3. काव्यगाथा पक्षिक पत्रिका 30/05/23 Kavygatha Magazine
3. काव्यगाथा पाक्षिक पत्रिका Kavygatha Fortnight Magazine 30/05/23
काव्यगाथा ऑनलाइन पाक्षिक पत्रिका क्या है?
यह हर पंद्रह दिन में यानी हर माह की 15 एवं 30 तारीख को प्रकाशित होने वाली ऑनलाइन पाक्षिक पत्रिका है। जिसकी सामग्री लिखित, फोटो, एवं वीडियो, के रूप में पब्लिश की जाती है। इसे दुनियां में कहीं भी google या blogger या chrome पर खोला जा सकता है, भेजा जा सकता है और पढ़ा जा सकता है। यह स्थाई रूप से ब्लॉग पर मौजूद रहती है आप जब चाहें इसे देख पढ़ सकते हैं और दूसरों को भी पढ़वा सकते हैं। यदि आप इस ऑनलाइन पत्रिका के सदस्य बनते हैं तो आपका वीडियो फ्री में हमारे इसी नाम के यू ट्यूब चैनल पर भी पब्लिश किया जा सकेगा। पत्रिका से जुड़ने के लिए संपर्क करें - 09977577255
(सम्पादकीय : प्रहलाद परिहार )
दोस्तों, kavygatha काव्यगाथा का यह तीसरा अंक आपके सामने प्रस्तुत है। आज २८/०५/२३ को हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ने देश को नवनिर्मित संसद भवन की भेंट दी है। आज हमारा नाम पूरी दुनिया में सम्मान के साथ लिया जा रहा है। मित्रों साहित्य रचना के माध्यम से हम भी देश के लिए कुछ करें ऐसी मेरी भावना है। अच्छे और बुरे लोग दुनियां में हमेशा रहे हैं। हमें अच्छाई और सच्चाई का समर्थन करना है। कुछ नकारात्मक शक्तियां हमारे समाज और धर्म दोनों को तोड़ने और मिटाने की कोशिश करती रही है। हमें अपना काम करते हुए उनका मुकाबला भी करना है। हमें अपने लोगों को भगवत गीता जैसे ग्रंथों को पढ़ने के लिए प्रेरित करना है ताकि वे भटकें नहीं और हमें अपने लोगों की यथासंभव मदद भी करना है जब वे मुसीबत में हों। पलायन किसी समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो सकता। काव्यगाथा के माध्यम से हम एक ऐसा रचना संसार बनाना चाहते हैं जिसमे सबके लिए जगह हो, कोई भेदभाव नहीं हो। एक ऐसे रचनाकारों का समूह जो अपने देश, धर्म और समाज को प्रेम करता हो और उसके उत्थान के लिए सच्चे दिल से कुछ करना चाहता हो। दुनियां में सभी को कुछ न कुछ तकलीफ है। हमारी कोशिश है कि हम जब तक जियें अपने आस पास अपनी रचनाओं और अन्य गतिविधियों के माध्यम से खुशियों का संचार करें। इस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से आपको क्या मिल सकता है ये हमने नीचे बताने की कोशिश की है। उम्मीद है आपको हमारी यह कोशिश पसंद आएगी। शुभकामनाओ के साथ ! आपका शुभचिंतक और मित्र : प्रहलाद परिहार !
पत्रिका की सदस्यता के लाभ :
1. रचनाकार इसमें साल भर में 24 बार (हर अंक में) अपनी रचनाएं छपवा सकते हैं, और एक क्लिक से दुनिया में कही भी शेयर कर सकते हैं।
2. कलाकार, सौंदर्य विशेषज्ञ, या अन्य कोई प्रोफेशनल इसमें अपने कार्य संबंधी लेख लिख सकते हैं, अपना साक्षात्कार छपवा सकते हैं (वीडियो भी बनवा सकते हैं), जिससे उनके संपर्क का दायरा विश्वस्तरीय होगा और उन्हें ज्यादा से ज्यादा काम मिलेगा।
3. साथ ही जो लोग अपनी इंग्लिश इंप्रूव करना चाहते हैं या लिखना, पढ़ना एवं बोलना सीखना चाहते हैं उनके लिए इसमें नियमित रूप से सामग्री एवं वीडियो पब्लिश किए जाते हैं।
4. उपरोक्त सभी तरह के लोग इसके सदस्य बन सकते हैं एवं फोन के द्वारा या व्हाट्स ऐप के माध्यम से संपादक से सीधे संपर्क कर सकते हैं। धन्यवाद!
5. इस तरह से हमारा एक संगठन बन जायेगा और हम सभी सदस्य मिलकर साल में तीन-चार बार काव्य गोष्ठियों का आयोजन भी कर सकते हैं।
"Kavygatha" Magazine Pattern
1. Editorial संपादकीय
2. Index अनुक्रमणिका
3. Poems, stories, articles कविता, कहानी, लेख
4. Let's Learn English आओ इंग्लिश सीखें
a. Grammar
b. Speaking
c. Vocabularies
d. Test Yourself
e. Answer of Last TY
5. Your Letters (comments) आपके पत्र
पिछली पत्रिका पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें :
अनुक्रमणिका
1. मिताली उदयपुरे : विरासत पर गर्व !
2. लक्ष्मण खंडागडे : शब्द !
3. पुष्पा पटेल : समाधान !
4. धर्मेंद्र कुमार खौसे : हे रावण !
5. प्रहलाद परिहार : सांझ को पंक्षी घर आता है !
6. आशा ''अंकनी '' : तुम्हें जगाने के लिए !
7. अनुराधा देशमुख : गुलाबी रंग !
8. अरुणा पाटनकर : माँ !
9. विजय कुमार पटैया : किसी बहाने से
10. महेंद्र कुमार गुद्वारे : पेड़ न काटो, पेड़ लगाओ !
11. सेवंती मकोड़े : संस्कार हमारे !
12. Let's Learn English : आओ अंग्रेजी सीखें !
1. मिताली उदयपुरे
संक्षिप्त परिचय : 30 मार्च 2007 को जन्मी मितली उदयपुरे की माता का नाम श्रीमती सुनंदा और पिता का नाम श्री सुशील उदयपुरे है। वे बैतूल के लिटिल फ्लावर स्कूल की ग्यारहवीं की छात्रा हैं। उन्होंने मात्र बारह वर्ष की आयु से लिखना आरम्भ कर दिया था। वे अक्सर देशप्रेम, अध्यापक, माता पिता, आदि विषयों पर लिखती हैं । रचनात्मकता के अपने अब तक के सफर के लिए वे अपने माता पिता के सहयोग को आभार मानती हैं।
विरासत पर गर्व : कविता
मिला है हमें जो भी , हाँ थोड़ा सा पुराना है।
अलग सा था, अलग सा है, अलग सा ही ज़माना है।
अभी थोड़ा ही समझा है, थोड़ा सा समझना है।
विरासत में मिला जो भी, उसे अब हमे समझना है ।
थोड़ा गर्व करना है, थोड़ा भय दिखाना है,
विरासत की जमा पूँजी अब हमको सजाना है।
हाँ, ताज महल पुराना है, लाल क़िला पुराना है,
इंडिया गेट पुराना है, संसद भवन पुराना (नया) है।
अलग सा था, अलग सा है, अलग सा ही ज़माना है।
बड़ो का मान भारत में , हा! सम्मान भारत में
फ़सलो का त्यौहार भारत में ,गीता, क़ुरान भारत में
बड़ो का मान भारत में हा! सम्मान भारत में।
विरासत है उपहार भारत का है अभिमान भारत का!
2. लक्ष्मण खंडागडे
संक्षिप्त परिचय : इनका जन्म चिकनी रोड के करीब एक गावं में हुआ था। इनकी माता का नाम श्रीमती सयाबाई खंडागडे और पिता का नाम स्वर्गीय श्री नारायणराव खंडागड़े है। इनकी शिक्षा प्रायमरी स्कूल बैतूल गंज, शासकीय बहुउद्देशीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैतूल और जयंवंति हाक्सर महाविद्यालय बैतूल से संपन्न हुई है। इनका बचपन संघर्षमय लेकिन सुनहरा बिता। इन्होने लिखना दसवीं कक्षा से प्रारंभ किया लेकिन निरंतरता नहीं रहा। वे किसी भी विषय पर जब मन में भाव उठते हैं तो लिख लेते हैं। इनका वर्तमान पता ओम साई नगर, गोधनी रोड़ मानकापुर, नागपुर है जबकि स्थायी पता विनोबा वार्ड, बैतूल गंज, बैतूल है।
"शब्द" : कविता
आपके हर शब्द का मतलब निकालते हैं लोग
पहले तौलिए फिर बोलिए...
नफरतों का दौर चल रहा है जनाब
यहां हर बात संभल कर बोलिए...
मैं तो बेबाक हूं कुछ भी बोल जाता हूं..
आप तो समझदार हैं
आप तो संभल कर बोलिए....
3. पुष्पा पटेल
संक्षिप्त परिचय : इनका जन्म 12 जून 1963 को देवगांव, आमला में हुआ था। इनकी माता का नाम सोनबाई और पिता का नाम हेमचन्द्र है। गेंदराम पटेल जी इनके जीवन साथी हैं। उन्होंने एम् ए समाज शास्त्र, राजनीति शास्त्र और संस्कृत में अपनी शिक्षा पूरी की है। वे बचपन में अक्सर खेतों में पढ़ा करती थीं और काम भी किया करती थीं। वे बताती हैं कि उन्होंने सन २०१७ से ही सामाजिक, राजनीतिक, और धार्मिक विषयों पर लिखना आरम्भ किया है। उन्हें विशेष तौर पर लेखन के लिए सामाजिक प्रमाण पत्र प्राप्त हुए हैं। रचनात्मकता के अब तक के अपने सफर में सहयोग के लिए वे अपने पति को विशेष धन्यवाद देती हैं। वर्तमान में वे शासकीय शिक्षिका हैं। वर्तमान में वे द्वारका नगर, बडोरा, बैतूल में निवास करती हैं।
करो बुद्धि संगत, तर्कसंगत बात और सदाचार।
भौतिक वस्तु की तो छता करो गहराई से विचार,
क्योंकि कर्मों के फल से बचना है असंभव।।
मात्र, पित्र, गुरु ऋण चुकाना है जरूरी,
समय से बुद्धि धन समय देने से होगी पूरी,
क्योंकि कर्मों के फल से बचना है असंभव।
पंचशील ऊपर चलना ही है उत्तम बोध पथ।
पाखंड अंधविश्वास तो है विनाश का भारी-भरकम मत।
क्योंकि कर्मों के फल से बचना है असंभव।
न्याय, धर्म के पद से विचलित कभी नहीं होना,
राग, द्वेष, मोह, क्रोध से प्रभावित कभी नहीं होना।
क्योंकि कर्मों के फल से बचना है असंभव।
4. धर्मेंद्र कुमार खौसे
संक्षिप्त परिचय : 5 नवम्बर 1981 को बैतूल बाजार में जन्मे धर्मेंद्र कुमार खौसे जी की माता का नाम श्रीमती रेखा और पिता का नाम श्री हरिराम का खौसे है। इनकी पत्नी का नाम श्रीमती लालिमा खौसे है और इनकी प्यारी सी बिटिया है कु.लरण्या खौसे। इन्होने स्कूल की शिक्षा शासकीय कृषि उ.मा.विद्यालय, बैतूल बाजार से और कॉलेज की शिक्षा बी.ए., एम.ए.हिंदी - जे.एच.काॅलेज, बैतूल से प्राप्त की है तथा बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल, से एम् फिल की उपाधि प्राप्त की है। वे वर्तमान में शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय केरपानी में माध्यमिक शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं। वे वर्तमान में भवानी वार्ड, बैतूल बाजार, बैतूल में निवासरत हैं।
वे कहते हैं - ''मेरा बचपन अभावों के बढ़े हुए भावों को गिराने में गुजारा। कबड्डी, क्रिकेट, खो-खो, छिल्लौर, डाब-डूबेली, सुकाड़ी, गोली-गुच्चुक, गुल्ली-डंडा, गेंद- गदा जैसे खेलों ने बचपन को आनंददायक बनाया, इसके साथ ही पढ़ाई को भी महत्व दिया। मैंने कविता लेखन का कार्य बारहवीं कक्षा के समय से ही शुरू कर दिया, जो आज तक निरंतर जारी है। मैं अक्सर समसामयिक विषयों पर, विविध अवसरों पर, मुक्त छंद, गीत आदि विधाओं में लिखता हूँ । मुझे अब तक पवारी साहित्य कला संस्कृति मंडल, भारत की ओर से तीसरो अखिल भारतीय पवारी साहित्य सम्मेलन, पांढुर्णा में काव्य पाठ में प्रथम पुरस्कार दिसंबर 2022 में प्राप्त हुआ, दस-ग्यारह कवि सम्मेलनों में काव्य पाठ का अवसर भी प्राप्त हुआ है।
अब तक के सफर में सहयोग के लिए वे धन्यवाद देते हैं अपनी माँ को और कहते हैं, ''मां के आशीर्वाद के बिना तो कुछ संभव ही नहीं है, अक्षर ज्ञान उनसे ही सिखा है, मेरे सभी शिक्षक शिक्षिकाओं ने उस ज्ञान कोष में निरंतर वृद्धि की, मित्रों के उत्साहवर्धन ने कविता लेखन में बहुत सहायता की, सर्वाधिक धन्यवाद अजय पवार भैया को जिन्होंने मुझे काव्य गोष्ठी और कवि सम्मेलनों में बुलाकर मेरे मंच के भय को दूर किया। मझे काव्यपाठ का अवसर प्रदान किया।''
कविता : हे रावण!
शायद नहीं जानते थे तुम सत्य
कि स्त्री साधारण या कि
अबला नहीं होती।
वह पौरूष शक्ति है
तभी तो राम लिए वानर सेना
कर गए सौ योजन समुद्र पार।
तुम शक्ति संपन्न दल बल छल ज्ञाता
वरदान पाकर भी नहीं बचा पाए
अपनी सोने की लंका।
पीटते रहे अपने अहं का डंका
और देखते ही देखते
काल के गाल में समा गए
तुम्हारे सभी बंधु बांधव।
विराट से तुम हो गए लाघव
तुम सत्य से अनभिज्ञ
कि राम पाए शक्ति
शक्ति से ही।
अपनी अपार भक्ति से ही
लिए दिव्यास्त्र बढ़े तुम्हारी ओर
था कोलाहल चारों ओर
हुआ घमासान युद्ध।
थे तुम भी और राम भी क्रुद्ध
तुम कर्म से अशुद्ध
राम पावन और शुद्ध।
अंत में हुआ वही जो तय था
हार गए तुम
हुए मृत्यु को प्राप्त।
और तुम्हें हो ज्ञाप्त
कि आज भी
तुम जल रहे हो
गल रहे हो ,पिघल रहे हो
अपने झूठे अहं में।
दे रहे हो सीख
कि स्त्री कमजोर नहीं
उसको हरना
यानि कि मरना है।
बार बार कहते फिरते हो सबसे
संभल जाओ कलयुगी रावणों
स्त्री पर जुल्म कर
मत मनाओ जश्न।
सीखो मुझसे देखकर मेरा हश्र
मेरा हर अपराध क्षम्य था
किंतु स्त्री हरण ही
मेरी मृत्यु का कारण था।
5 . सांझ को पंछी घर आता है!
कविता : प्रहलाद परिहार
बड़ा नादान था, दिन भर उड़ता फिरा,
कभी इस बाम पर, कभी उस बाम पर।
उसे क्या पता था, एक दिन थक जाएगा,
आज तरस आता है मुझे उसके हाल पर।
घर बसाया जिसके साथ, अधूरा सा रहा,
खूब उड़ा, जीवन भर, ऊंचे आसमान पर।
जो सुबह के साथी थे, दोपहर को विदा हुए,
अब यादें ही यादें हैं, इस मकाम पर।
अब जो शेष और साथ हैं उनको,
वह देना चाहता है, प्यार आसमान भर।
"हर" सांझ को पंछी घर आता है,
उसे मालूम है, कल निकलना है अंजाम पर।
6 . आशा "अंकनी"
तुम्हे जगाने के लिए तो,
सूरज भी बहुत कोशिश कर चुका,
जाने कौन सी नींद मे सोए हो तुम,
जो तुम्हे हमारी आहट भी नही आती।
हवाएँ छूकर तुम्हे जगाने की कोशिश तो करती है,
पर जाने क्या बात है, हमारी खुशबू नही पहुंचाती ।
पानी की बूंदे भी अपने शोर से कोहराम मचाती है,
पर तुम्हारे मन तक हमारा एहसास नही पहुंचाती।
तुम सच मे सोए हो या सोने का अभिनय कर रहे हो,
जो हमारे दिल की इतनी आवाजें भी, तुम्हारी नींद नही भगाती।
हमे नजरअंदाज करने का बहाना कर रहे हो,
हमे तड़पाकर क्या तुम्हारी रूह नही कांपती।
इतनी बेसुध नींद मे ,एक बार भी मुझे खोने का ख्याल नही,
कम से कम ख्वाब मे ही पढ़ लेते, मेरे मन की पाती।
तुम सोओ, जागो ये मर्जी तुम्हारी, पर याद रखना,,
"घड़ी की सुइयां" आगे ही जाती है, कभी पीछे नही आती।
कभी पीछे नही आती।
7 . अनुराधा देशमुख
कविता : गुलाबी रंग
बड़ा पसंद था हमें गुलाबी रंग
बचपन से ही गुलाबी रंग के
कपड़े पहनना
कई बार पापा
जूती भी गुलाबी लाते थे
क्या पता था किसी दिन यह
गुलाबी रंग पर्स में भी रहेगा
बड़े खुश हुए थे ..
गुलाबी रंग का नोट देखकर
मन भी...
गुलाबी गुलाबी हो जाता था
जब हुआ ऐलान..
पतिदेव बोले लाओ पिंकी जरा
पिंक कलर का नोट
हमने कहा ए जी यह तो
हमारा फेवरेट कलर है
बचपन में खेलते थे
पिंकी पिंकी व्हाट कलर..
हमें क्या मालूम था
यह खेल अभी और खेलना पड़ेगा
यह नहीं पता था ना
तुम कभी यह पूछोगे
पिंकी पिंकी हाउ मेनी नोट
ऑफ पिंक कलर ?
हाउ मेनी नोट पिंक ऑफ कलर ?
बड़े संभाल कर रखे थे
नहीं करेंगे छुट्टे इसके
क्या पता था कि बहुत जल्द ही
सुनाने पड़ेंगे किस्से इसके
8. मां ! (कविता : अरुणा पाटनकर)
एक शब्द में सृष्टि समाई,
जब मां धरती पर आई,
कुदरत के हर रंग को देखो,
मां से ही सब सीख के आई।
जीवन देती ,पालन करती,
खुद को सदा न्योछावर करती।
त्याग की मूर्ति बस मां,
मां जो दिल के सबसे करीब होती।।
मां जो दिल के सबसे करीब होती।।
9. विजय कुमार पटैया
संक्षिप्त परिचय : तीन अगस्त १९६९ को पथरोट, अमरावती में जन्मे विजय कुमार पटैया जी की माता जी का नाम श्रीमती विजया और पिताजी का नाम श्री लंगड़ूजी पटैया है। इनकी जीवन संगिनी का नाम है श्रीमती पुष्पलता पटैया। इन्होने हिंदी में एम् ए तथा डी एड किया हुआ है। वर्तमान में वे शासकीय शिक्षक के पद पर भैंसदेही में कार्यरत हैं। वे बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही लिखने का एवं रेडियो पर गाने सुनने का शौक था। जब वे कक्षा दसवीं में पढ़ते थे तभी से उन्होंने लिखना शुरु किया। ज्यादातर वे समाज में फैली हुई कुरीतियों एवं वास्तविक जीवन की घटनाओ से प्रेरित होकर लिखते हैं। पर मेरी लेखनी चलती है। अब तक उनका एक कविता संग्रह "चटोरी बिल्ली" बालगीत, प्रकाशित हो चुका है। अनेक राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में इनकी कविताओं का प्रकाशन हो चुका है। दो बार २०१२ और २०२३ में ''भोर के तारे'' काव्य संकलन में भी इनकी कविताओं का प्रकाशन हो चुका है।
इन्हे रविंद्रनाथ ठाकुर सम्मान, कोलकाता 2008, 2011, साहित्यकार सृजन साक्षी सम्मान 2014, संगम कला परिषद बैतूल 2003, 2010, मध्यप्रदेश पत्र लेखक मंच सम्मान, बैतूल 2012, भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा 2017, 2019, 2022, जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा 2011, 2012, 2014, 2015। रक्तदान के लिए सम्मान 2002, 2016, 2017, 2019, 2020, 2023 आदि पुरुस्कार प्राप्त हो चुके हैं। अब तक के साहित्यिक सफर मे सहयोग के लिए वे धन्यवाद देते हैं समस्त साहित्यकार जिला बैतूल, श्री शैलेन्द्र बिहारिया जी, और विशेष तौर पर अपने माता - पिता और पत्नी को। वर्तमान में वे ग्राम बरहापुर, तहसील भैंसदेही, जिला बैतूल मध्य प्रदेश में निवास करते हैं।
गीत : किसी बहाने से !
किसी बहाने से हमसे मुलाकात करो,
यह शाम रंगीन हो जाए ऐसी बात करो।
रातों को खिल गई है रात चांदनी,
बेला चमेली चंपा और कुमुदिनी।
मेरे दिल की बगिया में बरसात करो,
यह शाम रंगीन हो जाए ऐसी बात करो।
आंखों को तुम्हारी उपमा मैं क्या दूं,
थरथराते लबों में है कुछ नया जादू।
और कहीं भी न जाऊं ऐसे हालात करो,
यह शाम रंगीन हो जाए ऐसी बात करो।
प्रेम है जो पतितों को कर देता है पावन,
प्यार वह है जो जेठ में बरसा दे सावन ।
तेरे प्यार में डूब जाऊं ऐसे खयालात करो,
यह शाम रंगीन हो जाए ऐसी बात करो।
10. महेन्द्र कुमार गुदवारे
संक्षिप्त परिचय : इनका जन्म 30 अगस्त 1962 को बैतूल में हुआ था। इनके पिता का नाम स्वर्गीय श्री मनोहर लाल गुदवारे और माता का नाम स्वर्गीय गया देवी गुदवारे है। श्रीमती दुर्गावती गुदवारे इनकी जीवन संगिनी हैं। इनकी शिक्षा स्थानीय शासकीय स्कूल और कॉलेज की शिक्षा शासकीय जयवंती हाक्सर महाविद्यालय, बैतूल से संपन्न हुई। इन्होने सन १९८४ से लिखना शुरू किया। ये अधिकतर सम सामायिक विषयों, पर्यावरण, सामाजिक विकास के आयामों पर लिखते हैं। अब तक अनेक काव्यसंग्रहों जैसे भोर के तारे २०१२ और काव्यगाथा २०२३ आदि में इनकी रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। अब तक के साहित्यिक सफर में सहयोग के लिए वे अपने परिवार के सदस्यों, सम्बन्धियों, मित्रों और पत्रकारों को धन्यवाद् देते हैं। वर्तमान में वे शासकीय महारानी लक्ष्मीबाई उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, बैतूल में शिक्षक हैं। अभी उनका निवास है - शारदा चौक, सदर बाजार, बैतूल (म.प्र) .
. कविता : पेड़ न काटो, पेड़ लगाओ
🥦 🥦 🥦 🥦
पेड़ न काटो, पेड़ लगाओ,
सब मिल भैया,अलख जगाओ।
पेड़ मित्र है, पेड़ है भाई,
पेड़ से होता, जीवन सुखदाई।
एक , एक सबको बतलाओ,
पेड़ न काटो, पेड़ लगाओ।
पेड़ न काटो, पेड़ लगाओ,
सब मिल भैया,अलख जगाओ।
पर्यावरण करे शुद्ध हमारा,
प्रदुषण का है, हटे पसारा।
आगे आओ सब, आगे आओ,
पेड़ न काटो, पेड़ लगाओ।
पेड़ न काटो, पेड़ लगाओ,
सब मिल भैया,अलख जगाओ।
पेड़ से सुन्दरता है आए,
जो है सबके मन को भाए।
नेक विचार यह मन मेंं लाओ,
पेड़ न काटो, पेड़ लगाओ,
पेड़ न काटो, पेड़ लगाओ,
सब मिल भैया,अलख जगाओ।
फल , फूल ,पत्तियाँ ,छाल के,
एक , एक सब कमाल के।
दवा ,औषधि अनमोल बनाओ,
पेड़ न काटो, पेड़ लगाओ।
पेड़ न काटो, पेड़ लगाओ,
सब मिल भैया,अलख जगाओ।
सच्चा साथी है यह जीव का,
सुखमय जीवन के नीव सा।
इससे कतई तुम दूर न जाओ,
पेड़ न काटो, पेड़ लगाओ।
पेड़ न काटो, पेड़ लगाओ,
सब मिल भैया,अलख जगाओ।
11. सेवंती मकोड़े
संक्षिप्त परिचय : इनका जन्म सन 1968 में बैतूल में ही एक सामान्य परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री नत्थूजी वागद्रे और माता का नाम शांता वागद्रे है। श्री ब्रम्हदेव मकोड़े इनके जीवन साथी हैं। बचपन में सभी इन्हे मैना नाम से पुकारते थे। इनके पिता शासकीय सेवा में बैतूल में ही कार्यरत रहे इसलिए इनका बचपन भी यहीं बीता। यहीं से इन्होने स्कूली और महाविद्यालयीन शिक्षा प्राप्त की। इनके परिवार में अक्सर धार्मिक कार्यक्रम होते रहते थे। इसीलिए इनका मन बह सामाजिक एवं धार्मिक कार्यों में लगने लगा। पढाई के साथ साथ ये गायन, रामायण पाठ आदि करने लगीं। समाज के विकास के लिए सक्रीय योगदान देना इनकी दिनचर्या बन गया। इनके ऊपर इनकी माता जी का विशेष प्रभाव रहा। इन्हे अपने धर्म और ईश्वर पर अटूट विश्वास है। इन्हे सन २०१७ में साहित्य लेखन के लिए स्थानीय कलम क्रांति पुरुस्कार प्राप्त हो चुका है। वे बैतूल शहर के विकास नगर में निवास करती हैं।
कविता : संस्कार हमारे !
संस्कार हमारे, प्यार हमारे दिल में,
संस्कार हमारे रीत में, प्यार हमारे दिल में ,
रीत और दिल अलग - अलग हैं, प्रीत हमारे रग - रग में।
संस्कार में समाज रीत में बंधा है ,
दिल में बसे प्यार में अपनों की प्रीत बसी है ,
संस्कार तो समाज के सोलह संस्कार में है।
पर प्रीत की रीत हमारी धड़कनो में है,
जिसे निभाने सारी उम्र लग जाती है,
समाज में जीने के लिए संस्कारों की जरुरत है।
दिल में बसे प्यार को अपनों की जरुरत है,
किसी बंधन रूपी संस्कार की जरुरत नहीं है।
संस्कारों की रीत में जकड़ा ये समाज है ,
अपनों के प्यार दुलार से बना हुआ है ,
अपनों के प्यार दुलार को परिवार कहते हैं।
समाज बना है जाति, धर्म, नियम, कायदों के लिए,
परिवार बना है, संसकरों और मर्यादा के लिए ,
अपनों को अपना बनाये रखने के लिए।
Let's Learn English! आओ अंग्रेजी सीखें ! : Prahalad Parihar
1. Grammar : Parts of Speech (Part Two) भाषा के अंग!
4. Adjective : The word which qualifies Noun or Pronoun is called Adjective. विशेषण : वह शब्द जो किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है विशेषण कहलाता है।
There are three forms of Verbs, as Positive Comparative Superlative Tall Taller Tallest
ऊँचा से ऊँचा सबसे ऊँचा Great Greater Greatest
महान से महान सबसे महान Good Better Best
अच्छा से अच्छा सबसे अच्छा Red Redder Reddest
लाल से लाल सबसे लाल Small Smaller Smallest
छोटा से छोटा सबसे छोटा Beautiful More Beautiful Most Beautiful
सुन्दर से सुन्दर सबसे सुन्दर
Intelligent More Intelligent Most Intelligentबुद्धिमान से बुद्धिमान सबसे बुद्धिमान
5. Adverb : The word which qualifies verb or adjective is called Adverb.
क्रियाविशेषण : वह शब्द जो किसी क्रिया या विशेषण की विशेषता बताता है, क्रियाविशेषण कहलाता है।
There are also three forms of Adverbs as -
Positive Comparative Superlative
Fast Faster Fastest
तेज से तेज सबसे तेज
Near Nearer Nearest
पास से पास सबसे तेज
Little Less Least
कम से कम सबसे कम
Far Farther Farthest
दूर से दूर सबसे दूर
Slow More Slow Most Slow
धीरे से धीरे सबसे धीरे
Kindly More Kindly Most Kindly
दयापूर्वक से दयापूर्वक सबसे दयापूर्वक6. Preposition सम्बन्ध बोधक शब्द Definition : The word which shows the relation of noun or pronoun with any other word is called Preposition. वह शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम का सम्बन्ध किसी और शब्द से दिखलाता है सम्बन्ध बोधक शब्द कहलाता है। ex. In में , at पर , to को/से , into के अंदर , on पर , upon के ऊपर , with से / के साथ , by से / द्वारा , from से , for से / तक , etc.7. Conjunction संयोजक शब्द Definition : The word which joins a word or a sentence with another word or sentence is called conjunction. वह शब्द जो एक शब्द या वाक्य को दूसरे शब्द या वाक्य से जोड़ता है, संयोजक शब्द कहलाता है। ex. And और, But लेकिन/परन्तु, If यदि/ यद्यपि , Or या/अन्यथा, That कि /ताकि , Before के पहले , After के बाद , Because क्योंकि , Though यद्यपि , So इसलिए , etc.8. Interjection आश्चर्य बोधक शब्द Definition : The word which expresses the sudden emotions of our heart is called Interjection. वह शब्द जो हमारे मन में अचानक उठने वाले भावों को प्रकट करता है, आश्चर्य बोधक शब्द कहलाता है।
ex. Alas! अफ़सोस !, Hurrah! वाह!, Bravo! शाबाश!, Oh! अरे!, Hello! नमस्कार!, Wow! वाह!, etc.
2. Vocabulary शब्कोष !
Present Past Past ParticipleCreep रेंगना Crept रेंगा Crept रेंग चुका
Deal व्यव्हार करना Dealt व्यव्हार किया Dealt व्यवहार कर चुका
Dream स्वप्न देखना Dreamed स्वप्न देखा Dreamed स्वप्न देख चुका
Feed खिलाना Fed खिलाया Fed खिला चुका
Flee भागना Fled भागा Fled भाग चुका
Have है/रखना Had था/रखा Had था/रख चुका
Lead नेतृत्व करना Led नेतृत्व किया Led नेतृत्व कर चुका
Lean झुकना Leaned झुका Leaned झुक चुका
Owe ऋणी होना Owed ऋणी हुआ Owed ऋणी हो चुका
Pay चुकाना Paid चुकाया Paid चुका चुका
Prove साबित करना Proved साबित किया Proved साबित कर चुका
Send भेजना Sent भेजा Sent भेज चुका
Shave दाढ़ी बनाना Shaved दाढ़ी बनाई Shaved दाढ़ी बना चुका
Show दिखाना Showed दिखाया Showed दिखा चुका
Smell सूंघना Smelt सूंघा Smelt सूंघ चुका
Spoil नष्ट करना Spoiled नष्ट किया Spoiled नष्ट कर चुका
Sweep झाड़ू लगाना Swept झाड़ू लगाई Swept झाड़ू लगा चुका
Swell फूलना Swelled फूला Swelled फूल चुका
Cost कीमत लगाना Cost कीमत लगाई Cost कीमत लगा चुका
Cut काटना Cut काटा Cut काट चुका
Hit मारना Hit मारा Hit मार चुका
Hurt चोट पहुँचाना Hurt चोट पहुंचाई Hurt चोट पहुंचा चुका
Let अनुमति देना Let अनुमति दी Let अनुमति दे चुका
Put रखना Put रखा Put रख चुका
Rid छुटकारा पाना Rid छुटकारा पाया Rid छुटकारा पा चुका
Set जमाना Set जमाया Set जमा चुका
Shut बंद करना Shut बंद किया Shut बंद कर चुका
ऊँचा से ऊँचा सबसे ऊँचा
महान से महान सबसे महान
अच्छा से अच्छा सबसे अच्छा
लाल से लाल सबसे लाल
छोटा से छोटा सबसे छोटा
सुन्दर से सुन्दर सबसे सुन्दर
Intelligent More Intelligent Most Intelligent
5. Adverb : The word which qualifies verb or adjective is called Adverb.
क्रियाविशेषण : वह शब्द जो किसी क्रिया या विशेषण की विशेषता बताता है, क्रियाविशेषण कहलाता है।
There are also three forms of Adverbs as -
Positive Comparative Superlative
Fast Faster Fastest
तेज से तेज सबसे तेज
Near Nearer Nearest
पास से पास सबसे तेज
Little Less Least
कम से कम सबसे कम
Far Farther Farthest
दूर से दूर सबसे दूर
Slow More Slow Most Slow
धीरे से धीरे सबसे धीरे
Kindly More Kindly Most Kindly
दयापूर्वक से दयापूर्वक सबसे दयापूर्वक
Deal व्यव्हार करना Dealt व्यव्हार किया Dealt व्यवहार कर चुका
Dream स्वप्न देखना Dreamed स्वप्न देखा Dreamed स्वप्न देख चुका
Feed खिलाना Fed खिलाया Fed खिला चुका
Flee भागना Fled भागा Fled भाग चुका
Have है/रखना Had था/रखा Had था/रख चुका
Lead नेतृत्व करना Led नेतृत्व किया Led नेतृत्व कर चुका
Lean झुकना Leaned झुका Leaned झुक चुका
Owe ऋणी होना Owed ऋणी हुआ Owed ऋणी हो चुका
Pay चुकाना Paid चुकाया Paid चुका चुका
Prove साबित करना Proved साबित किया Proved साबित कर चुका
Send भेजना Sent भेजा Sent भेज चुका
Shave दाढ़ी बनाना Shaved दाढ़ी बनाई Shaved दाढ़ी बना चुका
Show दिखाना Showed दिखाया Showed दिखा चुका
Smell सूंघना Smelt सूंघा Smelt सूंघ चुका
Spoil नष्ट करना Spoiled नष्ट किया Spoiled नष्ट कर चुका
Sweep झाड़ू लगाना Swept झाड़ू लगाई Swept झाड़ू लगा चुका
Swell फूलना Swelled फूला Swelled फूल चुका
Cost कीमत लगाना Cost कीमत लगाई Cost कीमत लगा चुका
Cut काटना Cut काटा Cut काट चुका
Hit मारना Hit मारा Hit मार चुका
Hurt चोट पहुँचाना Hurt चोट पहुंचाई Hurt चोट पहुंचा चुका
Let अनुमति देना Let अनुमति दी Let अनुमति दे चुका
Put रखना Put रखा Put रख चुका
Rid छुटकारा पाना Rid छुटकारा पाया Rid छुटकारा पा चुका
Set जमाना Set जमाया Set जमा चुका
Shut बंद करना Shut बंद किया Shut बंद कर चुका












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