराम Ghisuram,  
सीता Sita,   मीना Meena 

6. शब्दों की रचना क्रमशः उच्चारण के आधार पर की जाती है अर्थात जिसका उच्चारण पहले होता है उसे पहले लिखा जाता है और जिसका उच्चारण बाद में होता है उसे बाद में लिखा जाता है। जैसे - सूर्योदय Suryoday,  
        अग्निहोत्री Agnihotri,  
        कुरुक्षेत्र Kurukshetra   
        अज्ञानी Agyani,   
        नरसिंगढ Narsingarh,   
        परतवाड़ा Paratwada,  
       भैंसदेही Bhainsdehi, 
        ब्यावरा  Byavra,   
       व्यवस्थापिका Vyavasthapika, 
       श्रीवास्तव Shrivastava, 
       ऋतम्भरा Ritambhara, 
       तिरुअनंतपुरम Tiruanantpuram, 
       नसीरुद्दीन शाह  Naseeruddin Shah, आदि।

7. Some Important English Pronounciations 
कुछ महत्वपूर्ण उच्चारण   
अ  =  A,  E,  I,  EA,  U  
Attack अटैक, Percent परसेंट, Sir सर, Pearl पर्ल, Umbrella अम्ब्रेला

इ  =  I, E, Ee, Ea, Y

Institute इंस्टिट्यूट, Engineer इंजीनिअर, See सी, Tea टी, Physics फिजिक्स 

ए  = A, E, Ai, Ay, Ei

Action एक्शन,   Egg एग्ग,   Said सैड , Pay  पे ,  Eight एट 

क  = K, C, Ck, Ch, Q

Kite काइट ,  Cat  कैट ,  Pack पैक ,   Chemistry केमिस्ट्री ,   Queen क्वीन

च = Ch, Tu = Chair  चेयर ,  Future फ्यूचर 


ज = J, Z, G, S

Judge जज , Zoo जू , Page पेज , Was वाज़ 

स = S, C, Sc, SS

Seat सीट , Centre सेंटर , Science साइंस , Pass पास 

श/ष  = Sh, Shio, Tio, SSio

Cash कैश , Fashion फैशन , Action एक्शन , Admission एडमिशन 

नोट : इंगलिश स्पेलिंग को भी उच्चारण के आधार पर ही बनाया जाता है परन्तु इंग्लिश की स्पेलिंग को हम अपने हिसाब से परिवर्तित नहीं कर सकते हैं।  हमारी स्पेलिंग सहीं है या गलत इसकी जाँच हम डिक्शनरी देख कर ही कर सकते हैं। आइये कुछ स्पेलिंग बनाकर देखें -


स्कूल              school                           
स्टूडेंट             student 
आर्गेनाइजेशन    organization   
एडमिनिस्ट्रेशन   administration
लिटरेचर           literature                  
फंडामेंटल           fundamental 
कैरेक्टराइजेशन   characterization  
ऑटोबायोग्राफिकल   autobiographical 
फिलोसोफिकल   philosophical 
इंटरनॅशनलाइज़ेशन internationalization, etc.

2. Spoken English : Introduction परिचय 

a. What is your name?
a. What is your name?
    आपका नाम क्या है ?
b. My name is Pramod Gupta.
     मेरा नाम प्रमोद गुप्ता है। 
a. What do you do?
     आप क्या करते हो ?
b. I am a student.
    मैं एक विधार्थी हूँ। 
a. Where do you live?
    आप कहाँ रहते हो ?
b. I live at Sadar in Betul.
     मैं बैतूल के सदर में रहता हूँ। 
a. What is your father name.
    आपके पिता का नाम क्या है ?
b. My father name is Mr. Sohan Gupta.
    मेरे पिता का नाम श्री सोहन गुप्ता है। 
a. What is your mother name?
    आपकी माँ का नाम क्या है ?
b. My mother name is Mrs Seema Gupta.
    मेरी माँ का नाम श्रीमती सीमा गुप्ता है। 
a. What does your father do?
     आपके पिताजी क्या करते हैं ?
b. My father is a businessman.
     मेरे पिताजी एक व्यापारी हैं। 
a. What does your mother do?
     आपकी माताजी क्या करती हैं ?
b. My mother is a teacher.
     मेरी माताजी एक शिक्षिका हैं। 
a. How many brothers and sisters do you have?
    आपके कितने भाई बहन हैं ? 
b. I have one brother and one sister.
     मेरा एक भाई और एक बहन है। 
a. How old are you?
    आप कितने बड़े हैं ?
b. I am eighteen years old.
    मैं अठारह साल का हूँ। 
a. Which class do you read?
     आप किस कक्षा में पढ़ते हो ?
b. I read in B. Sc. first year.
    मैं बी एससी प्रथम वर्ष में पढता हूँ। 
a. What is your subject.
    आपका विषय क्या है ?
b. My subject is Mathematics.
    मेरा विषय गणित है। 
a. What is your college name.
    आपके कालेज का नाम क्या है ?
b. My college name is JH College, Betul.
    मेरे कालेज का नाम जे एच कालेज बैतूल है। 
a. Who is your college principal?
     आपके कालेज का प्राचार्य कौन है ?
b. Mr. Jain is our college principal.
    श्री जैन हमारे कालेज के प्राचार्य हैं। 
a. What is your hobby?
    आपका शौक क्या है ?
b. My hobby is singing and writing poems.
    मुझे गाने और कवितायेँ लिखने का शौक है। 
a. What is your favourite colour?
    आपका पसंदीदा रंग कौन सा है ?
b. My favourite colour is Red.
    मेरा पसंदीदा रंग लाल है। 
a. What is your favourite game?
    आपका पसंदीदा खेल कौन सा है ?
b. My favourite game is Basket ball.
    मेरा पसंदीदा खेल बास्केट बाल है। 
a. Who is your favourite actor?
     आपका पसंदीदा अभिनेता कौन है ?
b. My favourite actor is Amir Khan.
    मेरा पसंदीदा अभिनेता आमिर खान है। 
a. Who is your favourite actress?
     आपकी पसंदीदा अभिनेत्री कौन सी है ?
b. My favourite actress is Aishwarya Roy.
    मेरी पसंदीदा अभिनेत्री ऐश्वर्या रॉय है। 
a. Who is your Ideal Person?
    आपका आदर्श व्यक्ति कौन है ?
b. My Ideal person is APJ Abdul Kalam.
    मेरे  आदर्श व्यक्ति एपीजे अब्दुल कलाम है। 
a. Which is your favourite book?
     आपकी पसंदीदा किताब कौन सी है ?
b. My favourite book is the Bhagwat Geeta.
    मेरी पसंदीदा किताब भगवत गीता है। 
a. What do you want to be?
     आप क्या बनना चाहते हैं ?
b. I want to be an IAS officer.
    मैं एक आई ए एस  आफिसर बनना चाहता हूँ।

3. Three Forms of Verbs क्रियाओं के तीन रूप!    

Find पाना  Found पाया  Found पा चुका 
Hold पकड़ना  Held पकड़ा  Held पकड़ चुका 
Ring बजाना  Rang बजाया  Rung बजा चुका 
Run दौड़ना  Ran दौड़ा  Run दौड़ चुका 
Sing गाना  Sang गाया  Sung गा चुका 
Sink डूबना  Sank डूबा  Sunk डूब चूका 
Stand खड़ा होना  Stood खड़ा हुआ  Stood खड़ा हो चुका 
Swim तैरना  Swam तैरा  Swum तैर चुका 
Win जीतना  Won जीता  Won जीत चुका 
Arise उगना/उठना  Arose ऊगा  Arisen उग चुका 
Bite काटना  Bit काटा  Bitten काट चुका 
Break तोड़ना   Broke तोड़ा  Broken तोड़ चुका 
Choose चुनना  Chose चुना  Chosen चुन चुका 
Eat खाना  Ate खाया  Eaten खा चुका 
Fall गिरना  Fell गिरा  Fallen गिर चूका 
Fly उड़ना  Flew उड़ा  Flown उड़ चुका 
Forget भूलना  Forgot भूला  Forgotten भूल चुका 
Go जाना  Went गया  Gone जा चुका 
Know जानना  Knew जाना  Known चुका 
Ride घुड़सवारी करना  Rode घुड़सवारी की  Ridden घुड़सवारी कर चुका 
See देखना  Saw देखा  Seen देख चुका 
Shake हिलाना  Shook हिलाया  Shaken हिला चुका 
Speak बोलना  Spoke बोला  Spoken बोल चुका 
Take लेना  Took लिया  Taken ले चुका 
Throw फेकना  Threw फेका  Thrown फेक चूका 
Arrive पहुंचना  Arrived पहुंचा  Arrived पहुँच चुका 
Ask पूछना  Asked पूछा  Asked पूछ चुका 
Arrest गिरफ्तार करना  Arrested गिरफ्तार किया  Arrested गिरफ्तार कर चुका 
Bring लाना  Brought लाया  Brought ला चुका 
Build बनाना  Built बनाया  Built बना चुका 
Buy खरीदना  Bought ख़रीदा  Bought खरीद चुका 
Clean साफ़ करना  Cleaned साफ़ किया  Cleaned साफ़ कर चुका 
Catch पकड़ना  Caught पकड़ा  Caught पकड़ चुका 
Keep रखना  Kept रखा  Kept रख चुका 
Lose खोना  Lost खोया  Lost खो चुका 
Pay चुकाना  Paid चुकाया  Paid चूका चुका 
Spend खर्च करना  Spent खर्च किया  Spent खर्च कर चुका 
Teach पढ़ाना  Taught पढ़ाया  Taught पढ़ा चुका 
Weep रोना  Wept रोया  Wept  रो चुका 
Reply जवाब देना  Replied जवाब दिया  Replied जवाब दे चुका 

 और डिटेल में पढ़ें : VertexEnglish


 

  



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