साहिर लुधियानवी और उनके सदाबहार फिल्मी गीत ! / 50 Hit Songs of Sahir Ludhiyanvi

 साहिर लुधियानवी और उनके सदाबहार फिल्मी गीत ! 

                             संक्षिप्त परिचय : साहिर का अर्थ होता है - ''जादूगर'' और शब्दों के इस जादूगर साहिर का जन्म 8  मार्च सन 1921  को पंजाब के लुधियाना  शहर में हुआ था। उनके बचपन का नाम अब्दुल हयी था। उनके पिता  फज़ल मोहम्मद एक  जमींदार थे  और सामंती सोच रखते थे।  उनकी कई पत्नियां थीं जिनमें से एक थी सरदार बेग़म जो साहिर की मां थीं। जब वे तेरह बरस के थे तो उनके माता पिता अलग हो गए।  फिर उनकी माँ ने बड़ी मुश्किलों से  उनका पालन पोषण  किया।  उनकी स्कूली शिक्षा लुधियाना के खालसा स्कूल स्कूल में हुई  और सरकारी  कॉलेज में उन्होंने पढाई की परन्तु बीच में ही वे किसी कारण अपनी माँ के साथ लाहौर जा बसे।  परन्तु आज भी लुधियाना के कॉलेज में उनके नाम पर एक ऑडिटोरियम है और वहां के शिक्षक तथा विद्यार्थी उन्हें बड़ी मोहब्बत से याद करते हैं। साहिर को अपने शहर लुधियाना से बेहद लगाव था।  जब 22  नवम्बर 1970  को कॉलेज की गोल्डन जुबली के मौके पर साहिर को वहां गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया गया तो उन्होंने वहां एक नज़्म पढ़ी थी।  



                                उनके समय इक़बाल, ज़ोश, फ़िराक़, फैज़  और मज़ाज़ जैसे बड़े शायर पहले से ही मशहूर थे परन्तु वे तमाम परेशानियों के बावजूद ख़ामोशी से अपना काम करते रहे और लाहौर पहुँचने के लगभग दो साल बाद उनका पहला काव्य संग्रह ''तल्खियां '' प्रकाशित हुआ और बाजार में आया।  तल्खियां का अर्थ होता है कड़वाहटें।  यह साहित्य जगत में उनकी एक धमाकेदार आमद थी। लोग उनकी शायरी के दीवाने हुए जा रहे थे। इस वक्त उनकी उम्र कोई 23 साल रही होगी। यह लगभग 1945 की बात है।  ''तल्खियां'' में लिखी उनकी ताज महल पर लिखी नज़्म उनकी क्रन्तिकारी सोच को जाहिर करती है और कहते हैं कि उस वक्त तक उन्होंने ताज महल देखा भी नहीं था। साहिर ही वे पहले शख्श थे जिन्होंने फ़िल्मी दुनियां में गीतकारों को ऊँचा मुकाम दिलवाया।  उनके ही विरोध प्रकट करने पर एल पी रिकॉर्ड पर गीतकारों का नाम भी गायकों और संगीतकारों के साथ लिखा जाने लगा और रेडियो स्टेशन पर भी गीतकारों का नाम गीत के साथ पढ़ा जाने लगा। कहते हैं वे संगीतकार से एक रूपये अधिक लेकर ही काम करते थे। 



                                  इसके बाद उन्होंने एक और नज़्म प्रकाशित की - ''परछाइयां'' और यह भी जबरदस्त लोकप्रिय हुई। यह नज़्म उन्होंने अरब और इज़राइल के दूसरे युद्ध या शायद द्वितीय विश्व युद्ध को ध्यान में रखकर लिखी थी।  जिसमें उन्होंने युद्ध के पहले, युद्ध के समय और युद्ध के बाद की स्थति में दो प्रेमियों के हालात  के सम्बन्ध में लिखा है। उस समय कहा जाता है कि हर मुशायरे में उनसे इस नज़्म को पढ़ने के लिए कहा जाता था।  कुछ लोगों का मानना था कि ये नज़्म उन्होंने लाहौर जाने से पहले अपने कॉलेज के दिनों में ही लिख ली थी।  परछाइयां उस वक्त साहिर की पहचान बन गयी थी ।  अब उनकी लेखनी में वामपंथी विचारधारा भी दिखाई देने लगी थी।  उन्हें इस समय चार ऊर्दू पत्रिकाओं अदब - ए - लतीफ़, शाहकार, सवेरा, और पृथलारी के संपादन का कार्य मिल गया था।  फिर देश आज़ाद हो गया।  साहिर पाकिस्तान में ही रुक गए। लेकिन उनकी कलम इस साम्प्रदायिकता के विरुद्ध आग उगल रही थी। वे लोगों के हक़ में अपनी पत्रिका ''सवेरा'' के पन्ने भर रहे थे।  पाकिस्तानी सरकार अपनी इस आलोचना को बरदास्त नहीं कर सकी और उसने 1949 में उनके विरुद्ध एक वारंट जारी कर दिया। साहिर ने निश्चय किया कि वे पाकिस्तान छोड़ देंगे।  उनके दोस्तों ने उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन वे नहीं रुके।  उन्हें समझ में आ गया था कि लाहौर और पाकिस्तान अब उनके लिए सहीं जगह नहीं रही। वे बम्बई (मुंबई ) चले आये।  लोकप्रिय तो वे पहले ही हो चुके थे।  यहाँ सन 1951 में उन्हें फिल्म - नौजवान का गीत ''ठंडी हवाएं लहरा के आएं ... '' लिखने का मौका मिला जो बहुत लोकप्रिय हुआ। २५ - २६ अक्टूबर १९८० की रात मुंबई में यह अज़ीम शायर इस दुनिया को छोड़कर चला गया।  लेकिन उनके सदाबहार नग्मे हमें हमेशा उनकी याद दिलाते रहेंगे।  


 ( एक अनुमान के अनुसार साहिर ने लगभग 122 फिल्मों के लिए कुल 733 गीत लिखे। उनके गीतों को आवाज़ देने वालों गायकों में रफ़ी साहब को 118, आशा जी को 223, लताजी को 160, किशोर कुमार को 69, महेंद्र कपूर को 61, गीता दत्त को 54, मन्ना डे को 38, मुकेश को 22, तलत महमूद को 20, सुधा मल्होत्रा को 20, सुमन कल्याणपुर को 18, हेमंत कुमार को 12 गीत गाने का अवसर मिला। )

1 . फिल्म : हमराज़ 1967  / संगीत : रवि / गायक : महेंद्र कपूर 

तुम अगर साथ देने का वादा करो 

2. फिल्म : हम दोनों 1961 / संगीत :  जयदेव / गायक : मोह. रफ़ी 

मैं ज़िंदगी का  साथ निभाता  चला गया,

3. फिल्म : कभी कभी 1976 / संगीत : खय्याम / गायक : मुकेश

में पल दो पल का शायर हूं, पल दो पल मेरी कहानी है,

 4. फिल्म : नौजवान 1951 / संगीत : एस डी बर्मन / गायिका : लता मंगेशकर

ठंडी हवाएं, लहरा के आएं,

5. फिल्म : जाल 1952 / संगीत : एस डी बर्मन / गायक : हेमंत कुमार

ये रात ये चांदनी फिर कहां,

6.  फिल्म : हम दोनों 1961 / संगीत : जयदेव / गायक : रफी और आशा

अभी न जाओ छोड़कर के दिल अभी भरा नहीं,

7. फिल्म : शगुन 1964 / संगीत : खय्याम / गायक : रफी साहब

तुम चली जाओगी परछाइयां रह जाएंगी,

8. फिल्म : मुझे जीने दो 1963 / संगीत : जयदेव / गायक : मोह. रफी

अब कोई गुलशन न उजड़े अब वतन आज़ाद है,

9. फिल्म : गुमराह 1963 / संगीत : रवि / गायक : महेंद्र कपूर

आप आए तो खयाल ए दिल ए नाशाद आया,

10. फिल्म : बाबर / संगीत : रोशन / गायक : रफी साहब

तुम एक बार मोहब्बत का इम्तेहान तो लो,

11. फिल्म : दीदी 1959 / संगीत / गायन : सुधा मल्होत्रा (मुकेश)

तुम मुझे भूल भी जाओ तो ये हक है तुमको,

12. फिल्म : वक्त 1965 / संगीत : रवि / गायिका : आशा भोसले

चेहरे पे खुशी छा जाती है, 

13. फिल्म : आंखें 1968 / संगीत : रवि / गायिका : लता मंगेशकर

मिलती है ज़िन्दगी में मोहब्बत कभी कभी,

14. फिल्म : शगुन 1964 / संगीत : खय्याम / गायक : रफी साहब और सुमन कल्याणपुर

पर्वतों के पेड़ों पर शाम का बसेरा है,

15. फिल्म : चंबल की कसम 1980 / संगीत : खय्याम /  गायक : रफी - लता

सिमटी हुई ये घड़ियाँ, खुल के न बिखर जाएं ,

16.  फिल्म : मुनीमजी 1955  / संगीत : एस डी बर्मन / गायक : किशोर कुमार 

जीवन के सफर में राही मिलते हैं बिछड़ जाने को,

17. फिल्म : सज़ा 1951 / संगीत : एस डी बर्मन / गायिका : लता मंगेशकर 

            तुम न जाने किस जहाँ में खो गए,

18. फिल्म : कभी कभी 1976  / संगीत : खय्याम / गायक : मुकेश/ लता मंगेशकर

कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है ,

19. फिल्म : वक्त 1965 / संगीत : रवि / गायिका : आशा भोसले 

आगे भी जाने न तू , पीछे भी जाने न तू ,

 20. फिल्म : वक्त 1965 / संगीत : रवि / गायक : मोहम्मद रफ़ी 

ये मेरी ज़ोहरा ज़बीं तुझे मालूम नहीं,

21. फिल्म : ज़मीर 1975 / संगीत : सपन चक्रवर्ती / गायक : किशोर कुमार

ज़िन्दगी हंसने गाने के लिए है पल दो पल,

22. फिल्म : गुमराह 1963 / संगीत : रवि / गायक : महेंद्र कपूर

चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों

23. फिल्म : धूल का फूल 1959 / संगीत : एन दत्ता / गायक : लता मंगेशकर और महेंद्र कपूर 

तेरे प्यार का आसरा चाहता हूँ ,

24.  फिल्म : दिल ही तो है 1963 / संगीत : रोशन / गायक : मन्ना डे 

लागा, चुनरी में दाग, छुपाऊं कैसे 

25.  फिल्म : अमानत 1970 / संगीत : रवि / गायक : मोहम्मद रफ़ी

दूर रहकर न करो बात करीब आ जाओ,

26. फिल्म : नया दौर 1957 / संगीत : ओ पी नैय्यर / गायक : रफ़ी साहब

ये देश है वीर जवानों का, अलबेलों का मस्तानों का,

27. फिल्म : दूज का चाँद / संगीत : रोशन / गायक : मन्ना डे 

फूल गेंदवा न मारो, न मारो, लगत करेजवा में चोट,

28. फिल्म : दाग 1973 / संगीत : लक्ष्मीकांत प्यारेलाल / गायक : किशोर कुमार और लता मंगेशकर

हम और तुम, तुम और हम,

29. फिल्म : ताज महल 1963 / संगीत : रोशन / गायक : लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी

जो वादा किया को निभाना पड़ेगा,

 30. फिल्म : इज्ज़त 1969 / संगीत : लक्ष्मीकांत प्यारेलाल / गायक : रफी - लता

ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं हम क्या करें,

31. फिल्म : बरसात की रात 1960 / संगीत : रौशन / गायक : रफी साहब

ज़िन्दगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात,

32. फिल्म : चित्रलेखा 1964 / संगीत : रोशन / गायिका : लता मंगेशकर

संसार से भागे फिरते हो, भगवान को तुम क्या पाओगे,

33. फिल्म : ज़मीर 1975 / संगीत : सपन चक्रवर्ती / गायक : किशोर कुमार

तुम भी चलो हम भी चलें, चलती रहे ज़िन्दगी,

34. फिल्म : नील कमल 1968 / संगीत : रवि / गायक : मोहम्मद रफी

आ ... आ जा आ  आ जा तुझको पुकारे मेरा प्यार 

35. फिल्म : नील कमल / संगीत : रवि / गायक : मोहम्मद रफी

बाबुल की दुआएं लेती जा, जा तुझको सुखी संसार मिले,

36. फिल्म : काला पत्थर 1979 / संगीत : राजेश रोशन / गायक : किशोर कुमार और लता मंगेशकर

एक रास्ता है ज़िन्दगी, जो हम गए तो कुछ नहीं,

37.  फिल्म : आँखें 1968 / संगीत : रवि / गायक : रफ़ी साहब 

हर तरह के जज़्बात का एलान हैं आँखें,

38.  फिल्म : ताज महल 1963 / संगीत : रोशन / गायिका : लता मंगेशकर 

जुर्म ए उल्फत पे हमें लोग सज़ा देते हैं ,

39. बहु-बेटी 1965 / संगीत : रवि / गायक : रफ़ी साहब 

जिओ तो ऐसे जिओ जैसे सब तुम्हारा है,

40. फिल्म : नया रास्ता 1970 / संगीत : एन दत्ता / गायक : मोहम्मद रफ़ी 

पोंछकर अश्क अपनी आँखों से, मुस्कुराओ तो कोई बात बने,

41. फिल्म : शगुन 1964 / संगीत : खय्याम / गायिका : जगजीत कौर

तुम अपना रंज ओ गम, अपनी परेशानी मुझे दे दो,

42. फिल्म : वासना 1968 / संगीत : चित्रगुप्त / गायक : रफी साहब और लता मंगेशकर

ये पर्वतों के दायरे ये शाम का धुआं,

43.  फिल्म : चित्रलेखा 1964 / संगीत : रोशन / गायक : मोहम्मद रफ़ी 

मन रे तू काहे न धीर धरे ,

44.  फिल्म : फिर सुबह होगी 1958  / संगीत : खय्याम / गायक : मुकेश

आसमां  पे है खुदा और ज़मीं पे हम,

45. फिल्म :   प्यासा 1957 / संगीत : एस डी बर्मन / गायक : रफ़ी साहब 

ये महलों, ये तख्तों ये ताजों की दुनिया,

46. आज और कल 1963 / संगीत : रवि / गायक : मोहम्मद रफ़ी 

ये वादियाँ ये फ़िज़ाएं बुला रही हैं तुम्हें,

47. धुंद 1973 / संगीत : रवि / गायक : महेंद्र कपूर 

संसार की हर शै का इतना ही फ़साना है,

48. फिल्म : काजल 1965 / संगीत : रवि / गायक : मोहम्मद रफ़ी 

ये ज़ुल्फ़ अगर खुल के बिखर जाये तो अच्छा,

49. फिल्म : एक महल हो सपनों का 1975 / संगीत : रवि / गायक : किशोर कुमार  

देखा है ज़िंदगी को कुछ इतना करीब से, 

50. फिल्म : काजल 1965 / संगीत : रवि / गायिका : आशा भोसले 

तोरा मन दर्पण कहलाये,



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