45th Death Anniversary of Rafi Sahab
मोहम्मद रफ़ी और उनके सदाबहार नग़मे! 31st July Special
दोस्तों, मैं आज आपके साथ रफी साहब के बारे में कुछ बातें शेयर करने जा रहा हूँ। ये सारी बातें मैं उनके तमाम फैंस की ओर से भी लिख रहा हूँ जो शायद कहना तो बहुत कुछ चाहते हैं परन्तु कह नहीं पाते। दोस्तों रफ़ी साहब हमारे दिल में ऐसे रहते हैं जैसे किसी मंदिर में कोई देवता। जो लोग उनके बारे में जानते हैं वे जानते है कि मैं ऐसा क्यों कह रहा हूँ। एक वक्त था जब मैं उनके बारे में ज्यादा नहीं जनता था तब मैं छोटा था लेकिन ३१ जुलाई १९८० के बाद जब वे इस दुनिया में नहीं रहे तो एक के बाद एक जब मैंने उनके गीतों को सुना और उनके बारे में जाना तो मैं उनके लिए दीवाना सा हो गया। क्या - क्या कहूं ! मुझे लगता है उनके जैसा गायक और उनके जैसा इंसान दुनिया में न कभी पहले हुआ न कभी होगा। क्या हिन्दू , क्या मुस्लमान, क्या सिक्ख , क्या ईसाई, सब ही उनके दीवाने हैं। उनकी आवाज़ भगवान की आवाज़ है दोस्तों। वो तो हमारे बीच नहीं रहे लेकिन उनकी आवाज़ सदियों तक लोगों के दिलों में गूंजती रहेगी। शब्दों में उनकी तारीफ करना मेरे बस की बात नहीं। हमने उन्हें याद करते हुए बहुत से प्रोग्राम किये हैं और आगे भी करते रहेंगे। इस बार इस लेख के माध्यम से ही मैं उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। वो एक पूरी किताब थे, वो एक पूरी यूनिवर्सिटी थे गाने वालों के लिए। वैसे तो कई बार आपने उनके बारे में पढ़ा होगा परन्तु एक बार फिर मैं आपको उनकी कहानी संक्षेप में सुनाता हूँ। यह सिर्फ एक जानकारी है , दास्ताँ तो कभी ख़त्म नहीं हो सकती ........
रफ़ी साहब का जन्म २४ दिस्मबर १९२४ को अमृतसर के कोटला सुल्तान सिंह नामक गांव में हुआ था जो अब पाकिस्तान में है। उन्हें बचपन से ही गाने का शौक था। उनके अब्बा गाने के सख्त खिलाफ थे। परन्तु उनके बड़े भाई हमीद साहब ने उन्हें गाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने ही उन्हें संगीत की तालीम बड़े ग़ुलाम अली खां साहब और उस्ताद खान अब्दुल वाहिद साहब से दिलवाई। एक किस्सा है कि लाहौर में एक संगीत सभा का आयोजन था जिसमे अपने ज़माने के मशहूर गायक श्री के एल सहगल साहब गाने वाले थे। अचानक माइक ख़राब हो गया तो लोगों को चुप करने के लिए हमीद साहब ने बालक रफ़ी को गाने के लिए खड़ा कर दिया। वहां रफ़ी की आवाज़ सुनकर सहगल साहब ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि वो एक दिन जरूर महान गायक बनेंगे।
रफ़ी साहब ने अपना पहला गाना लाहौर में ही पंजाबी फिल्म "गुलबलोच " के लिए संगीतकार श्यामसुंदर के निर्देशन में गाया था जिसके बोल थे ''सोहनिए हिरनिये नी तेरी याद ने बहुत सताया .....'' इसके बाद उन्होंने फिल्म ''गावं की गोरी '' के लिए बम्बई में अपना अगला गीत गाया। सन 1947 में जब महात्मा गाँधी जी नहीं रहे राजेंद्र कृष्ण ने रातभर जागकर 'बापू की अमर कहानी' लिखी जिसे रफ़ी साहब ने गया और इस गीत की वजह से वे पुरे भारत में प्रसिद्द हो गये। उनका नाम सितारों की मानिंद रोशन हो गया।
इसके बाद हमीद साहब ने उन्हें सगीतकार नौशाद से मिलवाया। नौशाद ने उन्हें मिनर्वा मूवीटोन जाकर मीर साहब से मिलने को भेजा। उन दिनों फिल्म 'दिल्लगी ' का निर्माण हो रहा था। इस वक्त तक रफ़ी साहब लाहौर से आये एक बेसरो सामान, बेसहारा, दुबले पतले, लड़के थे जिनके पास बस के किराये तक के पैसे नहीं होते थे। तभी नौशाद के सगीत निर्देशन में फिल्म 'दिल्लगी ' के गीतों 'तेरे कूचे में अरमानों की दुनिया ले के आया हूँ ' और 'इस दुनिया में ये दिलवालों दिल का लगाना कोई खेल नहीं ' जैसे गीतों की अपार लोकप्रियता ने रफ़ी साहब के कॅरियर को भी मजबूती प्रदान की। फिर फिल्म 'बैजू बावरा ' आई जिसके गीतों ने सारे भारत में धूम मचा दी और रफ़ी साहब का नाम संगीत की दुनिया में मील के पत्थर की तरह स्थापित हो गया। इसी में ये गीत थे - 'तू गंगा की मौज मैं नैया का धारा ....' और ' वो दुनिया के रखवाले ....'
वे केवल एक अच्छे गायक ही नहीं बल्कि एक फरिश्ता इंसान थे इस बात को आप उन्हें जानने वाले किसी भी शख्श से बखूबी जान सकते हैं। इतने नम्र की जिसकी मिशाल मिलना मुश्किल है। उन्होंने अपने संगीत के सफर में लगभग सभी संगीतकारों के साथ काम किया और सभी कलाकारों को अपनी आवाज़ दी। सब लोगों से उनके अच्छे रिश्ते रहे। वे जिस के लिए गाते थे लोगों को उनकी आवाज़ उसी कलाकार के जैसी लगती थी। ये एक बहुत बड़ी विशेषता उनकी आवाज़ में थी। फिल्म प्यासा का उदाहरण लें जिसमे उन्होंने एक तरफ तो गाया - '' ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है '' तो दूसरी तरफ जॉनी वाकर के लिए - '' तेल मालिश, चम्पी ....'' जैसा कॉमेडी गीत भी गाया। यहाँ तक की उन्होंने किशोर कुमार और तलत मेहमूद जैसे गायक - अभिनेताओं के लिए भी आवाज़ दी - फिल्म - रागिनी - ''मन मोरा बावरा '' और फिल्म - लाला रुख - '' कली कली के लब पे तेरे हुश्न का फ़साना '' . उन्होंने अपना आखिरी गीत - 'शहर में चर्चा है ' फिल्म - 'आसपास' के लिए लताजी के साथ लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के सगीत निर्देशन में गया था। इसी फिल्म में एक गीत था -
किसी ने कहा भी है - ''हज़ारों साल नरगिस अपनी बेनूरी पर रोती है,
1. फिल्म : हम दोनों 1961 / संगीत : जयदेव / गीतकार : साहिर
मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया,
हर फ़िक्र को धुंए में उड़ाता चला गया।
बर्बादियों का सोग मनाना फ़िज़ूल था ,
बर्बादियों का जश्न मनाता चला गया।
जो मिल गया उसी को मुकद्दर समझ लिया,
जो खो गया मैं उसको भूलता चला गया।
ग़म और खुशी में फर्क ना महसूस हो जहां,
मैं दिल को उस मुकाम पे लाता चला गया।
2. फिल्म : हम दोनों 1961 / संगीत : जयदेव /
गायक : रफी और आशा / गीतकार : साहिर
अभी न जाओ छोड़कर के दिल अभी भरा नहीं,
# अभी अभी तो आई हो, बाहर बन के छाई हो,
हवा जरा महक तो ले, नज़र जरा बहक तो ले,
ये शाम ढल तो ले जरा, ये दिल संभल तो ले जरा,
मैं थोड़ी देर जी तो लूं, नशे के घूंट पी तो लूं,
अभी तो कुछ कहा नहीं, अभी तो कुछ सुना नहीं
सितारे झिलमिला उठे, चिराग जगमगा उठे,
बस अब न मुझको टोकना, ना बढ़ के राह रोकना,
अगर मैं रुक गई अभी, तो जा न पाऊंगी कभी,
यही कहोगे तुम सदा के दिल अभी नहीं भरा,
जो खत्म हो किसी जगह ये ऐसा सिलसिला नहीं।
3. फिल्म : शगुन 1964 / संगीत : खय्याम / गीतकार : साहिर
तुम चली जाओगी परछाइयां रह जाएंगी,
कुछ न कुछ हुस्न की रानाईयां रह जाएंगी।
तुम के इस झील के साहिल पे मिली हो मुझसे,
जब देखूंगा यहीं मुझको नज़र आओगी।
याद मिटती है न मंज़र कोई मिट सकता है,
दूर जाकर भी तुम अपने को यहीं पाओगी।
घुल के राह जाएगी झोंकों में बदन की खुशबू,
ज़ुल्फ का अक्स घटाओं में रहेगा सदियों ।
फूल चिपके से चुरा लेंगे लबों की सुर्खी,
ये जवां हुस्न फिज़ाओं में रहेगा सदियों।
4. फिल्म : मुझे जीने दो 1963 / संगीत : जयदेव / गीतकार : साहिर
अब कोई गुलशन न उजड़े अब वतन आज़ाद है,
रूह गंगा की हिमाला का बदन आज़ाद है।
खेतीया सोना उगाएं, वादियां मोती लुटाएं,
आज गौतम की ज़मीं तुलसी का बन आज़ाद है।
मंदिरों में शंख बाजे, मस्ज़िदों में हो अज़ान,
शेख का धर्म और दीन ए बर ह मन आज़ाद है।
लूट कैसी भी हो अब इस देश में रहने ना पाए,
आज सबके वास्ते धरती का धन आज़ाद है।
5. फिल्म : बाबर / संगीत : रोशन / गीतकार : साहिर
तुम एक बार मोहब्बत का इम्तेहान तो लो,
मेरे जुनू मेरी वहसत का इम्तेहान तो लो।
सलाम ए शौक पे रंजिश भरा पयाम न दो,
मेरे खूलूस को फिरास ए हवस का नाम न दो।
मेरी वफा की हक़ीक़त का इम्तेहान तो लो!
में अपनी जान भी दे दूं तो ऐतबार नहीं,
के तुमसे बढ़ के मुझे ज़िन्दगी से प्यार नहीं,
यूं ही सही मेरी चाहत का इम्तेहान तो लो!
6. फिल्म : शगुन 1964 / संगीत : खय्याम /
गायक : रफी साहब और सुमन कल्याणपुर / गीतकार : साहिर
पर्वतों के पेड़ों पर शाम का बसेरा है,
सुरमई उजाला है चंपई अंधेरा है।
दोनों वक्त मिलते हैं दो दिलों की सूरत से,
आसमां ने खुश हो कर रंग सा बिखेरा है।
ठहरे ठहरे पानी में गीत सरसराते हैं,
भीगे भीगे झोंको में खुशबुओं का डेरा है।
क्यों न जज्ब हो जाएं इस हसीं नज़ारे में,
रौशनी का झुरमुट है, मस्तियों का घेरा है।
अब किसी नज़ारे की दिल को आरज़ू क्यों हो,
जब से पा लिया तुमको, सब जहान मेरा है।
7. फिल्म : चंबल की कसम 1980 / संगीत : खय्याम /
गायक : रफी - लता / गीतकार : साहिर
सिमटी हुई ये घड़ियाँ, खुल के न बिखर जाएं ,
इस रात में जी लें हम, इस रात में मर जाएँ।
दुनियां की निगाहें अब हम तक न पहुँच पाएं ,
तारों में बसें चलकर धरती में उतर जाएं।
हालत के तीरों से छलनी हैं बदन अपने,
पास आओ के सीनों के कुछ ज़ख्म तो भर जाएं।
बिछड़ी हुई रूहों का ये मेल सुहाना है,
इस मेल का कुछ अहसान जिस्मों पे भी कर जाएँ।
8. फिल्म : वक्त 1965 / संगीत : रवि / गीतकार :
ये मेरी ज़ोहरा ज़बीं तुझे मालूम नहीं,
तू अभी तक है हसीं और मैं जवां ,
तुझपे कुर्बान मेरी जान, मेरी जान।
ये शोखियाँ ये बांकपन, जो तुझमे है कहीं नहीं,
दिलों को जीतने का फ़न जो तुझमे है कहीं नहीं ,
मैं तेरी आँखों में पा गया दो जहाँ ----
तू मीठे बोल जाने मन जो मुस्कुरा के बोल दे ,
तो धड़कनों में आज भी शराबी रंग घोल दे ,
ओ सनम मैं तेरा आशिक ए जा बिदां ----
9. फिल्म : अमानत 1970 / संगीत : रवि / गीतकार : साहिर
दूर रहकर न करो बात करीब आ जाओ,
याद रह जाएगी ये रात, करीब आ जाओ।
एक मुद्दत से तमन्ना थी तुम्हें छूने की ,
आज बस में नहीं जज़्बात, करीब आ जाओ।
सर्द झोंकों से भड़कते हैं बदन में शोले,
जान ले लेगी ये बरसात करीब आ जाओ।
इस कदर हमसे झिझकने की ज़रूरत क्या है,
ज़िंदगी भर का है अब साथ करीब आ जाओ।
10. फिल्म : नया दौर 1957 / संगीत : ओ पी नैय्यर / गीतकार : साहिर
ये देश है वीर जवानों का, अलबेलों का मस्तानों का,
इस देश का यारों क्या कहना, ये देश है दुनियां का गहना।
यहाँ चौड़ी छाती वीरों की, यहाँ भोली शक्लें हीरों की,
यहाँ गाते हैं रांझे मस्ती में, मचती हैं धूमें बस्ती में।
पेड़ों पे बहारें झूलों की, राहों में कतारें फूलों की,
यहाँ हँसता है सावन बालों में, खिलती हैं कलियाँ गालों में।
कहीं दंगल शोख जवानों के, कहीं करतब तीर कमानों के,
यहाँ नित नित मेले सजते हैं, नित ढोल और ताशे बजते हैं।
दिलबर के लिए दिलदार हैं हम, दुश्मन के लिए तलवार हैं हम,
मैदां में अगर हम डट जाएँ, मुश्किल है किसी से हट जाएँ।
11 . फिल्म : ताज महल 1963 / संगीत : रोशन /
गायक : लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी / गीतकार : साहिर
जो वादा किया को निभाना पड़ेगा,
रोके ज़माना चाहे रोके खुदाई, तुमको आना पड़ेगा ...
तरसती निगाहों ने आवाज़ दी है,
मोहब्बत की राहों ने आवाज़ दी है।
जाने हया, जाने अदा, छोड़ो तरसाना,
तुमको आना पड़ेगा, ....
ये माना हमें जा से जाना पड़ेगा,
पर ये समझ लो तुमने,
जब भी पुकारा हमको आना पड़ेगा ....
हम अपनी वफ़ा पे न इलज़ाम लेंगे,
तुम्हे दिल दिया है तुम्हे जां भी देंगे, आ आ
जब इश्क़ का सौदा किया
फिर क्या घबराना हमको आना पड़ेगा ....
12 . फिल्म : इज्ज़त 1969 / संगीत : लक्ष्मीकांत प्यारेलाल /
गायक : रफी - लता / गीतकार : साहिर
ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं हम क्या करें,
तसव्वुर में कोई बसता नहीं हम क्या करें,
तुम्ही कह दो अब ए जान ए वफा हम क्या करें।
लूटे दिल में दिया जलता नहीं हम क्या करें,
तुम्ही कह दो अब ए जान ए अदा हम क्या करें।
किसी के दिल में बस कर दिल को तड़पाना नहीं अच्छा,
निगाहों को झलक दे दे के छुप जाना नहीं अच्छा,
उम्मीदों के खिले गुलशन को झुलसाना नहीं अच्छा,
हमे तुम बिन कोई जचता नहीं हम क्या करें, ...
मोहब्बत कर तो लें लेकिन मोहब्बत रास आए भी,
दिलों को बोझ लगते हैं कभी जुल्फों के साए भी,
हजारों गम है इस दुनियां में अपने भी पराए भी,
मोहब्बत ही का ग़म तन्हा नहीं, हम क्या करें ....
बुझा दो आग दिल की या इसे खुलकर हवा दे दो
जो इसका मोल दे पाए उसे अपनी वफा दे दो
तुम्हारे दिल में क्या है बस हमें इतना पता दे दो,
के अब तन्हा सफर कटता नहीं हम क्या करें ...
13 . फिल्म : बरसात की रात 1960 / संगीत : रौशन /
गायक : रफी साहब / गीतकार : साहिर
ज़िन्दगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात,
एक अनजान हसीना से मुलाकात की रात।
हाय वो रेशमी जुल्फों से बरसता पानी,
फूल से गालों पे रुकने को तरसता पानी,
दिल में तूफान उठाते हुए जज़्बात की रात, जिंदगी भर ...
सुर्ख आंचल को दबाकर जो निचोड़ा उसने,
दिल पे जलता हुआ एक तीर सा छोड़ा उसने
आग पानी में लगाते हुए हालात की रात, ज़िंदगी भर ....
14 . फिल्म : नील कमल 1968 / संगीत : रवि /
गायक : मोहम्मद रफी / गीतकार : साहिर
आ ... आ जा आ आ जा
तुझको पुकारे मेरा प्यार
आ जा मैं तो मिटा हूं तेरी चाह में
तुझको पुकारे मेरा प्यार
आखिरी पल है आखिरी आहें तुझे ढूंढ रही हैं
डूबती सांसें, बुझती निगाहें तुझे ढूंढ रही हैं
सामने आ जा एक बार हो,
आ जा मैं तो मिटा हूं तेरी चाह में ...
दोनों जहां की भेंट चढ़ा दी मैंने चाह में तेरी,
अपने बदन की खाक मिला दी मैंने आह में तेरी,
अब तो चली आ इस पार,
आ जा मैं तो मिटा हूं तेरी चाह में ...
इतने युगों तक, इतने दुखों को कोई सह ना सकेगा,
तेरी कसम मुझे तू है किसी की कोई कह ना सकेगा,
मुझसे है तेरा इकरार,
आ जा मैं तो मिटा हूं तेरी चाह में ...
15 . फिल्म : नील कमल / संगीत : रवि /
गायक : मोहम्मद रफी / गीतकार : साहिर
बाबुल की दुआएं लेती जा, जा तुझको सुखी संसार मिले,
मैके की कभी ना याद आए, ससुराल में इतना प्यार मिले।
नाजों से तुझे पाला मैंने, कलियों की तरह,फूलों की तरह,
बचपन में झुलाया है तुझको, बाहों ने मेरी झूलों की तरह
मेरे बाग की ए नाज़ुक दाली, तुझे हर पल नई बहार मिले।
जिस घर से बंधे हैं भाग तेरे, उस घर में सदा तेरा राज रहे,
होठों पे हंसी की धूप खिले, माथे पे खुशी का ताज रहे।
कभी जिसकी ज्योत ना हो फीकी, तुझे ऐसा रूप सिंगार मिले।
बीते तेरे जीवन की घड़ियां, आराम की ठंडी छांव में,
कांटा भी न चुभने पाए कभी, मेरी लाडली तेरे पांव में,
उस द्वार से भी दुःख दूर रहे, जिस द्वार से तेरा द्वार मिले।
16 . फिल्म : आँखें 1968 / संगीत : रवि /
गायक : रफ़ी साहब / गीतकार : साहिर
हर तरह के जज़्बात का एलान हैं आँखें,
शबनम कभी, शोला कभी तूफान हैं आँखें।
आँखों से बड़ी कोई तराजू नहीं होती,
तुलता है बसर जिसमें वो मीजान हैं आँखें।
आँखें ही मिलाती हैं ज़माने में दिलों को,
अनजान हैं हम तुम अगर अनजान हैं आँखें।
आँखें न झुकें तेरी किसी गैर के आगे ,
दुनियां में बड़ी चीज मेरी जान हैं आँखें।
उस मुल्क की सरहद को कोई छू नहीं सकता,
जिस मुल्क की सरहद की निगेहबान हैं आखें।
17 . बहु-बेटी 1965 / संगीत : रवि /
गायक : रफ़ी साहब / गीतकार : साहिर
जिओ तो ऐसे जिओ जैसे सब तुम्हारा है,
मारो तो ऐसे कि जैसे तुम्हारा कुछ भी नहीं।
जहाँ में आ के जहाँ से खींचे खींचे न रहो,
वो ज़िंदगी ही नहीं जिसमें आस बुझ जाये।
कोई भी प्यास दबाये से दब नहीं सकती ,
इसी से चैन मिलेगा कि प्यास बुझ जाये।
ये कह के मुड़ता हुआ ज़िंदगी का धारा है, जिओ तो ....
ये आसमां, ये ज़मीं, ये फ़िज़ा, ये नज़ारे,
तरस रहे हैं, तुम्हारी मेरी नज़र के लिए।
नज़र चुरा के हर एक शै को यूँ न ठुकराओ,
कोई शरीक ए सफर ढूंढ लो सफ़र के लिए।
बहुत करीब से मैंने तुम्हें पुकारा है , जिओ तो ....
18 . फिल्म : नया रास्ता 1970 / संगीत : एन दत्ता / गायक : मोहम्मद रफ़ी / गीतकार : साहिर
पोंछकर अश्क अपनी आँखों से, मुस्कुराओ तो कोई बात बने,
सर झुकाने से कुछ नहीं होगा, सर उठाओ तो कोई बात बने।
ज़िदगी भीख में नहीं मिलती, ज़िंदगी बढ़ के छीनी जाती है,
अपना हक़ संगदिल ज़माने से, छीन पाओ तो कोई बात बने।
रंग और नस्ल, जात और मज़हब, जो भी है आदमी से कमतर है ,
इस हक़ीक़त को तुम भी मेरी तरह, मान जाओ तो कोई बात बने।
नफरतों के जहाँ में हमको, प्यार की बस्तियां बसानी है,
दूर रहना कोई कमाल नहीं, पास आओ तो कोई बात बने।
19 . फिल्म : वासना 1968 / संगीत : चित्रगुप्त /
गायक : रफी साहब और लता मंगेशकर /गीतकार : साहिर
ये पर्वतों के दायरे ये शाम का धुआं,
ऐसे में क्यों न छेड़ दें दिलों की दास्तां।
जरा सी ज़ुल्फ खोल दो, फिजा में इत्र घोल दो,
नज़र जो बात कह चुकी वो बात मुंह से बोल दो,
कि झूम उठे निगाह में बहार का समा।
ये चुप भी एक सवाल है अजीब दिल का हाल है,
हर एक सवाल खो गया तो बस अब यही खयाल है,
कि फासला न कुछ रहे हमारे दर मियां।
20 . फिल्म : चित्रलेखा 1964 / संगीत : रोशन /
गायक : मोहम्मद रफ़ी / गीतकार : साहिर
मन रे तू काहे न धीर धरे ,
वो निर्मोही मोह न जाने, जिनका मोह करे ....
इस जीवन की चढ़ती ढलती धूप को किसने बांधा,
रंग पे किसने पहरे डाले, रूप को किसने बांधा ,
कहे ये जतन करे ....
उतना ही उपकार समझ कोई जितना साथ निभा दे,
जनम मरण का मोल है सपना, ये सपना बिसरा दे,
कोई न संग मरे ....
21 . फिल्म : प्यासा 1957 / संगीत : एस डी बर्मन / गायक : रफ़ी साहब / गीतकार : साहिर
ये महलों, ये तख्तों ये ताजों की दुनिया,
ये इन्सां के दुश्मन समाजों की दुनिया ,
ये दौलत के भूखे रवाजों की दुनियाँ ,
ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या हैं।
हर एक ज़िस्म घायल, हर एक रूह प्यासी,
निगाहों में उलझन, दिलों में उदासी ,
ये दुनिया है या आलम ए बदहवासी,
ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है।
जवानी भटकती है बदकार बनकर,
जवां जिस्म सजते हैं बाजार बन कर ,
यहाँ प्यार होता है व्यापार बन कर ,
ये दुनियाँ अगर मिल भी जाये तो क्या है।
ये दुनियाँ जहाँ आदमी कुछ नहीं है,
वफ़ा कुछ नहीं, दोस्ती कुछ नहीं है ,
जहाँ प्यार की कद्र कुछ नहीं है ,
ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है।
जला दो इसे फूक डालो ये दुनिया,
जला दो, जला दो, जला दो, जला दो
इसे फूक डालो ये दुनिया
मेरे सामने से हटा लो ये दुनिया
तुम्हारी है तुम ही सम्हालो ये दुनिया,
ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है।
22 . आज और कल 1963 / संगीत : रवि /
गायक : मोहम्मद रफ़ी / गीतकार : साहिर
ये वादियाँ ये फ़िज़ाएं बुला रही हैं तुम्हें,
ख़ामोशियों की सदायें बुला रही हैं तुम्हें,
तुम्हारी ज़ुल्फ़ों से खुशबु की भीख लेने को ,
झुकी झुकी सी घटायें बुला रही हैं तुम्हें।
हसीन चम्पई पैरों को जबसे देखा है ,
नदी की मस्त अदाएं बुला रही हैं तुम्हें।
मेरा कहा न सुनो दिल की बात ही सुन लो ,
हर एक दिल की दुआएं बुला रही हैं तुम्हें।
23 . फिल्म : काजल 1965 / संगीत : रवि /
गायक : मोहम्मद रफ़ी / गीतकार : साहिर
ये ज़ुल्फ़ अगर खुल के बिखर जाये तो अच्छा,
इस रात की तक़दीर संवर जाये तो अच्छा।
जिस तरह से थोड़ी सी तेरे साथ कटी है ,
बाकी भी उसी तरह गुजर जाये तो अच्छा।
दुनियां की निगाहों में भला क्या है बुरा क्या ,
ये बोझ अगर दिल से उत्तर जाये तो अच्छा।
वैसे तो तुम्हीं ने मुझे बर्बाद किया है ,
इलज़ाम किसी और के सर जाये तो अच्छा।
24. Film : Haqeekat 1964 / Lyricist : Kaifi Azmi /
Singer : Mohammad Rafi / Music : Madan Mohan
Kar chale ham fida jan o tan saathiyon,
Ab tumhare hawale vatan sathiyon .
Sans thamti gayi, nabz jamti gayi
Fir bhi badhte kadam ko na rukne diya.
Kat gaye sar hamare to kuchh gam nahin,
Sar himalay ka hamne na jhukne diya .
marte marte raha bankpan saathiyon, ab tumhare ...
Zinda rehne ke mausam bahut hain magar,
Jaan dene ki rut roz aati nahin.
Husn aur ishq dono ko rusva kare,
Vo jawani jo khun men nahati nahin.
Aaz dharti bani hai dulhan saathiyon, ab tumhare ...
Raah kurbaniyon ki na veeran ho,
Tum sajate hi rehna naye kafile.
Fatah ka zashn is zashn ke baad hai,
Zindgi maut se mil rahi hai gale.
Baandh lo apne sar pe kafan saathiyon, ab tumhare ...
Khench do apne khun se zamin par lakeer,
Is taraf aane paye na rawan koi.
Tod do haath agar haath uthne lage,
Chhune paye na seeta ka daaman koi.
Raam bhi tum, tumhi lakshman saathiyon, ab tumhare ...
25. Film : Dulhan Ek Raat Ki 1966 / Lyricist : Raja Mehandi Ali khan /
Singer : Mohd. Rafi / Music : Madan Mohan
Ek hasin shaam ko dil mera kho gaya,
Pehle apna hua karta tha, ab kisi ka ho gaya.
Muddaton se aarzu thi zindgi men koi aaye,
Suni sun zindgi men koi shamma jhilmilaye.
Vo jo aaye to roshan zamana ho gaya, ek hasin...
Mere dil ke karvan ko le chala hai aaz koi,
Shabnamin see jiski aankhen thodi jaagi thodi soyi.
Unko dekha to mausam suhana ho gaya, ek hasin ...
26. Film : Aapki Parchhaiyan 1964 / Lyricist : RMAK /
Singer : Mohd. Rafi / Music : Madan Mohan
Main nigaahen tere chehre se hataun kaise,
Lut gaye hosh to fir hosh men aanu kaise.
Chha rahi hai teri mehki hui zulfon ki ghata,
Teri aankhon ne pila di to main peeta hi gaya.
Tauba tauba, tauba tauba , tauba tauba,
Vo nasha hai ke bataun kaise, main nigahen ...
Meri aankhon men gile -shikve hain aur pyar bhi hai,
Aarzuyen bhi hain aur hasrat e didar bhi.
Itne tufan main aankhon men chhupaun kaise, main nigahen ...
27. Film : Hanste Zakhm 1973 / Lyricist : Kaifi Aazmi /
Singer : Mohd. Rafi / Music : Madan Mohan
Tum jo mil gaye ho, to ye lagta hai,
Ke jahan mil gaya,
Ek bhatke huye raahi ko, karvan mil gaya.
Baitho na door hamse, dekho khafa na ho,
Kismat se mil gaye ho, mil kar zuda na ho,
Meri kya khata hai, hota hai ye bhi,
Ke zamin se bhi kabhi, aasman mil gaya, ...
Tum kya jano tum kya ho, ek sureela nagma ho,
Bheegi raaton men masti, tapte din men saaya ho,
Ab jo aa gaye ho, jaane na dunga,
Ke mujhe ek hasin mehrban mil gaya, ...
Tum bhi the khoye khoye, main bhi bujha bujha,
Tha aznabi zamana, apna koi na tha.
Dil ko jo mil gaya hai, tera sahara,
Ek nai zindgi ka nishan mil gaya, .....
28. Film : Heer Ranjha 1970 / Lyricist : Kaifi Aazmi /
Singer : Mohd. Rafi / Music : Madan Mohan
Ye duniya, ye mehfil, mere kaam ki nahin,
Kis ko sunaun haal dil e bekarar ka,
Bujhta hua chiraag hun apne mazar ka.
E kaash bhool jaun, magar bhoolta nahin,
Kis dhum se utha tha zanaza bahaar ka.
Apna pata mile na khabar yaar ki mile,
Dushman ko bhi na aisi saza pyar ki mile.
Unko khuda mile hai khuda ki jinhen talaash,
Mujhko bas ek jhalak mere dildaar ki mile.
Sehra men aa ke bhi mujhko thikaana na mila,
Gam ko bhulane ka koi bahana na mila.
Dil tarse jismen pyar ko, kya samjhun us sansar ko,
Ek jeeti baazi haar ke, main dhundhun bichhde yaar ko.
Door nigahon se aansu bahata hai koi,
Kaise na jaaun main, mujhko bulata hai koi.
Ya toote dil ko jod do, ya saare bandhan tod do,
E parvat rasta de mujhe, e kanton daaman chhod do.
29. Film : Hakikat 1964 / Lyricist : Kaifi Aazmi /
Singer : Mohd. Rafi / Music : Madan Mohan
Main ye soch kar uske dar se utha tha
Ke vo rok legi mana legi mujhko,
Havaon men leharata aatha tha daaman,
Ki daman pakadkar bitha legi mujhko,
Kadam aise andaz men uth rahe the,
Ki aawaz dekar bula legi mujhko,
Magar unsne roka na usne manaya,
Na daman hi pakda na mujhko bithaya,
Na aawaz hi di na vapas bulaya,
Main aahista aahista badhta hi aaya,
Yahan tak ki us se zuda ho gaya main,
Yahan tak ki us se zuda ho gaya main,
Zuda ho gaya main,
Zuda ho gaya main,
Zuda ho gaya main,
Yun rutho na haseena meri jaan pe ban aayegi,
Karte na jo bahana, nazdeek kaise aate,
Ye fasla ye duri, ham kis tarah mitate.
Haathon me tum na lete, jab haath hi hamara,
Is bekarar dil ko, milta kahan sahara.
Aao kareeb aao, palkon pe baith jao,
Aankhon men jhum jao, dil men mere samao.
Ab muskura ke keh do, ham to khafa nahin hain,
Ek dil hain ek jan hain, ham-tum zuda nahin hain.
31. Film : Naunihaal / Lyricist : Kaifi Aazmi /
Singer : Mohd. Rafi / Music : Madan Mohan
Meri aawaz suno, pyar ka raaz suno,
Maine ek fool jo seene pe saja rakha tha,
Uske parde men tumhen dil se laga rakha tha,
Tha zuda sabse mere ishq ka andaaz suno, meri ...
Zindgi bhar mujhe nafrat si rahi ashkon se,
Mere khwabon ko tum ashkon me dubote kyon ho.
Jo meri tarah jiya karte hain kab marte hain,
Thak gaya hun mujhe so lene do rote kyon ho.
So ke bhi jaagte hi rehte hain janbaaz suno, meri ...
Meri duniyan men na purab hai na pashchim koi,
Saare insaan simat aaye khuli baahon men.
Kal bhatakta tha main jin raahon men tanha tanha,
Kafile kitne mile aaz unhin raahon men.
Aur sab nikle mere hamdard mere hamraaz suno, meri ...
Naunihaal aate hain, arthi ko kinare kar lo,
Main jahan tha inhen jana hai vahan se aage.
Aasman inka zamin inki, zamana inka,
Hain kai inke zahan mere jahan se aage.
Inhen kaliyan na kaho hain ye chamansaaz suno, meri ...
32. Film : Aapki Parchhaiyan 1966 / Lyricist : RMAK /
Singer : Mohd. Rafi / Music : Madan Mohan
Yahi hai tamanna, tere dar ke samne,
meri jan jaye, meri jaan jaye haye ....
Tere dar pe aaya to bas aa gaya main,
Na peechhe hatunga jamane ke dar se.
Abhi aa raha hun, abhi kaise jaun,
Mila kya hai mujhko abhi tere dar se.
Zara dekh lun manin, ye rukh ki baharen,
Ye kad pyara pyara ye zulfon ke saaye, haye ...
Mohabbat men teri agar maut aaye,
To vo maut kitni hasin maut hogi.
Kisi roj main tera daman pakadkar,
Jo mar jaun kya dilnashin maut hogi.
Agar koi aisi ghadi aa rahi hai,
To meri dua hai vo jaldi se aaye, haaye ...








बहुत सुंदर!! ❤️❤️
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