होली की कुछ रोचक बातें! Holi Facts!
होली की कुछ रोचक बातें! Intersting facts about Holi!
इस साल 2025 को होली 14 मार्च को मनाई जाएगी । होली का त्योहार चंद्र मास की पूर्णिमा के अंतिम दिन मनाया जाता है। यह त्योहार वसंत की शुरुआत और बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। लोग इस दिन दोस्तों और परिवार के सदस्यों को रंग और गुलाल लगाते हैं। इस दिन लोग समूह में पारंपरिक तरीके से नाचते और गाते हैं । यह त्योहार उत्तर प्रदेश के वृंदावन और मथुरा जैसे शहरों में बहुत ही भव्य और अनोखे तरीके से मनाया जाता है। होली के इस अवसर को देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है।
1. क्या होती है लट्ठमार होली?
भारत में होली का उत्सव सबसे भव्य तरीके से उत्तर प्रदेश के बरसाना, मथुरा और वृंदावन शहरों में मनाया जाता है। यहां महिलाएं मजाक में पुरुषों को लाठियों से मारती हैं। इस दौरान पुरुष अपनी रक्षा के लिए ढाल का प्रयोग करते हैं। ऐसा माना जाता है कि यहां इस परंपरा का उस वक्त से पालन किया जाता है, जब भगवान कृष्ण राधा और उसके दोस्तों के साथ होली खेलने के लिए अपने दोस्तों के साथ बरसाना जाते थे। कहा जाता है कि श्री कृष्ण को रंग लगाना और गोपियों को चिढ़ाना बहुत पसंद था। इस दौरान श्री कृष्ण और उनके साथियों की ओर से किए जाने वाले हंगामे से बौखलाकर, गोपियां कृष्ण और उनके गिरोह को मारने के लिए बांस की लठे उठाती थीं, तभी से यह परंपरा चली आ रही है.
2. फूलों की होली कहां मनाई जाती है?
फूलों की होली फाल्गुन माह की एकादशी पर वृंदावन में मनाई जाती है। इस दौरान बांके बिहारी मंदिर, में ताजे फूलों की पंखुड़ियों के साथ कृष्ण भक्तों की ओर से बड़े उत्साह के साथ होली खेली जाती है। फूलों की होली के दौरान फूलों और खुशबू से भरे माहौल का दृश्य बहुत ही मनमोहक होता है।
3. हरियाणा की धुलेंडी होली!
हरियाणा में मनाई जाने वाली धुलेंडी होली भाभी और देवर के बीच के बंधन के उत्सव के तौर मनाई जाती है। इस दौरान मजाक करने और एक-दूसरे को परेशान करने का नजारा देखने को मिलता है। इस मौके पर भाभियां अपने देवरों को झूठे गुस्से में घसीटती हैं। इसके साथ ही वे एक दूसरे को रंग लगाते हैं और एक दूसरे पर पानी भी डालते हैं।
4. कैसी होती है राजस्थान की दरबारी होली?
इस दौरान मेवाड़ के राजपरिवार की ओर से दरबारी होली के उत्सव का आयोजन किया जाता है। इस दौरान पारंपरिक वेशभूषा में शाही घोड़े और बैंड के साथ परेड आयोजित की जाती है। यह नजारा देखते ही बनता है जिसका आनंद लेने के लिए विदेशी लोग भी यहां आते हैं।
5. क्या होता है पंजाब का होल्ला मोहल्ला?
होली के मौके पर आनंदपुर साहिब में तीन दिवसीय उत्सव मनाया जाता है। इस दिन, नकली युद्ध का आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही यहां कविता और संगीत प्रतियोगिताएं भी होती है। सिक्खों के पवित्र धर्मस्थान श्री आनन्दपुर साहिब मे होली के अगले दिन से लगने वाले मेले को होला मोहल्ला कहते हैं। यहाँ पर होली पौरुष के प्रतीक पर्व के रूप में मनाई जाती है। गुरु जी इसके माध्यम से समाज के दुर्बल और शोषित वर्ग की प्रगति चाहते थे। होला महल्ला का उत्सव आनंदपुर साहिब में छः दिन तक चलता है। इस अवसर पर घोड़ों पर सवार निहंग, हाथ में निशान साहब उठाए तलवारों के करतब दिखा कर साहस, पौरुष और उल्लास का प्रदर्शन करते हैं। पंज पियारे नगर कीर्तन का नेतृत्व करते हुए रंगों की बरसात करते हैं और जुलूस में निहंगों के अखाड़े नंगी तलवारों के करतब दिखते हुए बोले सो निहाल के नारे बुलंद करते हैं। आनन्दपुर साहिब की सजावट की जाती है और विशाल लंगर का आयोजन किया जाता है।
6. उत्तराखंड की कुमाऊंनी होली
उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊँ क्षेत्र में होली का त्यौहार अलग ही तरह से मनाया जाता है, जिसे कुमाऊँनी होली कहते हैं। कुमाऊँनी होली का अपना ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्त्व है। यह केवल बुराई पर अच्छाई की जीत का ही नहीं, बल्कि पहाड़ी सर्दियों के अंत का और नए बुआई के मौसम की शुरुआत का भी प्रतीक है, जो इस उत्तर भारतीय कृषि समुदाय के लिए बहुत महत्व रखता है। होली का त्यौहार कुमाऊँ में बसंत पंचमी के दिन से शुरू हो जाता है ।कुमाऊँनी होली के तीन प्रारूप हैं; बैठकी होली, खड़ी होली और महिला होली। इस होली में सिर्फ अबीर-गुलाल का टीका ही नहीं होता, वरन बैठकी होली और खड़ी होली में गायन की शास्त्रीय परंपरा भी शामिल होती है। बसंत पंचमी के दिन से ही होल्यार प्रत्येक शाम घर-घर जाकर होली गाते हैं। यह उत्सव लगभग दो माह तक चलता है।
7. गोवा की आकर्षक शिग्मो होली !
गोवा में होली का त्योहार बहुत खुशी के साथ मनाया जाता है जिसे शिग्मो उत्सव कहा जाता है। यहां लोग रंगों के साथ मस्ती करते हुए पारंपरिक संगीत और ताल पर जमकर डांस करते हैं। गोवा के निवासी होली को कोंकणी में शिमगो कहते हैं। वे इस अवसर पर वसंत का स्वागत करने के लिए रंग खेलते हैं। गोवा में शिमगोत्सव की सबसे अनूठी बात पंजिम का वह विशालकाय जलूस होता है जो होली के दिन निकाला जाता है। यह जलूस अपने गंतव्य पर पहुँचकर सांस्कृतिक कार्यक्रम में परिवर्तित हो जाता है। इस कार्यक्रम में नाटक और संगीत होते हैं जिनका विषय साहित्यिक, सांस्कृतिक और पौराणिक होता है। हर जाति और धर्म के लोग इस कार्यक्रम में उत्साह के साथ भाग लेते हैं।
8. महाराष्ट्र की रंग पंचमी
या मध्य प्रदेश की होली!
महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में होली को रंग पंचमी के तौर पर मनाया जाता है। इस दौरान, लोग रंग और पानी एक दूसरे पर फेंककर होली का त्योहार मनाते हैं। इससे एक दिन पहले बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर होलिका दहन किया जाता है। इसके लिए कई दिन पहले से युवा एक निर्धारित स्थान पर लकड़ियां एकत्र करते हैं। यहां तक कि गली मोहल्ले में बेकार पड़े लकड़ी के सामान को भी लाकर होली में डाल देते हैं।
9. केरल की मंजल कुली होली!
उत्तरी राज्यों से अलग, दक्षिण में लोग बेहद अलग तरीके से होली मनाते हैं। मंजल कुली कुदुम्बी और कोंकणी लोगों की ओर से मनाया जाने वाला त्योहार है। यह आम होली के मुकाबले थोड़ा सादा होता है और इसे मंदिरों में मनाया जाता है। यहां ग्रामीण लोक गीतों और हल्दी-आधारित पानी और रंगों के साथ होली मनाई जाती है। इसमें होलिका दहन जरूर होता है।
10. बिहार की फाल्गुन पूर्णिमा का त्योहार!
बिहार में होली अच्छी फसल के अलावा होलिका और प्रहलाद की पौराणिक कथा के महत्व के याद करते हुए मनाया जाता है। फाल्गुन पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर यहां गाय के गोबर से बने उपले, पेड़ की लकड़ी और ताजा फसल से अनाज डालकर अलाव जलाया जाता है। होली को बिहार में नए साल की शुरुआत के रूप में भी देखा जाता है। लोग अपने जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि लाने के लिए अपने घरों को साफ करते हैं। घरों को सजाने के लिए रंगों के अलावा, बिहार में लोग मिट्टी का भी उपयोग करते हैं।
11. तमिलनाडु की कामन पंडिगई होली!
तमिलनाडु में होली का महत्व अलग है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह एक विशेष दिन है। इस दिन उनके श्रद्धेय भगवान कामदेव- प्रेम के देवता भगवान शिव द्वारा वापस लाए गए थे। रंग लगाने की सामान्य परंपरा के विपरीत, यहां लोग कामदेव को चंदन चढ़ाते हैं। इस विश्वास के साथ कि इससे उनका दर्द कम होगा। गीत गाए जाते हैं, जो कामदेव की पत्नी रति के दुख को दर्शाते हैं जो वह भगवान शिव के क्रोध के कारण जलकर राख हो गई थी।
12. मणिपुर की योसांग होली!
अपने नाम के अनुरूप योसांग मणिपुर में अपनी तरह की होली है। यह पांच दिवसीय उत्सव मनाया है। इस त्योहार की शुरुआत भगवान पाखंगबा को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ होती है । सूरज ढलने के बाद लोग झोपड़ी या होलिका जलाने के लिए इकट्ठा होते हैं और उसके बाद गांव के बच्चे चंदा लेने के लिए पड़ोस में जाते हैं। दूसरे और तीसरे दिन, स्थानीय बैंड मंदिरों में प्रदर्शन करते हैं, जबकि लड़कियां दान मांगती हैं। अंतिम दो दिन के दौरान लोग रंगों और पानी से खेलते हैं।
होली का त्योहार क्यों मनाया जाता है?
पौराणिक कथाओं के अनुसार दीति के पुत्र हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु से घोर शत्रुता रखते थे। वे खुद से बढ़कर किसी को कुछ भी नहीं समझते थे। लेकिन उनका पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था।प्रहलाद भगवान विष्णु में बहुत आस्था रखता था और अपने पिता के मना करने पर भी वह उनकी ही पूजा करता था। इस बात से बेहद गुस्सा होकर हिरण्यकश्यप ने अपने ही पुत्र को मार देने के कई प्रयास किए।
एक बार उन्होंने प्रहलाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका की मदद ली। होलिका को भगवान शंकर से वरदान मिला हुआ था। उसे वरदान के रूप में एक ऐसी चादर मिली थी जिसे ओढ़ने पर अग्नि उसे जला नहीं सकती थी। होलिका उस चादर को ओढ़कर और प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई। लेकिन वह चादर उड़कर प्रहलाद के ऊपर आ गई और प्रहलाद की जगह स्वयं होलिका ही जल गई! तभी से होली से 1 दिन पहले की रात होलिकादहन किया जाता है। इस दिन घमंड और हर तरह की बुरी चीजों और आदतों की आहुति दी जाती है। होलिका के फेरे लगाकर मंगल-कामना की जाती है और राख से तिलक लगाया जाता है। इस दिन नकारात्मकता को त्यागकर सकारात्मकता को अपनाया जाता है। अगली सुबह रंगों से होली खेली जाती है। इन दिनों फूलों से भी होली खेलने का चलन है। मित्र, संबंधी व पड़ोसी सभी एक-दूसरे से मिलकर रंग-गुलाल लगाते हैं। छोटे, बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं।


Comments
Post a Comment