5. काव्यगाथा ऑनलाइन पाक्षिक पत्रिका 30/06/23 / Kavygatha Magazine




5. काव्यगाथा पाक्षिक पत्रिका Kavygatha Fortnight Magazine 30 /06/23

काव्यगाथा ऑनलाइन पाक्षिक पत्रिका क्या है?

                यह हर पंद्रह दिन में यानी हर माह की 15 एवं 30 तारीख को प्रकाशित होने वाली ऑनलाइन पाक्षिक पत्रिका है। जिसकी सामग्री लिखित, फोटो, एवं वीडियो, के रूप में पब्लिश की जाती है। इसे दुनियां में कहीं भी google या blogger या chrome पर खोला जा सकता है, भेजा जा सकता है और पढ़ा जा सकता है। यह स्थाई रूप से ब्लॉग पर मौजूद रहती है आप जब चाहें इसे देख पढ़ सकते हैं और दूसरों को भी पढ़वा सकते हैं। यदि आप इस ऑनलाइन पत्रिका के सदस्य बनते हैं तो आपका वीडियो फ्री में हमारे इसी नाम के यू ट्यूब चैनल पर भी पब्लिश किया जा सकेगा। पत्रिका से जुड़ने के लिए संपर्क करें - 09977577255

पत्रिका की सदस्यता के लाभ : 

1. रचनाकार इसमें साल भर में 24 बार (हर अंक में) अपनी रचनाएं छपवा सकते हैं, और एक क्लिक से दुनिया में कही भी शेयर कर सकते हैं।

2. कलाकार, सौंदर्य विशेषज्ञ, या अन्य कोई प्रोफेशनल इसमें अपने कार्य संबंधी लेख लिख सकते हैं, अपना साक्षात्कार छपवा सकते हैं (वीडियो भी बनवा सकते हैं), जिससे उनके संपर्क का दायरा विश्वस्तरीय होगा और उन्हें ज्यादा से ज्यादा काम मिलेगा।

3. साथ ही जो लोग अपनी इंग्लिश इंप्रूव करना चाहते हैं या लिखना, पढ़ना एवं बोलना सीखना चाहते हैं उनके लिए इसमें नियमित रूप से सामग्री एवं वीडियो पब्लिश किए जाते हैं।

4. उपरोक्त सभी तरह के लोग इसके सदस्य बन सकते हैं एवं फोन के द्वारा या व्हाट्स ऐप के माध्यम से संपादक से सीधे संपर्क कर सकते हैं। धन्यवाद!

5. इस तरह से हमारा एक संगठन बन जायेगा और हम सभी सदस्य मिलकर साल में तीन-चार बार काव्य गोष्ठियों का आयोजन भी कर सकते हैं। 

बलिप्रथा या क़ुरबानी के बारे में आप क्या सोचते हैं ?

                            दोस्तों, kavygatha काव्यगाथा  का यह पाँचवा अंक आपके सामने प्रस्तुत है। अभी अभी बकरे की बलि दी गयी है और एक त्यौहार मनाया गया है। एक बेजुबान पशु की बलि चाहे किसी भी धर्म या संप्रदाय में दी जय मैं उसे उचित नहीं मानता। बलि प्रथा मुझे तो सर्वथा गलत लगती है।  जो लोग पूजा के नाम पर दूध और पानी को चढाने का मजाक उड़ाते हैं उसे गलत बताते हैं क्या उन्हें यह बलि प्रथा या क़ुरबानी की प्रथा गलत नहीं लगती ? यदि क़ुरबानी ही देनी है तो अपने बुरे स्वाभाव की दो, अपने गलत विचारों की दो, एक दूसरे के प्रति नफ़रत की दो।  यह विज्ञान सम्मत बात है की यदि मनुष्य मांस का भक्षण करेगा तो उसका स्वाभाव भी हिंसक होगा जो इस संसार में सारे उपद्रव की जड़ है। जिनके यहाँ खाने को कुछ नहीं उगता वो लोग मांस खांए तो बात समझ में आती है परन्तु हमारे यहाँ तो प्रकृति ने बहुत कुछ दिया है खाने को फिर हम हिंसक पशुओ का भोजन क्यों करें ? पुरानी कहावत हैं जैसा खाओगे अन्न वैसा होगा आपका मन! हमारे खान पान का असर हमारे स्वाभाव पर अवश्य पड़ता है अतः हमें सोचना चाहिए!  शुभकामनाओ के साथ ! आपका शुभचिंतक और मित्र : प्रहलाद परिहार ! (संपादक) 

"Kavygatha" Magazine Pattern

1. Editorial संपादकीय

2. Index अनुक्रमणिका

3. Poems, stories, articles कविता, कहानी, लेख 

4. Let's Learn English आओ इंग्लिश सीखें

     a. Grammar

      b. Speaking

      c. Vocabularies

      d. Test Yourself

      e. Answer of Last TY

5. Your Letters (comments) आपके पत्र 

पिछली पत्रिका पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें : 

१. काव्य गाथा १५ मई २०२३

२. काव्य गाथा ३०/०४/२३

3काव्यगाथा 30/05/23

4. kavygatha 15/06/23

अनुक्रमणिका

1. डॉ प्रतिभा द्विवेदी : बूढ़ा बरगद!

2. मिताली उदयपूरे : नारी देश का मान! 

3. आशा "अंकनी" : वहम! 

4. पुष्पा पटेल : बाल मंजर! 

5. लक्ष्मण खंडागरे :  बारिश की बूंदे!

6. विजय कुमार पटैया : चंचल चांद! 

7. धर्मेंद्र कुमार खौसे : बेटी का जन्मदिन!

8. महेंद्र कुमार गुदवारे : गणित मेरे घर में! 

9. अरुणा पाटणकर : क्षणिकाएं!

 10. दीपा मालवीय : मेरी पीर! 

11. अनुराधा देशमुख : योग दिवस 

12. दिव्या अड़लक : मेरे महादेव !

13. Let's Learn English 


1. डाॅ . प्रतिभा द्विवेदी, भोपाल








                                संक्षिप्त परिचय : प्रतिभा जी का जन्म वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की नगरी झाँसी, उत्तर प्रदेश में माता श्रीमती कमला देवी और पिता श्री त्रियुगीनारायण मिश्र के यहाँ 26 जनवरी 1972 को हुआ था। श्री रमेश चंद्र द्विवेदी इनके जीवन साथी हैं। वे अपने बचपन के बारे में कहती हैं, "मेरा जन्म और पालन-पोषण नाना कहां हुआ, नानाजी पुलिस में थे इसलिए स्कूल और कॉलेज की शिक्षा विभिन्न शहरों जैसे ललितपुर, हमीरपुर, कानपुर में हुई। मेरे नाना जी बहुत अनुशासन प्रिय थे और हमें कड़े अनुशासन का पालन करना पड़ता था । उस समय तो यह बहुत बुरा लगता था लेकिन आज ही महसूस होता है कि आज मैं जिस जगह पर हूं यह‌ उनके कारण ही संभव हुआ है।  जब मैं पांचवी छठी कक्षा में पढ़ती थी उस समय नव वर्ष और दीपावली आदि के शुभ संदेश के रूप में मैंने कविता लेखन की शुरुआत की। घर में साहित्य का माहौल था तो वहां से मुझे कविता लेखन प्रेरणा मिली। मुझे सामाजिक सरोकार के विषयों पर लिखना ज्यादा पसंद है।"

                                    वर्ष 2018 में साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद, भोपाल के सहयोग से इनका "निर्झरिणी" काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुका है। इन्हें विभिन्न साहित्यिक और सामाजिक मंचों द्वारा पुरस्कार प्राप्त होते रहे हैं जिनमें से महिला वेलफेयर मिशन ग्वालियर द्वारा" देश शक्ति अवार्ड", संस्कार भारती, ग्वालियर महानगर द्वारा "युवा प्रतिभा सम्मान", प्रभात साहित्य परिषद भोपाल द्वारा "सरस्वती प्रभा सम्मान उल्लेखनीय हैं। अब तक के सफर में सहयोग के लिए वे अपने पति, परिवार और शुभचिंतकों को धन्यवाद करती हैं। वर्तमान समय में वे शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भोपाल में जीव विज्ञान की शिक्षिका हैं। वे वर्तमान समय में ग्लोबल पार्क सिटी, कटारा हिल्स, भोपाल में निवासरत हैं। 

कविता : बूढ़ा बरगद

वो बूढ़ा बरगद बहुत उदास है।

मौन में डूबा हुआ बहुत ही उदास है ।

उसकी डालियां झुक गई हैं,

कमजोर हो गई हैं ।

उड़ गई है पत्तों की पन्नई चमक ।

यह तो उम्र की निशानी है ।

हर जीवन की कहानी है ।

लेकिन उसकी उदासी का कारण-

उसका बूढ़ा होना नहीं है ।

झड़ती हुई पत्तियां, कमजोर होती डालियां

और खोखला होता तना भी

उसकी उदासी का कारण नहीं है ।

वह उदास है उन पंछियों के बिना,

जो उसे छोड़ कर जा चुके हैं 

जिन्हें उसने अपनी गोद में पाला,

डालियों से झूला झुलाया,

फलों से क्षुधा शांत की,

किंतु आज वो अकेला है ‌।

वो सुनना चाहता है उनका चहचहाना

वो देखना चाहता है उनकी शैतानियां

वो खोना चाहता है उनकी नादानियों में,

ताकि भूल कर अपनी बढ़ती उम्र

पा सके खोई उमंग

और सांझ की इस बेला में,

गुनगुना उठे जीवन का गीत ।

ओ पंछियों! लौट आओ ।

अपने सपनों की उड़ान को

तनिक विराम दो ।

अपने पंखों को तनिक विश्राम दो ।

बैठो उस बूढ़े बरगद के पास,

जिसने सॅंवारा था तुम्हारा बचपन,

सुरक्षित किया था तुम्हारा भविष्य ।

उसके कांपते हाथों को थाम,

ले जाओ अतीत की उन पगडंडियों में

जहां कभी तुम चले थे उसकी,

 मजबूत उंगली पकड़ कर

ताकि एक बार फिर वो खिलखिला उठे

                   ""जाने से पहले""


2. मिताली उदयपुर, बैतूल 

 कविता : नारी देश का मान

एक महिला अनेको नाम से जानी जाती है। 

कोई उन्हे बेटी कहता है, तो कोई उन्हे बहन कहता है, 

कोई उन्हे पत्नी कहता है, तो कोई उन्हे बहू कहता है। 

लेकिन इसके बावजूद वह एक और महत्वपूर्ण पद की 

उम्मीदवार होती हैं जिसे जननी कहा जाता है।


'' जो काम पुरूष ना कर सके

वह महिला कर दिखाती है

आखिर महिला ही तो है

जो समाज को आगे ले जाती हैं। "


" एक महिला ही होती हैं

जो घर को स्वर्ग बनाती हैं

अरे! एक महिला ही होती हैं

जो चाँद तारो से खुशियां ले आती है। "


" रोज़ घर का काम कर वह थक जो जाती हैं, 

एक महिला ही रोज़ अग्नि परीक्षा दे जाती हैं। "

" पर्यावरण में खिले गुलाब सी होती है महिलाए 

जो पूरे पर्यावरण को मेहका देती है उसी तरह 

महिलाए पूरा समाज सुधार देती हैं। "

" नारी को प्रकृति ने दी है शक्ति सारी,

अपमान ना करो उसका तुम, कह कर बेचारी"



3. आशा "अंकनी", बेतूल 

कविता : वहम !

पुरुषों के पुरुषत्व का अहम, स्त्रियों की आधुनिकता का वहम, 

बस ऐसे ही निरर्थक विवादों में ,न व्यर्थ हो जाए ये जनम।

दोनो ही करते अपने और अपने परिवार के लिए परिश्रम,

फिर भी मन मे स्वयं श्रेष्ठता का ,रहता सदा अहम।


इस अहम की लड़ाई में,खो गए जाने कहां हम,

लक्ष्य तो बोझिल हो गया, बस रह गया भरम ।

घर ,बाहरऔर खुद की परेशानियों से ,दोनो जूझते हर दम,

अपने औरअपनों के भविष्य के लिए,खुशी से सहते हर गम। 


पुरुषत्व और वहम की लड़ाई मे किसका हो रहा शोषण ,

आने वाली पीढ़ियों का ,क्या हम ऐसे कर पाएंगे पोषण। 

पुरुष और स्त्री दोनो ही मिलकर,करें इस बात पर मंथन,

अहम को भूल कर ,केवल याद रह जाए सृजन ।


सबके अपने दायरे हैं, सबके अपने हैं करम ,

क्यूं तुलना मे उलझें हम ,निभाने दे सबको अपना धरम ।

सोचें केवल अपनों के लिए, कर ले थोड़ा दूसरों पर रहम,

सदियां गुजर जाएंगी पर साबित न कर पाओगे, किसी को किसी से कम।

4. पुष्पा पटेल, बैतूल 

कविता : बाल मंज़र!

वह कक्षा के बाहर पढ़े, गुरु शाला में इंतजार करें,

इस षड्यंत्र पर विचार करें, नौनिहालों का उद्धार करें।।

बुरी नियत से बच्चे के निजी अंग को छूना है मना,

धारा 7 या 3 साल का बढ़ा कर करती जुर्माना।।

पीड़ित को नजरअंदाज ,कर्मचारी की है लापरवाही,

महत्वपूर्ण है उसकी भूमिका, तुरंत करें कार्यवाही।।

पाक्सो अधिनियम अपराधों से सुरक्षा का व्यापक है कानून,

इसलिए मौलिक अधिकार का ढांचा है मजबूत।।

कर्मचारियों को अधिनियम के प्रावधानों से अवगत कराएं,

बच्चे की पहचान उजागर न हो ये कर्तव्य बनाएं।।

बाल शोषण रोकने के लिए रणनीति बनाना है जारी,

गंभीर मुद्दा है शोषण कर्मियों को पड़ेगा भारी।।



5. लक्ष्मण खंडाग्रे, नागपुर

कविता : बारिश की बूंदे!


जब बारिश‌ की बूंदे आती है‌ धरती पर...

जाने क्या साथ लेकर आती है धरती पर...


सारी जमीं खिल उठती हैं

जब बारिश होती है धरती पर...


तपतपाती गर्मी चिलचिलाति धूप

बन जाती है खिलखिलाती धूप


जब बादल बरसते है धरती पर...

प्यासी नदियां सूखे सरोवर हो जाते है तरबतर


जब पानी की बौछारे गिरती है धरती पर...

जाने कहां छूपकर बैठी थी वो बीरबहोटी...

बारिश के बाद रेंग रही है धरती पर...


6. विजय कुमार पटैया, बरहापुर

कविता : चंचल चांद!


 एक चंचल चांद चमका चांदनी की चाहों में, 

वो चंचल चाँद कब आएगा मेरी बाहों में।

 ना करे सिंगार कोई पूनम की रात सी खूब सजे,

 अंग-अंग करे दूर अंधेरा कंचन सी काया खूब लगे। 

मद भरा यौवन छलका आज उसकी निगाहों में,

 वो चंचल चाँद कब आएगा मेरी बाहों में।

 चुभ न जाए शूल पांव में धीरे-धीरे, धरे धरा पर,

घिरती जाए घटा घड़ी में जब चले जुल्फें बिखराकर।

 कदम-कदम पर फूल बिछाता हुआ चला मैं राहों में, 

 वो चंचल चाँद कब आएगा मेरी बाहों में।

एक चंचल चाँद चमका चाँदनी की चाहों में, 

वो चंचल चाँद कब आएगा मेरी बाहों में।



7. धर्मेंद्र कुमार खौसे, बेतूल बाजार 

कविता : बेटी का जन्म दिन!

सुख समृद्धि ऐश्वर्य लिए,  

अद्भुत रूप सौंदर्य लिए,

आई लेकर प्रेम अपार ,

खुशी धरकर रूप साकार, सुबह की धूप सी,

सुनहरी संध्या अनूप सी, रोशन करती ज्योति है, 

घर में भरती प्रीति है ।

किसी प्यारी परी सी वो, परिवार की धुरी सी वो, 

जब से हुआ आगमन उसका, मानो पलायन हुआ दुःख का, 

प्रसन्नता तन में है, मन में, सुख ही सुख जीवन में,

आज जन्मदिन आया है एक वर्ष बाद शुभ दिन आया है। 

राजकुमारी सी सजी रहे, सबकी प्यारी बनी रहे,

 मेरी बेटी शान है मेरी, या कह लो जान है मेरी,

 चेहरे से मेरे मिलता चेहरा, चेहरे का उसका रंग सुनहरा, 

वह मेरी ही परछाई है, जन्मदिन की उसे ढेरों बधाई है। 

सूनेपन को दूर करने, मेरे घर -आँगन में, 

माँ लक्ष्मी 'लरण्या' बनकर,  स्वयं ही आई है।

सुख, संपन्नता,ऐश्वर्य सब लाई है। 

"लरण्या" बेटी को जन्मदिन की अनेक अनेक बधाई है।।


8. महेन्द्र कुमार गुदवारे

कविता : गणित मेरे घर में! 

श्रीमान जी,

गणित की व्यापकता सार्वभौम है। 

मैं इसका प्रमाण, 

अपने ही घर से स्पष्ट करता हूँ।

किन्तु श्रीमान, 

कोई भी इस बात को,

मेरे घर तक न पहुँचाएं,

मैं अपने ही घर में,

भयंकर डरता हूँ।


मेरे घर में,

मेरे वेतन की *चर राशि*,

मेरे उनके विचारों की *अचर राशि* से

दो-दो *समीकरण* बन जाते हैं।

इनके हल होते हैं *भिन्न-भिन्न*,

कोई भी कहीं मेल नहीं खाते हैं।


*आलेख* खींचा जाए इनका अगर, 

*संपाती* या *प्रतिच्छेदी* का,

नहीं मिलता है नाम, 

मिलता है इसमें हर-दम *अन्तर*।

कई बार आते हैं ऐसे मौके,

*रेखाएं* खीच जाती है *समानान्तर*।

*श्रम* और *लाभ* का *अनुपात*

कभी भी *समानुपात* नहीं है आता।

उनके इशारों पर केन्द्रित, 

*वृत्त की परिधि* पर,

मैं हूँ सदा स्वयं को पाता।

उनके मायके से,

प्रवेश कर जाए यदि कोई नीति,

तो यह मान लीजिए श्रीमान, 

मेरे घर मेंमौजूद हो जाती है, 

सरेआम *त्रिकोणमिति*।


मेरे विचारों और सिद्धांतों की,

कोई भी मापता नहीं *ऊंचाई*,

की कारणों से *घटाया की दर* बढ़ जाती है,

और की दिनों तक बढ़ जाती है *दूरी*।


मेरे घर में *परिणामों की कुल संख्या*

और इसके *अनुकूल परिणामों की निरंकता* से,

मेरी *प्रायिकता* स्पष्ट होती है।

सारे क्षेत्रों में उनक रहता है कब्जा,

*क्षेत्रामिति* को करता है पूरी।


शासन-प्रशासन की घोषणाओं के होते ही,

मेरे घर में कई *आकड़े*,

प्रस्तावित योजनाओं के आते हैं।

*ब्याज-बट्टा* सहना होता है मुझे,

इसी प्रकार आप भी सभी श्रीमान, 

अपने-अपने *गणित* को पाते है।


9 . अरुणा पाटणकर, बैतूल 

क्षणिकाएं !

१. सहनशील हो जाऊं इस धरती सी मैं ,

धैर्य ओढ़ लूँ बन जाऊं नील गगन सी मैं,

कभी मैं चाहूँ उड़ जाऊँ तितली बनकर मैं,

क्या नारी हूँ बस यही सोचकर,

कुछ परिवर्तन ना चाहूँ मैं ? 


२. मन की बात मन में न रखें कोई मर्ज हो जायेगा,

हाय ! दर्द बढ़ता जायेगा फिर ला इलाज हो जायेगा। 

उस दर्द को करना हो काम तो कलम उठाइये,

कोरे कागज़ पर सब लिख दीजिये वो सब कह जायेगा। 

फिर देखिये कैसे आपका हर मर्ज़ दूर होगा,

फिर देखिये कैसे आपका हर मर्ज़ दूर होगा। 


३. फूल चाहते हो और काँटों सा व्यवहार  करते हो, 

क्यों तुम अपनी बातों से औरों को लहूलुहान करते हो?

अरे ! दिल रूपी ज़मीं पर नागफनी के कांटे न उगाओ,

वहां तो प्यार की शीतल गंगा बहाओ।

        वहां तो प्यार की शीतल गंगा बहाओ।  


10. दीपा मालवीय, बेतूल

कविता : मेरी पीर!

खुशियां दी मैने पर मुझे न मिली,

क्या दोष था मेरा जो मुझे ये पीर मिली......

पर्वत सा रहा मैं सदा अडिग, 

तूफानों से मैं लड़ा बारिश की बूंदों को सहा,

फिर भी बिजली मुझ पर ही गिरी।

क्या दोष था मेरा जो मुझे ये पीर मिली..….....

हमसाया बना मैं तेरा,

तुझे न चलने दिया अकेला।

जब भी तू लड़खड़ाया थाम लिया हाथ तेरा,

फिर भी ये चोट मुझे ही लगी। 

क्या दोष था मेरा जो मुझे ये पीर मिली.......

कभी सोचा भी न था कि वक्त ऐसा भी आएगा,

मेरा सपना भी टूट जाएगा।

कोई मुझसे यूंही रूठ जाएगा,

फिर भी मुझे झूठी तसल्ली ही मिली।

क्या दोष था मेरा जो मुझे ये पीर मिली,

जो मुझे ये पीर मिली।

11. अनुराधा देशमुख, बैतूल

कविता : योग दिवस

Internationalyogaday

आज बड़े सुबह अलार्म लगा कर

उठे हम भी अलसाएं से

आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस है

हम भी मन की बात सुनेंगे 

आ गए हम भी बड़े जोश में

लोम विलोम कपाल भारती

शिर्षासन भी किए जोश में

आखिर सरकारी आंकड़ों में

हम भी अपना नाम दर्ज करेंगे

2_4 सेल्फी लेकर 😁😁

सोशल मिडिया पर अपलोड करेंगे 

फिर बिस्तर तान कर सो जाएंगे😁😁 

 


                                 

12. दिव्या अड़लक, भोपाल 

कविता : महादेव!

महादेव, मेरे महाकाल, स्वयंभू प्रकट वह होते हैं ,


कर भष्म श्रृंगार, ओढ़ मृग की छाल, धूनी रमाकर रहते हैं। 

सोने की लंका दान में देकर, शमशान में जाकर सोते हैं ,

स्वयं विषपान कर, भक्तों पर अमृत वर्षा करते हैं। 

भोले हैं, भंडारी हैं, वह सम भाव सभी पर रखते हैं। 


चंद्रमौली तुम त्रिशूलधारी तुम, हाथ में डमरू धरते हो,

पहन मुण्डमाल सर्पों का हार, कर विचित्र श्रृंगार, हो  नंदी सवार,

त्रिपुर सुंदरी माँ गौरी संग फिरते हो,

महादेव मेरे महाकाल घट - घट में तुम बसते हो।  



Let's Learn English आओ अंग्रेजी सीखें !

A. Grammar व्याकरण 
3. Types of Sentences वाक्यों के प्रकार 


(A) Assertive Sentence साधारण वाक्य 
Affirmative and Negative Sentences are called Assertive Sentence.

1. Affirmative Sentence सकारात्मक वाक्य 
Form = Subject + Verb + Object + Additional.
ex. 
      Sheela makes the toys for orphans.
      शीला अनाथों के लिए खिलोने बनाती है। 
      We cook food for them.
       हम उनके लिए भोजन बनाते हैं। 
      My brother's friend Manish play cricket.
      मेरे भाई का दोस्त मनीष क्रिकेट खेलता है। 
      She will have been singing.
      वह जाती रहेगी। 

2. Negative Sentence नकारात्मक वाक्य 
Form = Sub. + helping verb + not + main verb + Obj.
ex.
      We do not read English novel.
      हम अंग्रेजी उपन्यास नहीं पढ़ते हैं।  
      He can not understand Marathi. 
       वह मराठी नहीं समझ सकता है।  
      They are not going to picnic today.
       वे आज पिकनिक नहीं जा रहे हैं। 
       You have not been working for one day.
        तुम एक दिन से काम नहीं कर रहे हो। 
       Nobody was at home.
        घर पर कोई नहीं था। 
       She learnt nothing from you.
        उसने तुमसे कुछ नहीं सीखा। 
       I had nothing to read.
       मेरे पास पढ़ने को कुछ नहीं था। 
       He will never forget you.
       वह तुम्हे कभी नहीं भूलेगा। 

(B) Interrogative Sentence 
प्रश्नवाचक वाक्य 
Forms = H.V. + Sub. + M.V. + Obj.?
         (Q.W. + h.v. + sub. + m.v. + obj.?)

Question Words प्रश्नवाचक शब्द 
What क्या,  when कब,  where कहाँ,  why क्यों,  how कैसे, how many कितने,  how much कितना,  who कौन, whose किसका,  whom किसको,  which कौन सा, what kind of किस प्रकार का,  which type of किस प्रकार का, etc.

Examples :
Do you play cricket?
क्या तुम क्रिकेट खेलते हो ?
Does she go to temple?
क्या वह मंदिर जाती है ?
Can you cross this river?
क्या तुम यह नदी पार कर सकते हो ?
Have you not been learning music for one year?
क्या तुम एक साल से संगीत नहीं सीख रहे हो ?
What did you do today?
तुमने आज क्या किया ?
When will you come to my house?
आप मेरे घर कब आओगे ?
Where does he work?
वह कहाँ काम करता है ?
Why are they shouting on you?
वे तुम पर क्यों चिल्ला रहे थे ?
How had she reached there?
वह यहाँ कैसे पहुंची थी ?
How many boys are reading with you?
तुम्हारे साथ कितने लड़के पढ़ते हैं ?
How much money do you have?
तुम्हारे पास कितना पैसा है?
Who is your new friend?
तुम्हारा नया मित्र कौन है ?
Which is your old bike?
तुम्हारी पुरानी गाड़ी कौन सी है ?
Which house is newly built?
कौन सा घर नया बना है ?
Whose book do you read?
तुम किसकी किताब पढ़ते हो ?
Whom had you invited in the party?
तुमने पार्टी में किसको बुलाया था ?
What kind of man he is?
वह किस प्रकार का आदमी है ?
Which type of vehicle do they use?
तुम किस प्रकार का वहां उपयोग करते हो ?

B. Vocabulary शब्द कोष  
Antonyms विरुद्धार्थी शब्द ! 
Gain प्राप्ति  / Loss हानि 
General साधारण  / Particular विशेष  
Guest मेहमान  / Host मेजबान 
Hope आशा  / Despair निराशा 
Heaven स्वर्ग  / Hell नर्क 
Humanity मानवता  / Brutuality निर्दयता 
Hard कठोर  / Soft  नरम 
Hurt चोट पहुँचाना  / Heal स्वस्थ करना  
Fat मोटा  / Thin पतला  
Fresh ताजा  / Stale बासी 
Final अंतिम  / Initial आरंभिक  
Frank खुला  / Reserved संकोची  
Fortune भाग्य  / Misfortune दुर्भाग्य 
Flexible लचीला  / Rigid कठोर  
Fact सत्य  / Fiction कल्पना 
Loose ढीला  / Tight कसा हुआ  
Landlord माकन मालिक  / Tenant  किरायेदार 
Lead नेतृत्व करना  / Follow अनुसरण करना 
Length लम्बाई  / Width चौड़ाई 
Head सिर  / Tail पूंछ 
Increase बढ़ना  / Decrease घटना  
Import आयात करना  / Export निर्यात करना 
Individual व्यक्तिगत  / Universal सार्वजानिक  
Insert घुसेड़ना  / Extract निकलना  
Include शामिल करना  / Exclude बहार करना  
Intentional जानबूझकर  / Accidental आकस्मिक   
Junior छोटा  / Senior बड़ा 
Imagination कल्पना  / Reality वास्तविकता 
Often अक्सर  / Seldom कभी कभी 
Obey आज्ञा मानना  / Disobey आज्ञा न मानना  
Permit अनुमति देना  / Prohibit मना करना  
Pleasure आनंद  / Pain तकलीफ 
Merit गुण  / Demerit दोष  
Normal सामान्य  / Abnormal असामान्य  
Oral मौखिक  / Written लिखित 
Optimism आशावाद  / Pessimism निराशावाद 
Rural ग्रामीण  / Urban शहरी 
Religious धार्मिक  / Irreligious अधार्मिक 
Round गोल  / Flat सपाट  
Pure शुद्ध  / Impure अशुद्ध  
Polite नम्र  / Impolite अशिष्ट 
Quiet शांत  / Disquiet अशांत 
Regular नियमित  / Irregular अनियमित 
Public सार्वजनिक  / Private निजी 
Disturbed अशांत  / Calm शांत 
Stranger अजनबी   / Familiar परिचित  
Sympathy सहानुभूति  / Antipathy असहानुभूति 
Transparent पारदर्शी  / Opaque अपारदर्शी 
Wed शादी  / Divorce तलाक  
Warm गर्म  / Cool ठंडा 
Wet गीला  / Dry सूखा 
Victory विजय  / Defeat पराजय 
Vulgar गन्दा  / Refined स्वच्छ  
Optional ऐच्छिक  / Compulsory जरुरी  
Uniform एक सा / Varied भिन्न भिन्न  
Material भौतिक  / Spiritual आध्यात्मिक  
Mental मानसिक  / Physical शारीरिक 
Majority बहुसंख्य  / Minority अल्पसंख्यक  
Moral नैतिक  / Immoral अनैतिक  
Dangerous खतरनाक  / Safe सुरक्षित 
C. English Speaking 

5. Going to English Coaching
     इंग्लिश कोचिंग के बारे में 

a. Where are you going?
    आप कहाँ जा रहे हो ?
b. I am going to English coaching.
    मैं इंग्लिश कोचिंग जा रहा हूँ। 
a. Where are you going to learn English?
     तुम अंग्रेजी सीखने कहाँ जा रहे हो ?
b. I am going to Samwad English Academy.
    मैं संवाद इंग्लिश अकादमी में जा रहा हूँ। 
a. Where is this coaching?
     यह कोचिंग कहाँ है ?
b. It is in front of MPEB office, Tikari Link Road, Betul.
    यह एमपीईबी ऑफिस के सामने, टिकारी लिंक रोड पर बैतूल में है। 
a. Who is the director of this institute?
    इस संस्था का संचालक कौन है ?
b. Mr. Prahalad Parihar is the director of this institute.
    इस संस्था के संचालक श्री प्रहलाद परिहार सर हैं। 
a. What do you learn there?
    तुम वहां क्या सीखते हो ?
b. I learn English grammar, translation, self writing, vocabulary, speaking, etc. 
    मैं इंग्लिश ग्रामर, ट्रांसलेशन, सेल्फ राइटिंग, शब्दकोष, स्पीकिंग, आदि सीखता हूँ। 
a. Do you learn personality development also?
    क्या तुम व्यक्तित्व विकास भी सीखते हो ?
b. Yes, personality development is also taught there.
     हाँ, वहां पर्सनालिटी डेवलपमेंट भी सिखाया जाता है। 
a. What is your batch time?
    तुम्हारी बैच का समय क्या है ?
b. It is 7 to 9 a.m. सात से नौ। 
a. What is your fee? 
    तुम्हारी फीस कितनी है ?
b. It is 4200/- only. 
    चार हजार दो सौ रूपये मात्र। 
a. For how long have you been going there?
    तुम वहां कितने समय से जा रहे हो ?
b. I have been going there for last one month.
    मैं वह पिछले एक महीने से जा रहा हूँ। 
a. Do you have any improvement in your English?
    क्या तुम्हारी अंग्रेजी में कोई सुधार है ?
b. Yes, I have been a good improvement.
     हाँ, अच्छा सुधार है।

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