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Chhatrapati Shivaji Maharaj छत्रपति शिवाजी महाराज!

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  Chhatrapati Shivaji Maharaj! जीवन और चरित्र!   महाराज का आरम्भिक जीवन!                     शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी, 1630 को शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। उनके पिता शाहजीराजे भोंसले एक शक्तिशाली सामंत राजा एवं कूर्मि कुल के थे। उनकी माता जिजाबाई जाधवराव कुल में जन्मी एक असाधारण प्रतिभाशाली महिला थी। शिवाजी के बड़े भाई का नाम सम्भाजीराजे था जो अधिकतर समय अपने पिता शहाजीराजे भोसले के साथ ही रहते थे। शहाजीराजे कि दूसरी पत्नी तुकाबाई मोहिते थीं जिनसे उन्हें एक पुत्र था जिसका नाम व्यंकोजीराजे था। शिवाजी महाराज के चरित्र पर माता-पिता का बहुत प्रभाव पड़ा। उनका बचपन उनकी माता के मार्गदर्शन में ही बीता। उन्होंने राजनीति एवं युद्ध की शिक्षा उन्ही से ली थी। वे उस युग के वातावरण और घटनाओं को भली प्रकार समझने लगे थे। उनके हृदय में स्वाधीनता की लौ प्रज्ज्वलित हो गयी थी। उन्होंने कुछ स्वामिभक्त साथियों का एक संगठन बनाया। शिवाजी की माता जीजाबाई बड़ी ही धार्मिक प्रवृत्ति की थी जिसका असर इनके जीवन पर भी पड़ा।  ...

कविता : एक पिता का स्वप्न! Poem : Dream of a Father!

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  प्रहलाद परिहार कविता : एक पिता का स्वप्न! कई रातों से जब मैं,  नींद की आगोश में जाता हूं। एक छोटी बच्ची मेरे, सपने के आंगन में उतर आती है। वो मासूम, प्यारी सी बच्ची, जो कभी सोया करती थी  चादर के एक टुकड़े पर  अपनी मां के पास या मेरे पास। नींद में वह, सुबह कभी यहां, तो कभी वहां सोई हुई मिलती थी, और ढूंढना पड़ता था उसे  इधर उधर, ओस की बूंद की तरह। रात भर वह मेरी स्मृति के आंगन में, दौड़ लगाती फिरती है, मैं भी थकता नहीं कभी, उसके पीछे यहां वहां भागते। फिर वह गायब हो जाती है अचानक! मैं सोचता हूं कहां गई वह? जोर देने पर समझ आता है, मेरी वह बेटी अब बड़ी हो गई है। कविता के पीछे की कहानी  The above poem is a real experience of mine and written at 2 : 30 am of Tuesday 28/01/25. Due to this dream I was not able sleep for last two three nights. इसे भी पढ़ें :  क विता : मेरी बेटी

reSamwad English Institute!

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  सबसे अच्छा इंग्लिश इंस्टीट्यूट !  Best English Coaching   Resamwad English Academy  1. 32 Year's Proud and Brief History! बत्तीस वर्षीय गर्वीला और संक्षिप्त इतिहास !              यह संस्था संवाद इंग्लिश एवं टेक्निकल इंस्टिट्यूट नाम से 16 अप्रैल 1993 मध्य प्रदेश राज्य के बैतूल जिले में प्रहलाद परिहार सर के द्वारा आरम्भ की गयी थी। अब तक यहाँ हजारों विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं।  आरम्भ में यह संस्था एक टेक्निकल इंस्टिट्यूट के तौर पर काम करती थी जिसमे स्पोकन इंग्लिश भी पढाई जाती थी। इसमें मुख्यतः मोटर वाइंडिंग, इलेक्ट्रिक फिटिंग और रेडियो टीवी रिपेयरिंग सिखाई जाती थी। परन्तु कुछ सालों बाद टेक्निकल कोर्सेज बंद कर दिए गए और पूरी तरह इंग्लिश स्पीकिंग ही सिखाई जाने लगी साथ ही एम ए इंग्लिश लिटरेचर कोचिंग, स्कूल/कॉलेज ग्रामर, और प्रतियोगिता परीक्षा की इंग्लिश पढ़ाई जाती है ।             यह इस क्षेत्र का सबसे बेहतर इंस्टिट्यूट है जहाँ उचित फीस में इंग्लिश सिखाई जाती है। अब तक हजारो विद्यार्थ...

Hydrabadi Biryani Centre! हैदरबादी बिरयानी, बेतूल

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सबसे अच्छा बिरयानी सेंटर!  Best Biryani Centre ! हैदराबादी बिरयानी सेंटर, बैतूल   संक्षिप्त इतिहास :  दोस्तों , बैतूल में   "हैदराबादी बिरयानी सेंटर"  भाई   अब्दुल इमरान   द्वारा सन 2014  में आरम्भ किया है।  अब यह बैतूल की पहचान बन गया है, और धीरे धीरे पुरे प्रदेश में मशहूर होता जा रहा है। शुरुआत में थोड़ा रिस्पांस कम था लेकिन धीरे धीरे हमें पहचान मिलती गयी और आज बहुत अच्छा रिस्पांस है। रेस्टॉरेंट के मामले में आज  हैदराबादी बिरयानी  को लोगों ने गूगल और यू ट्यूब पर फाइव स्टार की रैंकिंग दे रखी है। इसके पहले इन्होने चार साल तक ग्वालियर शहर में इसी क्षेत्र में काम किया हैं।  अब्दुल इमरान का कहना है कि यदि ऐसे ही लोगों का प्यार मिलता रहा तो हम एक दिन पुरे देश में हैदराबादी बिरयानी का स्वाद पहुंचाएंगे।     वर्तमान में प्रदत्त सेवाएं :   आज  हैदराबादी बिरयानी सेंटर  को लोग शहर का  बेस्ट बिरयानी सेंटर  मानते हैं। पहले यह सेंटर बैतूल में  हॉकी ग्राउंड के पास स्थित था जिसके दाएं...

Kavygatha Online Magazine 19/11/24

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1. आशा "अंकनी", बैतूल          दर्द की इंतहा! कैसे बयां करें दर्द और तकलीफें, बताने के लिए शब्द नहीं जुबान पर, दर्द का एहसास है दिल की गहराईयों में , और तकलीफों की चुभन आसमान पर। कैसे बताएं कैसे समझाएं,अपना हाल, पहरे लगे हैं, बिखरे हुए अरमान पर , पाने को तो मंजिलें है कई जिंदगी में, पर अनदेखी पाबंदीयां हैं ऊंची उड़ान पर। जिंदगी अपनी होकर भी अपनी नहीं, किसी को तरस नहीं आता इस नादान पर, संभाल कर खुद को कैसे संभल जाएं , भरोसा भी नहीं रहा अब इस बेईमान पर। इंतहा हो गई है दर्द को सहने की, दिखाई दे जाता है दर्द हर निशान पर, गवाही देती है झुर्रियां बढ़ती उम्र की, जिम्मेदारियां रूकती नहीं थकान पर। शिकायतें जिंदगी से थमने लगी है अब, उम्मीदें जिंदा है खुद के एहसान पर, जो शब्द जुबान पर नहीं आ पाए,  वो कागज पर छप गए दिल के फरमान पर। तकलीफों का अंदाज ए बयां ऐसा ही है, खुदगर्जी का सुरूर छाया है इंसान पर, खुद की कहानी के खुद ही दर्शक हैं हम , न पटकथा, न अंजाम,  बस अभिनय छाया है जहान पर। 2. प्रतिभा द्विवेदी, भोपाल         हवाओं में कैसा असर! हव...