मकर संक्रान्ति 2025 का महत्व? Makar Sankranti/ Lohdi/ Pongal

मकर संक्रांति 2025 

का क्या महत्त्व  है ?

                    दोस्तों, मकर संक्रांति भारत और नेपाल  एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तब हम भारतवासी इस त्यौहार को मनाते हैं। इस वर्ष यह त्यौहार 14 जनवरी को आ रहा है। पंचांग के अनुसार इस वर्ष मकर संक्रांति का पर्व मंगलवार, 14 जनवरी को मनाया जाएगा। सूर्यदेव इस दिन धनु से मकर राशि में सुबह 09 बजकर 3 मिनट पर प्रवेश करेंगे। इसे कहीं कहीं उत्तरायण भी कहते हैं क्योंकि मकर संक्रांति के  बाद सूर्य  उत्तर दिशा की ओर अग्रसर  होता है। 

          


 
         ऐसा कहा जाता है कि यह सूर्य की उपासना का पर्व है। सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने पर खरमास की समाप्ति हो जाती है और हिन्दुओं के सभी मांगलिक कार्य यहां से आरंभ हो जाते हैं। इस शुभ संयोग में इस दिन स्नान, दान और सूर्य की उपासना से अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है । इस वर्ष 15 जनवरी को शुभ संयोग या पुण्य काल सुबह 7:15 से शाम 5:46 तक कहा जा रहा है ।

                      पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रान्ति के दिन देवी गंगा भगीरथ के पीछे पीछे कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थी। यहां उन्होंने भगीरथ के पूर्वज महाराज सगर के साठ हजार पुत्रों को मोक्ष प्राप्ति का वरदान दिया था। इसलिए बंगाल के गंगासागर में कपिल मुनि के आश्रम पर एक विशाल मेला भी लगता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनि की राशि में विराजमान होते हैं और शनै देव तिल गुड़ से उनकी उपासना करते हैं ।

                     ऐसा कहा जाता है कि जो मनुष्य उत्तरायण और शुक्ल पक्ष में देह त्याग करता है उसे जन्म मरण से मुक्ति मिल जाती है यानी वह मोक्ष को प्राप्त होता है। ज्ञात हो कि पृथ्वी का झुकाव वर्ष में 6 माह उत्तर की ओर तथा 6 माह दक्षिण की ओर बदलता रहता है । कहा जाता है कि इस दिन जूते, अन्न, तिल, वस्त्र, गुड़, कम्बल आदि दान करने से शनि और सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है ।  

''माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकंबलम।

सभुक्तवा: सक्लान भोगान अंते मोक्ष प्राप्ति:।।''


लोहड़ी एवं पोंगल

               मकर संक्रान्ति की पूर्व संध्या पर लोहड़ी त्योहार मनाया जाता है। रात्रि में खुले स्थान पर आस पास के लोग मिलकर आग के किनारे घेरा बनाकर बैठते हैं, गिद्धा नृत्य करते हैं। इस समय रेवड़ी, मूंगफली, लावा, आदि खाए जाते हैं और आग में समर्पित किए जाते हैं। मुख्यतह यह त्योहर पंजाब और हरियाणा में मनाया जाता है।

       


       लोहड़ी को दुल्ला भाटी की कहानी से भी जोड़ा जाता है जो अकबर के शासन काल में पंजाब का एक राजपूत था। उसे पंजाब का नायक भी कहा जाता है। उस समय संडल बार नामक जगह (जो अब पाकिस्तान में है) पर लड़कियों को गुलामी के लिए जबरन अमीर लोगों को बेंच दिया जाता था। जिसे दुला भाटी ने एक योजना के तहत असफल किया था। उसने हजारों लड़कियों को आज़ाद करवाकर उनकी शादी हिन्दू लड़कों से करवाई थी।

                   मकर संक्रान्ति के बाद या लगभग इसी समय तमिल हिन्दू" पोंगल " त्योहार मनाते हैं जो फसल कटाई का त्योहार होता है । यह संपन्नता को समर्पित त्योहार है जिसमें समृद्धि लाने के लिए वर्षा, धूप, तथा खेतिहर पशुओं की पूजा की जाती है।


और पढ़ने के लिए क्लिक करें : Basant Panchami ka Mahatva

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